नई दिल्ली2 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
अस्पताल लाए जाने वाले पक्षियों में ज्यादा संख्या कबूतरों की
दीवाली के बाद से दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। प्रदूषण की वजह से ना केवल मनुष्य इससे प्रभावित हो रहा है बल्कि पक्षियां भी इससे अछूते नहीं रह रहे है। प्रदूषण इन बेजुबान पक्षियों का भी दम घोंट रहा है। दिवाली के बाद से दिल्ली की सड़कों पर कई पक्षी बेसुध होकर गिर रहे है। इनमें से कुछ ही अस्पताल पहुंचाए जा रहे है और उनकी जान बच पा रही है।
किसी को सांस लेने में परेशानी हो रही है तो किसी को विजिबिलिटी कम होने से बिल्डिंगों और चलते वाहनों से टकरा रहे है। इनमें सबसे ज्यादा परेशानी कबूतरों के साथ हो रही है। क्योंकि दिल्ली में इनकी संख्या अधिक है। कौवे भी इसका शिकार हो रहे है, क्योंकि कौओं की नजर शार्प होती है इसलिए प्रदूषण की वजह से उनमें एक्सीडेंट के केस नहीं आ रहे है।
डॉ. हरअवतार का कहना हे कि हर साल प्रदूषण बढ़ने पर पक्षियों में सांस की दिक्कत और एक्सीडेंट की समस्याएं बढ़ जाती है। रोजाना अगर हमारे पास जो पक्षी आते है, उनमें से एक या दो की मौत हो जाती है। चैरिटी अस्पताल होने के कारण कोई भी व्यक्ति पक्षी को वेसुध या घायल पड़ा देखकर अस्पताल ले आता है। बड़ी संख्या में पक्षी ऐसे है जिन्हें कोई नहीं लाता और वह सड़कों पर ही दम तोड़ देते है। पक्षियों को ऐसी दवाएं दी जाती है, जिनसे उनकी सांस लेने की क्षमता अच्छी हो सके और प्रदूषण की वजह से जलन कम हो सके।
अस्पताल लाए जाने वाले पक्षियों में ज्यादा संख्या कबूतरों की
चांदनी चौक स्थित दिल्ली के सबसे बड़े चैरिटी बर्ड अस्पताल के डॉक्टर हरअवतार सिंह का कहना है कि दीवाली के बाद से कबूतर, कौवे और चीलें काफी संख्या में अस्पताल लाए जा रहे है। क्योंकि तभी से प्रदूषण बढ़ा है। रोजाना करीब दस पक्षी आ रहे है और कभी-कभी इनकी संख्या बढ़ जाती है। इनमें सबसे अधिक कबूतर होते है। यह दो तरह से प्रभावित होते है, जिनमें सांस लेने की परेशानी देखी जा रही है और कुछ को टयूमर है, उन्हें ज्यादा समस्या है। कबूतरों में देखने की झमता कौओं व चील के मुकाबले कम होती है। जब ये हवा में उड़ते है तो स्मॉग अधिक होने के बाद सामने बिल्डिंग या अन्य चीजों को ज्यादा दूर तक नहीं देख पाते और कहीं ना कहीं टकराकर घायल हो जाते है।
कौवों को प्रदूषण की वजह से सांस लेने में परेशानी होती है और ज्यादा परेशानी होने पर जमीन पर गिर पड़ते है। चील बेहद उंचाई से शिकार या खाने को देख लेती है। वह उंचाई से सीधे नीचे आती है और अपना शिकार उठाकर उड़ जाती है। लेकिन इन दिनों स्मॉग अधिक है कि चील भी दूर तक देख नहीं पाती। ऐसे में अपना शिकार उठाने के दौरान वाहनों को देख नहीं पाती और टकरा जाती है।