Big Breaking News : बिना यूरिन टेस्ट कर बनाए रिपोर्ट!, नोएडा के इस हॉस्पिटल पर गंभीर आरोप, मरीज के बेटे ने उठाई स्वास्थ्य तंत्र की साख पर उंगली, मरीज के परिजन हैरान, सीएमओ से शिकायत के बाद बढ़ी हलचल
🔬 जब रिपोर्ट पहले आई, सैंपल बाद में भी नहीं गया — मरीज के परिजन हैरान, सीएमओ से शिकायत के बाद बढ़ी हलचल

नोएडा, रफ्तार टुडे।
स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता पर भरोसा तब टूट जाता है, जब मरीजों के साथ विश्वासघात होने लगे। नोएडा के प्रतिष्ठित फेलिक्स हॉस्पिटल (Felix Hospital) से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक मरीज के परिजनों ने अस्पताल पर बिना सैंपल लिए फर्जी रिपोर्ट भेजने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। इस आरोप के बाद से स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन और शहरवासी सब सकते में हैं।
“रिपोर्ट देखकर दिमाग सुन्न हो गया” — बोले मरीज के बेटे देवेंद्र
यह मामला नोएडा के सेक्टर-137 स्थित फेलिक्स हॉस्पिटल का है। मरीज के बेटे देवेंद्र चौहान ने आरोप लगाया कि उनकी मां की तबीयत खराब होने पर उन्होंने अस्पताल में फुल बॉडी चेकअप कराया। ₹2000 का भुगतान करने के बाद ब्लड सैंपल लिया गया, लेकिन यूरिन सैंपल वे अस्पताल में किसी कारणवश जमा नहीं करा पाए।
इसके बावजूद, देवेंद्र को कुछ घंटों बाद ईमेल पर मेडिकल रिपोर्ट मिल गई, जिसमें यूरिन टेस्ट को भी ‘नेगेटिव’ बताया गया था। रिपोर्ट देखकर देवेंद्र हैरान रह गए। उन्होंने कहा:
“जिस सैंपल को हमने दिया ही नहीं, उसकी रिपोर्ट कैसे आ गई? यह न सिर्फ लापरवाही है बल्कि फर्जीवाड़ा है। अगर एक रिपोर्ट झूठी है, तो बाकी रिपोर्टों पर कैसे भरोसा किया जाए?”
फेलिक्स हॉस्पिटल की चुप्पी ने बढ़ाई संदेह की लकीरें
रफ्तार टुडे ने जब इस मामले पर फेलिक्स हॉस्पिटल के MD से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने शुरुआत में कहा कि:
“हम एफआईआर दर्ज करवाएंगे।”
लेकिन इसके बाद न तो कोई एफआईआर दर्ज हुई, न ही अस्पताल ने कोई आधिकारिक बयान जारी किया। अब अस्पताल के प्रतिनिधि फोन कॉल्स का भी जवाब नहीं दे रहे हैं, जिससे मामले पर और धुंध छा गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने लिया संज्ञान, सीएमओ ऑफिस से आया कॉल
देवेंद्र चौहान ने इस घटना की शिकायत 6 जून को गौतम बुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) और जिलाधिकारी को दी थी। इसके बाद 11 जून को सीएमओ ऑफिस से उन्हें कॉल आया, जिसमें उनसे मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा गया।
देवेंद्र ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे इस मामले को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने कहा:
“अगर एक मरीज के साथ यह हो सकता है, तो सैकड़ों लोग रोजाना लुट सकते हैं। यह एक सुनियोजित मेडिकल घोटाले की शुरुआत हो सकती है।”
क्या यह सिर्फ एक अस्पताल की गलती है या एक सिस्टम की विफलता?
यह सवाल अब शहर भर में गूंज रहा है कि क्या इस तरह की घटनाएं सिर्फ फेलिक्स हॉस्पिटल तक सीमित हैं या फिर स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक स्तर पर लापरवाही हो रही है? विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह आरोप सही हैं, तो यह मामला केवल लाइसेंस रद्द करने या एफआईआर तक सीमित नहीं रहना चाहिए — यह पूरे हेल्थकेयर सिस्टम पर सर्जरी करने की जरूरत की ओर इशारा है।

जनता ने उठाई निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की मांग
नोएडा के नागरिकों और सोशल मीडिया यूजर्स ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। लोग पूछ रहे हैं:
- क्या हम किसी रिपोर्ट पर अब भरोसा कर सकते हैं?
- क्या अस्पताल सिर्फ पैसा कमाने का जरिया बन चुके हैं?
- किसे जवाबदेह ठहराया जाएगा?
लोगों ने मांग की है कि स्वास्थ्य विभाग को एक स्वतंत्र समिति बनाकर जांच करानी चाहिए और अगर दोष सिद्ध हो, तो अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जाए।
📢 बात नोएडा की नहीं, पूरे प्रदेश की है
देवेंद्र चौहान ने एक दूसरे न्यूज़ चैनल को दिय गए इंटरव्यू मे कहा है:
“यह सिर्फ मेरी मां का मामला नहीं है। यह पूरे प्रदेश के लोगों की जिंदगी से जुड़ा है। अगर आज हम चुप रहे, तो कल कोई और भुगतेगा।”
रफ्तार टुडे की विशेष रिपोर्ट: फर्जी मेडिकल रिपोर्ट — सच या साजिश?
रफ्तार टुडे इस मामले की हर अपडेट पर नजर बनाए हुए है। हम जानने की कोशिश कर रहे हैं कि:
- क्या अन्य मरीजों को भी इसी तरह की रिपोर्ट मिली है?
- क्या अस्पताल का आंतरिक डेटा जांच के लायक है?
- क्या प्रशासनिक दबाव के चलते मामला दबाया जा रहा है?
✅ जनता की भूमिका: जागरूक बनें, आवाज उठाएं!
इस प्रकरण से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि जनता को अपनी आंखें खोलनी होंगी।
- किसी भी जांच रिपोर्ट को बिना प्रमाण के स्वीकार न करें।
- डॉक्टरों और अस्पतालों से सवाल पूछें।
- अगर कोई गड़बड़ी हो, तो शिकायत करने से न डरें।
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