Dadri BJP News : रानी अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी जयंती पर दादरी में ऐतिहासिक उत्सव, नारी सशक्तिकरण, सांस्कृतिक जागरण और लोक कल्याण के मंत्रों से गूंजा मोहन कुंज भवन

दादरी, रफ्तार टुडे।
भारत की वीरांगनाओं की गौरवशाली परंपरा को नमन करते हुए दादरी विधानसभा में स्थित मोहन कुंज भवन में एक ऐतिहासिक और भव्य समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन था – रानी अहिल्याबाई होल्कर जी की 300वीं जयंती के अवसर पर, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की महारानी होकर भारत की राजनीति, धर्म, समाज और संस्कृति को एक नई दिशा दी थी। इस त्रिशताब्दी समारोह ने इतिहास, श्रद्धा, और आधुनिक सोच का संगम प्रस्तुत किया, जिसमें 1500+ से अधिक लोगों ने भाग लेकर इसे जन-जागरण का पर्व बना दिया।
राजनीतिक गरिमा से परिपूर्ण रहा आयोजन: महिला सम्मान का मंच बना दादरी
इस विशेष अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े चेहरे कार्यक्रम में मौजूद रहे। मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद माननीया श्रीमती कान्ता कर्दम जी ने मंच की शोभा बढ़ाई। वहीं दादरी विधायक मास्टर तेजपाल नागर, नगरपालिका अध्यक्ष गीता पंडित और भाजपा जिलाध्यक्ष अभिषेक शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता भी समारोह में प्रमुखता से मौजूद रहे।
शक्ति, श्रद्धा और न्याय की त्रिवेणी थीं रानी अहिल्याबाई: कान्ता कर्दम
पूर्व सांसद कान्ता कर्दम जी ने अपने प्रेरणास्पद उद्बोधन में कहा:
“रानी अहिल्याबाई एक ऐसी शासिका थीं जिन्होंने नारी शक्ति की परिभाषा को 18वीं सदी में ही नया आयाम दिया।“
उन्होंने बताया कि कैसे औरंगाबाद के चोंडी गांव की एक सामान्य कन्या भारत की सांस्कृतिक चेतना की प्रतीक बन गईं।
कर्दम जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महिलाओं के संसद में 30% आरक्षण देने की पहल को रानी अहिल्याबाई के विचारों से जोड़ते हुए कहा कि आज की महिला सशक्त हो रही है, क्योंकि उसके भीतर अहिल्याबाई जैसी चेतना जाग चुकी है।
रानी अहिल्याबाई की जीवनगाथा: संघर्ष से सत्ता तक का अद्भुत सफर
- जन्म: 31 मई 1725, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
- बचपन में ही पिता मंकोजी शिंदे ने परंपरा तोड़कर उन्हें शिक्षा दिलाई
- विवाह के बाद मालवा के होल्कर राजवंश की रानी बनीं
- 1767 में पति की मृत्यु के बाद प्रशासन संभाला
- उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर केदारनाथ तक मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया
- उन्होंने कुएं, विश्रामगृह, सड़कों और जन-कल्याण कार्यों में खुद को समर्पित किया
- वे शिव भक्ति, नारी शिक्षा, न्यायप्रियता और सामाजिक समरसता की प्रतीक बनीं
विधायक तेजपाल नागर बोले: “रानी अहिल्याबाई थीं धर्म और जनसेवा की देवप्रतिमा”
अपने संबोधन में विधायक मास्टर तेजपाल नागर ने कहा कि
“अहिल्याबाई ने शासन को एक सेवा का माध्यम माना, उन्होंने काशी, अयोध्या, उज्जैन जैसे धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण कर संपूर्ण भारत को जोड़ने का काम किया।“
उन्होंने कहा कि आज भाजपा की सरकारें उन्हीं विचारों पर काम कर रही हैं, जहाँ “राजनीति” नहीं बल्कि “जननीति” का आदर्श लिया गया है।

अभिषेक शर्मा ने किया ऐतिहासिक तथ्यों का वर्णन: राम पंचायतन से भारत गौरव तक
भाजपा जिलाध्यक्ष अभिषेक शर्मा ने बताया कि
“काशी में भगवान राम, सीता माता, लक्ष्मण, हनुमान और शत्रुघ्न की पंचायतन मूर्तियाँ रानी अहिल्याबाई द्वारा स्थापित की गई थीं, जो आज भी वहां मौजूद हैं।“
उन्होंने कहा कि हमें चाहिए कि हम अपनी अगली पीढ़ी को ऐसे गौरवशाली इतिहास से जोड़ें और रानी अहिल्याबाई के जैसे नेतृत्व का आदर्श प्रस्तुत करें।
धर्मेन्द्र कोरी के संचालन में चला कार्यक्रम, नारीशक्ति की दिखी विशेष भागीदारी
कार्यक्रम का संचालन भाजपा जिला महामंत्री धर्मेन्द्र कोरी ने किया, जो पूरे आयोजन को सांस्कृतिक गरिमा और अनुशासन के साथ आगे बढ़ाते रहे।
विशेष बात यह रही कि समारोह में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं उपस्थित रहीं, जिनमें सामाजिक कार्यकर्ता, भाजपा महिला मोर्चा की सदस्याएं और आम गृहिणियां शामिल थीं। सभी ने एक स्वर में रानी अहिल्याबाई को “नारी आदर्श” बताया।
नगरपालिका अध्यक्ष गीता पंडित से लेकर सांसद प्रतिनिधि बलराज भाटी तक जुटे लोग
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में शामिल रहे:
- गीता पंडित – नगरपालिका अध्यक्ष
- राजीव सिंघल – नगराध्यक्ष
- बलराज भाटी – सांसद प्रतिनिधि
- डॉ. आरती पाल, संगीता रावल, अर्पणा सिंह, राजकुमारी शर्मा, विमल पुंडीर, अश्वनी गोयल, रुस्तम बघेल, ओमकार भाटी, राज नागर, वीरेंद्र भाटी, रवि जिन्दल, हरिओम शर्मा, पंकज तरुण भारद्वाज, अमित जैन, अभिषेक कौशिक, केशव गोयल, बॉबी देवी, आदि
नारी सशक्तिकरण की नई राह: यह आयोजन बना प्रेरणा का प्रतीक
इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय समाज इतिहास से प्रेरणा लेकर वर्तमान में दिशा खोज रहा है।
आज की महिला रानी अहिल्याबाई की भांति नेतृत्व करने को तैयार है, चाहे वह राजनीति हो, समाज सेवा हो या शिक्षा का क्षेत्र।
सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय चेतना का संगम
रानी अहिल्याबाई त्रिशताब्दी जयंती समारोह केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक संस्कृति, नारी चेतना और राष्ट्रीय गौरव का मिलन था।
इससे युवाओं को इतिहास की गहराई और महिलाओं को भविष्य की प्रेरणा मिली। आयोजकों ने इसे प्रत्येक वर्ष मनाने की बात कही और इसे प्रदेश स्तरीय आयोजन बनाने की घोषणा भी की।
#RaftarToday विशेष संकल्प: इतिहास के ऐसे गौरवशाली क्षणों को प्रत्येक जन तक पहुंचाना
इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि इतिहास, जब जन-मानस से जुड़ता है, तब वह केवल स्मृति नहीं, प्रेरणा बन जाता है।
Raftar Today ऐसे सभी आयोजनों को आप तक लाने, जोड़ने और प्रेरित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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