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नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने दिल्ली सरकार की विधवा/दिव्यांग पेंशन योजना में चल रहे घोटाले का पर्दाफाश कर छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी विधवा पेंशन को महिलाओं को और दिव्यांग पेंशन को अन्य लोगों को दिलवा रहे थे। आरोपी व्यक्तियों के पेंशन स्वीकृत कराने के लिए झूठे व जाली दिव्यांग और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाते थे।
आरोपियों के पास से 34 पासबुक, दिव्यांग पेंशन के लिए 180 ऑनलाइन आवेदन, विधवा पेंशन से संबंधित आधार की 117 प्रति स्वीकृत बरामद की हैं। साथ ही 136 ऐसे व्यक्तियों की सूची मिली है जो दिव्यांग पेंशन ले रहे थे।
अपराध शाखा डीसीपी मोनिका भारद्वाज के अनुसार आरोपियों की पहचान जैतपुर एक्सटेंशन पार्ट-दो निवासी रियासत अली (35), जैतपुर गांव निवासी साहिल (30), इस्मेलपुर गांव, फरीदाबाद हरियाणा निवासी बलराम उर्फ बलराज (33), संगम विहार निवासी मुबारक (37), नंदनगरी निवासी मुबारक (37), राजेश कुमार (25) और जसौला निवासी जयप्रकाश (33) के रूप में हुई है। रियासत व बलराम को छोड़कर बाकी आरोपी अनुबंध पर नौकरी करते थे।
एक महिला ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि रियासत और यूनुस का कार्यालय उसके घर के पास है। करीब डेढ़ साल पहले लॉकडाउन के दौरान उनके पति ने कोरोना के चलते काम करना बंद कर दिया था। उसे पैसे की जरूरत थी और वह आर्थिक मदद मांगने के लिए इनके पास गई। इन लोगों ने उसे अपने कार्यालय में बुलाया और कहा कि दिल्ली सरकार गरीब लोगों की मदद के लिए एक योजना चला रही है और उसी योजना में पंजीकरण के बाद उसे रुपये मिलेंगे। उसके खाते में हर महीने दिल्ली सरकार की ओर से 2500/- रुपये आएंगे।
आरोपियों ने महिला से उसका आधार कार्ड, पैन कार्ड और उसकी दो तस्वीरें लीं। जनवरी 2021 से उसके खाते में 2500 आने लगे। वह आधी रकम दोनों आरोपियों को देने लगी।
महिला को बाद में पता चला कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित विधवा पेंशन योजना की राशि उसके खाते में जमा की जा रही है। इसके लिए आरोपियों ने उसकी आईडी का इस्तेमाल किया है। पुलिस ने इनके कार्यालय से काफी दस्तावेज जब्त किए। इंस्पेक्टर आशीष को जांच में पता लगा कि जाली दस्तावेज के आधार पर दिल्ली सरकार से कई लोगों को पेंशन मिल रही है। शिकायतकर्ता के पति के मृत्यु प्रमाण पत्र का सत्यापन किया गया और वह फर्जी पाया गया। पुलिस ने मामला दर्जकर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी ऐसे करते थे घोटाला
जैतपुर के रहने वाले आरोपी रियासत और साहिल ने आगे ऐसे एजेंट रखे हैं जो जरूरतमंद लोगों को लुभाते हैं और उन्हें समझाते हैं कि वे दिल्ली सरकार द्वारा विभिन्न मदों के तहत पेंशन दिलवाने में उनकी मदद कर सकते हैं। एजेंट पहले इलाके के गरीब लोगों के पास जाते हैं और उन्हें बताते थे कि दिल्ली सरकार उन लोगों को पेंशन दे रही है जो गरीबी रेखा से नीचे हैं।
पेंशन शुरू होने के बाद उन्हें 2500 रुपये प्रति माह की राशि मिलने लगेगी। उन्हें समझाने के बाद एजेंट उन्हें साहिल और रियासत के ऑफिस ले जाते। कार्यालय में आवेदकों से उनका आधार कार्ड, बैंक पासबुक और अन्य आईडी ले लेते थे, ताकि उनकी पेंशन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से लागू की जा सके। पेंशन के लिए आवेदन करने से पहले आवेदक को बताया जाता है कि पहले 10 महीने की पेंशन उनके पास रहेगी, क्योंकि वे पेंशन पाने में उनकी मदद कर रहे हैं।
आरोपी साहिल और रियासत की लाजपत नगर स्थित कार्यालय जिला पदाधिकारी, समाज कल्याण एवं महिला एवं बाल विकास, कस्तूरबा निकेतन परिसर के कर्मचारियों से सांठगांठ थी।
वह आवेदन पत्रों को बलराम उर्फ बलराज और मुबारक को देते थे। आरोपी व्यक्ति फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र एवं नि:शक्तता प्रमाण पत्र तैयार कर अपलोड करता था ताकि पेंशन स्वीकृत करने के आवेदन को मंजूरी दी जा सके। जांच के दौरान एक ही व्यक्ति के दिव्यांग प्रमाण पत्र के साथ-साथ महिला लाभार्थी को एक पुरुष दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत पेंशन के मामले मिले हैं।
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने दिल्ली सरकार की विधवा/दिव्यांग पेंशन योजना में चल रहे घोटाले का पर्दाफाश कर छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी विधवा पेंशन को महिलाओं को और दिव्यांग पेंशन को अन्य लोगों को दिलवा रहे थे। आरोपी व्यक्तियों के पेंशन स्वीकृत कराने के लिए झूठे व जाली दिव्यांग और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाते थे।
आरोपियों के पास से 34 पासबुक, दिव्यांग पेंशन के लिए 180 ऑनलाइन आवेदन, विधवा पेंशन से संबंधित आधार की 117 प्रति स्वीकृत बरामद की हैं। साथ ही 136 ऐसे व्यक्तियों की सूची मिली है जो दिव्यांग पेंशन ले रहे थे।
अपराध शाखा डीसीपी मोनिका भारद्वाज के अनुसार आरोपियों की पहचान जैतपुर एक्सटेंशन पार्ट-दो निवासी रियासत अली (35), जैतपुर गांव निवासी साहिल (30), इस्मेलपुर गांव, फरीदाबाद हरियाणा निवासी बलराम उर्फ बलराज (33), संगम विहार निवासी मुबारक (37), नंदनगरी निवासी मुबारक (37), राजेश कुमार (25) और जसौला निवासी जयप्रकाश (33) के रूप में हुई है। रियासत व बलराम को छोड़कर बाकी आरोपी अनुबंध पर नौकरी करते थे।
एक महिला ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि रियासत और यूनुस का कार्यालय उसके घर के पास है। करीब डेढ़ साल पहले लॉकडाउन के दौरान उनके पति ने कोरोना के चलते काम करना बंद कर दिया था। उसे पैसे की जरूरत थी और वह आर्थिक मदद मांगने के लिए इनके पास गई। इन लोगों ने उसे अपने कार्यालय में बुलाया और कहा कि दिल्ली सरकार गरीब लोगों की मदद के लिए एक योजना चला रही है और उसी योजना में पंजीकरण के बाद उसे रुपये मिलेंगे। उसके खाते में हर महीने दिल्ली सरकार की ओर से 2500/- रुपये आएंगे।
आरोपियों ने महिला से उसका आधार कार्ड, पैन कार्ड और उसकी दो तस्वीरें लीं। जनवरी 2021 से उसके खाते में 2500 आने लगे। वह आधी रकम दोनों आरोपियों को देने लगी।
महिला को बाद में पता चला कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित विधवा पेंशन योजना की राशि उसके खाते में जमा की जा रही है। इसके लिए आरोपियों ने उसकी आईडी का इस्तेमाल किया है। पुलिस ने इनके कार्यालय से काफी दस्तावेज जब्त किए। इंस्पेक्टर आशीष को जांच में पता लगा कि जाली दस्तावेज के आधार पर दिल्ली सरकार से कई लोगों को पेंशन मिल रही है। शिकायतकर्ता के पति के मृत्यु प्रमाण पत्र का सत्यापन किया गया और वह फर्जी पाया गया। पुलिस ने मामला दर्जकर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी ऐसे करते थे घोटाला
जैतपुर के रहने वाले आरोपी रियासत और साहिल ने आगे ऐसे एजेंट रखे हैं जो जरूरतमंद लोगों को लुभाते हैं और उन्हें समझाते हैं कि वे दिल्ली सरकार द्वारा विभिन्न मदों के तहत पेंशन दिलवाने में उनकी मदद कर सकते हैं। एजेंट पहले इलाके के गरीब लोगों के पास जाते हैं और उन्हें बताते थे कि दिल्ली सरकार उन लोगों को पेंशन दे रही है जो गरीबी रेखा से नीचे हैं।
पेंशन शुरू होने के बाद उन्हें 2500 रुपये प्रति माह की राशि मिलने लगेगी। उन्हें समझाने के बाद एजेंट उन्हें साहिल और रियासत के ऑफिस ले जाते। कार्यालय में आवेदकों से उनका आधार कार्ड, बैंक पासबुक और अन्य आईडी ले लेते थे, ताकि उनकी पेंशन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से लागू की जा सके। पेंशन के लिए आवेदन करने से पहले आवेदक को बताया जाता है कि पहले 10 महीने की पेंशन उनके पास रहेगी, क्योंकि वे पेंशन पाने में उनकी मदद कर रहे हैं।
आरोपी साहिल और रियासत की लाजपत नगर स्थित कार्यालय जिला पदाधिकारी, समाज कल्याण एवं महिला एवं बाल विकास, कस्तूरबा निकेतन परिसर के कर्मचारियों से सांठगांठ थी।
वह आवेदन पत्रों को बलराम उर्फ बलराज और मुबारक को देते थे। आरोपी व्यक्ति फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र एवं नि:शक्तता प्रमाण पत्र तैयार कर अपलोड करता था ताकि पेंशन स्वीकृत करने के आवेदन को मंजूरी दी जा सके। जांच के दौरान एक ही व्यक्ति के दिव्यांग प्रमाण पत्र के साथ-साथ महिला लाभार्थी को एक पुरुष दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत पेंशन के मामले मिले हैं।