Greater Noida Authority News : अब लावारिस और घायल पशुओं को मिलेगा जीने का हक, जलपुरा गोशाला में तैनात हुआ विशेषज्ञ पशु चिकित्सक, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने उठाया जनसुरक्षा और पशु कल्याण की दिशा में मानवीय कदम
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा में इंसानों के साथ अब पशुओं की जिंदगी भी संवारी जा रही है। क्षेत्र में लगातार बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के साथ लावारिस, घायल और बीमार पशुओं की समस्याएं भी बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं। आए दिन सड़कों पर घायल गायें, कुत्ते या बिल्लियाँ दिखाई देती हैं जो न सिर्फ दर्द से जूझ रही होती हैं बल्कि कई बार नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन जाती हैं। इस संवेदनशील विषय पर गंभीर पहल करते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने एक साहसिक और मानवीय कदम उठाया है — ग्राम जलपुरा स्थित गोशाला में एक अनुभवी पशु चिकित्सक की नियुक्ति की गई है, जो इन लावारिस और पीड़ित पशुओं की देखरेख, उपचार और उनके व्यवहार के निरीक्षण की जिम्मेदारी निभाएंगे।
चोटिल गाय हो या रेबीज से ग्रसित कुत्ता — अब सबका होगा इलाज, वो भी अनुभवी डॉक्टर की निगरानी में
प्राधिकरण ने सेवानिवृत्त पशु चिकित्साधिकारी सत्यपाल सिंह राठी को आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से जलपुरा गोशाला में नियुक्त किया है। राठी अब न केवल गौशाला में रखे गए गोवंशों की चिकित्सा करेंगे, बल्कि पूरे ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में मौजूद घायल, बीमार, या संदिग्ध हिंसक प्रवृत्ति वाले लावारिस पशुओं की निगरानी और इलाज भी सुनिश्चित करेंगे। रेबीज जैसे संक्रामक रोगों से ग्रस्त कुत्तों की पहचान और समय पर इलाज जनस्वास्थ्य के लिहाज से भी एक बड़ा कदम है।
पशु कल्याण के साथ मानव सुरक्षा को प्राथमिकता — क्षेत्र में अब मिलेगी तत्काल मेडिकल रेस्पॉन्स सर्विस
इस योजना के तहत आम नागरिकों को भी सक्रिय भागीदारी का अवसर मिलेगा। यदि कोई व्यक्ति अपने क्षेत्र में घायल, बीमार या असामान्य व्यवहार करने वाला पशु देखता है, तो वह 8860006496 नंबर पर संपर्क कर सकता है। सूचना मिलते ही गोशाला की टीम मौके पर पहुंचकर संबंधित पशु को उपचार या निरीक्षण हेतु उठाकर लाएगी।

गोशाला नहीं सिर्फ एक आश्रय स्थल, अब बन गई पशु चिकित्सा सेवा केंद्र
जलपुरा गोशाला अब महज़ एक शरण स्थल नहीं, बल्कि एक पूर्ण पशु देखभाल केंद्र के रूप में विकसित हो रही है। यहां मौजूद संसाधनों को अब सक्रिय रूप से चिकित्सा कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाएगा। गोशाला के महाप्रबंधक आर.के. भारती ने बताया कि यह व्यवस्था न केवल पशुओं के लिए राहत लेकर आएगी, बल्कि क्षेत्र में पशुजनित बीमारियों और मानव-पशु संघर्षों को भी रोकेगी।
प्राधिकरण की सोच: सह-अस्तित्व और संवेदनशीलता
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण लंबे समय से शहरी विकास के साथ-साथ मानवीय पहलुओं पर भी विशेष ध्यान दे रहा है। इस नई योजना के तहत प्राधिकरण ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह केवल सड़कों और इमारतों के निर्माण तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के सभी जीवों — चाहे वो बोलने में असमर्थ पशु ही क्यों न हों — के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। यह एक ऐसी पहल है जो मानव-पशु सह-अस्तित्व की भावना को मजबूत करती है।
समाज को भी निभानी होगी अपनी भूमिका
पशु कल्याण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। समाज को भी जागरूक और संवेदनशील बनना होगा। आमजन को चाहिए कि वे घायल पशुओं की सूचना समय पर दें, भोजन और पानी की व्यवस्था करने में योगदान दें, और अपने स्तर पर सहयोग प्रदान करें।

यह पहल सिर्फ एक चिकित्सक की तैनाती नहीं, बल्कि एक सोच है — दया, सहानुभूति और जिम्मेदारी की सोच
यह योजना एक नए विचार का प्रतीक है — एक ऐसा शहर जो स्मार्ट तो हो ही, लेकिन संवेदनशील भी हो। जिसमें सड़कों पर दौड़ती गाड़ियों के बीच यदि कोई पशु घायल मिले, तो उसके लिए भी एक मेडिकल इमरजेंसी मौजूद हो।
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