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Samajwadi Party News : समाजवादी पार्टी में बड़ी कार्रवाई, तीन सिटिंग विधायकों की छुट्टी!, “जन-विरोधी सोच और पीडीए के खिलाफ विचार” बताकर मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह को किया गया निष्कासित

लखनऊ, रफ़्तार टुडे।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमवार का दिन तीन सपा विधायकों के लिए भारी पड़ गया, जब समाजवादी पार्टी ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। ये तीनों विधायक—मनोज कुमार पांडेय (ऊंचाहार), राकेश प्रताप सिंह (गौरीगंज) और अभय सिंह (गोसाईगंज)—अब समाजवादी कुनबे का हिस्सा नहीं रहे।

पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस फैसले की जानकारी साझा करते हुए लिखा कि इन नेताओं को सांप्रदायिक, विभाजनकारी और जनविरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर निष्कासित किया गया है।


सख्त शब्दों में पार्टी का संदेश: “जहां रहें, विश्वसनीय रहें”

सपा के आधिकारिक बयान के अनुसार,

“विधायक अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज कुमार पांडेय को उनकी किसान विरोधी, महिला विरोधी, युवा विरोधी, नौकरीपेशा विरोधी और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा के कारण पार्टी से निष्कासित किया गया है।”

सपा ने आगे यह भी स्पष्ट किया कि इन विधायकों को पहले ही ‘हृदय परिवर्तन’ के लिए पर्याप्त समय दिया गया था, लेकिन इनकी विचारधारा पार्टी की मूल सोच से मेल नहीं खा रही थी। अब ‘अनुग्रह अवधि’ की समय सीमा समाप्त हो चुकी है और पार्टी में ऐसे जन-विरोधी तत्वों के लिए कोई स्थान नहीं है।


कौन हैं ये तीन विधायक? क्या रही इनकी भूमिका?

1️⃣ मनोज कुमार पांडेय (विधायक, ऊंचाहार):

पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके पांडेय सपा के प्रमुख रणनीतिकारों में एक समय गिने जाते थे। उन्हें अखिलेश यादव के करीबी नेताओं में माना जाता था, लेकिन बीते कुछ महीनों में उनके बयानों और गतिविधियों से पार्टी नेतृत्व असहज था।

2️⃣ राकेश प्रताप सिंह (विधायक, गौरीगंज):

अमेठी के गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह अपनी बागी छवि के लिए पहले से ही चर्चा में रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कई मंचों से पार्टी लाइन के विरुद्ध वक्तव्य दिए थे, जिससे संगठन में नाराजगी व्याप्त थी।

3️⃣ अभय सिंह (विधायक, गोसाईगंज):

फैजाबाद जनपद से आने वाले अभय सिंह का नाम भी विवादों और आक्रामक बयानबाजी में शामिल रहा है। उनकी क्षेत्रीय राजनीतिक गतिविधियां अकसर सपा की रीति-नीति के विरुद्ध मानी गईं।


‘पीडीए’ यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक गठजोड़ के खिलाफ रुख पर आपत्ति

समाजवादी पार्टी ने अपने बयान में विशेष रूप से ‘पीडीए विरोधी विचारधारा’ का उल्लेख किया है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘पीडीए’ गठजोड़ को अपने राजनीतिक एजेंडे की रीढ़ बताया था। इन विधायकों पर आरोप है कि इन्होंने अपने वक्तव्यों और क्रियाकलापों से इस एजेंडे को कमजोर करने का प्रयास किया।


पार्टी में अंदरूनी असंतोष का संकेत या अनुशासन का उदाहरण?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निष्कासन एक तरफ जहां संगठन के अनुशासन को दिखाता है, वहीं दूसरी तरफ यह भी संकेत देता है कि सपा में विचारधारा की स्पष्ट सीमा रेखा अब और सख्त हो रही है। खासतौर पर लोकसभा चुनाव 2024 के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी को नए सिरे से पुनर्गठित और अनुशासित करने में लगे हैं।


अब आगे क्या?

इन तीनों विधायकों की आगे की राजनीतिक दिशा को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों की मानें तो इनमें से कुछ भाजपा या कांग्रेस में संपर्क बना चुके हैं, जबकि कुछ निर्दलीय राजनीति के विकल्प तलाश सकते हैं।


समाजवादी पार्टी का स्पष्ट संदेश — विचारधारा से समझौता नहीं!

सपा ने यह भी जोड़ा कि,

“भविष्य में भी ‘जन-विरोधी’ लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा और पार्टी के मूल विचार की विरोधी गतिविधियां सदैव अक्षम्य मानी जाएंगी।”

यह वक्तव्य सीधे तौर पर उन नेताओं को भी चेतावनी देता है जो पार्टी में रहते हुए वैचारिक विचलन की कोशिश कर रहे हैं।


निष्कर्ष:

समाजवादी पार्टी के इस निर्णय से एक स्पष्ट संकेत मिला है कि पार्टी अब अपनी विचारधारा, पीडीए नीति और अनुशासन से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगी। यह केवल तीन नेताओं का निष्कासन नहीं बल्कि एक राजनीतिक रीसेट का भी संकेत है।


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