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UPSIDA Authority News : यूपीसीडा में आठ साल से फंसी रजिस्ट्री की फाइलें, 10 बिल्डर परियोजनाओं पर 400 करोड़ का बकाया, आठ हजार से अधिक परिवार 'घर' के इंतजार में, ग्रेटर नोएडा के रियल एस्टेट का दर्दनाक सच

पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्टे आलीशान विला, लेकिन कानूनी उलझनें भारी, मिगसन ग्रीन मेंशन (जेटा-1), निर्माण पूरा, लेकिन CC लापता, ई-होम्स अधूरी इमारतें और अधूरे सपने, शिवालिक होम्स और दंत एल्पाइन रियलटेक, NCLT की दहलीज़ पर अटका भविष्य और भी कई प्रोजेक्ट अटके हैं UPSIDA, अब तो लोग कहने लगे हैं यूपीसीडा ना होती ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण होता तो काम हो जाता

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
पिछले आठ वर्षों से अपने घर का सपना संजोए बैठे आठ हजार से भी ज्यादा परिवारों के लिए घर मिलना अब भी एक अधूरी हसरत बना हुआ है। ये परिवार ग्रेटर नोएडा के उस इलाके में फंसे हुए हैं, जहां यूपीसीडा (उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण) द्वारा विकसित 10 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं में फ्लैट खरीद चुके हैं। इनमें से अधिकांश परियोजनाएं या तो अधूरी हैं या कानूनी पेंचों और वित्तीय बकायों में उलझी पड़ी हैं।


बिल्डर और प्राधिकरण के बीच ‘कानूनी कुश्ती’ का शिकार बने खरीदार
इन परियोजनाओं पर करीब 400 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। कई परियोजनाओं को कम्पलीशन सर्टिफिकेट (CC) नहीं मिल पाया है, जिसके चलते रजिस्ट्री और कब्जा देने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है। फ्लैट्स बनकर तैयार हैं, परिवार उनमें रह भी रहे हैं, मगर मालिकाना हक और बुनियादी सुविधाएं अब तक अधूरी हैं।

पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्टे: आलीशान विला, लेकिन कानूनी उलझनें भारी
पैरामाउंट प्रॉपर्टीज की यह 90 एकड़ में फैली परियोजना 2015 में चर्चा में आई थी। 3,102 यूनिट्स में से करीब 1,988 विला को आंशिक CC मिल चुकी है, लेकिन इस पर UPSIDA का 269 का करोड़ रुपए बकाया था लेकिन निचली अदालत के मध्यस्थता के निर्णय के बाद 91.66 करोड़ रुपये का बकाया अभी भी बाकी है। रजिस्ट्री न होने से हजारों परिवार असमंजस में हैं।


मिगसन ग्रीन मेंशन (जेटा-1): निर्माण पूरा, लेकिन CC लापता
यह परियोजना पूरी तरह से बन चुकी है लेकिन अब तक कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं हुआ है। करीब 94 लाख रुपये का बकाया किराया और ब्याज है। यूपीसीडा ने इस पर आठ से ज्यादा नोटिस भेजे हैं, लेकिन स्थिति जस की तस है।



ई-होम्स: अधूरी इमारतें और अधूरे सपने
अशियाना प्रमोटर्स द्वारा विकसित ई-होम्स में 525 में से केवल 118 फ्लैटों में ही लोग रह रहे हैं। पांच टावर पूरी तरह बन चुके हैं, जबकि दो टावरों का काम अभी अधूरा है। प्रोजेक्ट पर 8.5 करोड़ रुपये बकाया है और CC के लिए 28 मार्च 2025 को आवेदन किया गया है।


वेनेटिया हाइट्स: मान्यता के झमेले और अधूरी रजिस्ट्री
यह परियोजना ओरएसिस बिल्डमार्ट की ओर से विकसित की गई है। 511 फ्लैटों में से 241 का कब्जा दिया जा चुका है। हालांकि, अभी भी 12 करोड़ रुपये का बकाया है। नोटिस मिलने के बाद बिल्डर ने 18 करोड़ रुपये जमा कर रजिस्ट्री शुरू करवाई है।


शिवालिक होम्स और दंत एल्पाइन रियलटेक: NCLT की दहलीज़ पर अटका भविष्य
कॉसमॉस इंफ्रास्टेट की यह परियोजना 2013-14 में 3.5 एफएआर के अनुरूप स्वीकृत हुई थी। बाद में यूपीसीडा ने एफएआर को घटाकर 2.75 कर दिया, जिससे नक्शा पास कराने में अड़चन आई और पूरा मामला रुक गया। दंत एल्पाइन की परियोजना में 502 परिवार फंसे हैं और यह मामला NCLT में लंबित है।

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UPSIDA ग्रेटर नोएडा के बीच में अटके प्रोजेक्ट, रजिस्ट्री का इंतजार

JK डेवलपर्स: अधूरे टावर, अधूरा इंतजार
जेके डेवलपर्स की परियोजना में सारे टावर अधूरे पड़े हैं। इससे 1,100 से अधिक खरीदार प्रभावित हैं। परियोजना पर 88 करोड़ रुपये का बकाया है और इसका मामला भी NCLT में विचाराधीन है।


कुछ उम्मीदें जागी हैं—यूपीसीडा ने बदली नीति
हाल ही में मिगसन ग्रीन मेंशन में रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू की गई है, जिससे अन्य परियोजनाओं में फंसे परिवारों को उम्मीद की नई किरण नजर आई है। यूपीसीडी के अनुसार, वे बिल्डर जिन्होंने अपना बकाया चुकता कर दिया है और ऑनलाइन आवेदन किया है, उन्हें CC जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।


अधूरे घरों में पूरी जिंदगी बिताने की मजबूरी
इन सबके बीच पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्होंने वर्षों की बचत लगाकर फ्लैट खरीदा था। आज वे EMI भी चुका रहे हैं और किराया भी, लेकिन फिर भी उन्हें कानूनी रूप से ‘मालिक’ नहीं माना जा रहा है। कोई स्कूल एड्रेस प्रूफ नहीं मानता, तो कोई बिजली-पानी के कनेक्शन में अड़चन डालता है।

UPSIDA अथॉरिटी से मोह भंग हो चुका है लोगो का, यूपीसीडा ना बिल्डर पर बकाया होने का नोटिस देती है और न बकाया वसूलने का कोई नियम है


समस्या का समाधान कब?
जब तक बिल्डर और यूपीसीडा के बीच बकाया, एफएआर और सीसी के मसले हल नहीं होते, तब तक इन परिवारों की परेशानी खत्म नहीं होगी। जरूरत है कि सरकार स्वयं इन मामलों में दखल दे और बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई कर पीड़ितों को राहत दिलाए।

हिमांशु शेखर शिवालिक होम्स के निवासी ने कहा कि यूपीसीडा अंतर्गत सूरजपुर साईट सी ग्रुप हाउसिंग विस्तार 2 ग्रेटर नोएडा के बिल्डर सोसाइटीज का बदकिस्मत फ्लैट बायर हूं जो पिछले 10 वर्षों से अपने फ्लैट का पूरा पैसा बिल्डर को देने के बावजूद भी अपने फ्लैट के मालिकाना हक के लिए हर स्तर पर गुहार लगाता आ रहा हूं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पहले यूपीसीडा एवं बिल्डर्स का FAR के इश्यू के कारण सीसी ओसी एवं रजिस्ट्री नहीं हो रहा था, और जब शासन स्तर पर FAR के प्रॉब्लम को सॉल्व कर दिया गया तब यूपीसीडा को बिल्डर्स पर अपने लीज रेंट के बकाया की याद आ गई और मेरे सोसाइटी के बिल्डर पर लगभग 94 लाख रुपए लीज रेंट का बकाया है जिसके लिए यूपीसीडा पिछले एक वर्षों से केवल बिल्डर को नोटिस भेज कर बैठ जा रही थी लेकिन जब हम फ्लैट बायर का यूपीसीडा पर दबाव बना तब जनवरी 2025 में आर एम यूपीसीडा ने बिल्डर के खिलाफ RC निकालकर DM G.B.NAGAR को भेजा लेकिन उस RC के खिलाफ जिला प्रशासन से भी कोई कठोर करवाई नहीं की है। पिछले महीने जब प्रमुख सचिव मिग्सुन ग्रीन मेंशन सोसाइटी के सीसी जारी करने की शुरुआत करने आए थे उससे पहले बिल्डर पर यूपीसीडा ने कुछ दबाव बनाया था जिसके कारण बिल्डर ने 8 लाख रुपए यूपीसीडा में जमा किया लेकिन उसके बाद भी बिल्डर और यूपीसीडा दोनों सुस्त पड़ गए।


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