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Sirsa Of Shiromani Akali Dal Badal Faction Joined Bjp – शिरोमणि अकाली दल बादल गुट के सिरसा ने भाजपा का दामन थामा

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नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल बादल गुट के मनजिंदर सिंह सिरसा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। बादल गुट दिल्ली प्रदेश के नेता सिरसा ने यूं ही अपनी पार्टी से मुंह नहीं मोड़ा है। विरोधी पार्टी के सिख नेताओं के बार-बार लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोप, अदालत में चल रहे मामले व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सत्ता पर काबिज होता नहीं देख सिरसा ने पासा पलटा है। हालांकि वह पहले भी भाजपा के साथ गठबंधन के तहत दिल्ली विधानसभा चुनाव कमल निशान पर लड़ चुके हैं।
बादल गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे सिरसा के भाजपा में शामिल होने के कई मायने-मतलब निकाले जा रहे हैं। बादल गुट से किनारा करने के पीछे आला कमान की नाराजगी तो वजह है ही, साथ ही दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव हारने के बाद फिर से प्रबंधक कमेटी की सत्ता पर काबिज होना उनके लिए मुश्किल हो रहा था तो दूसरा गुरुमुखी चुनाव में फेल होने के बाद रास्ता करीब-करीब बंद हो गया। दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय का विरोध करने से भी निदेशालय का रुख सिरसा के प्रति ठीक नहीं है।
सरना गुट ने आक्रामक तेवर अख्तियार किया
उधर, सरना गुट ने सिरसा के खिलाफ आक्रामक तेवर अख्तियार कर लिया है। इस गुट ने भ्रष्टाचार के कई आरोप सिरसा पर मढ़े हैं, साथ ही कई मामले तो अदालत तक भी लेकर गए हैं। प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना गुरु की गोलक का दुरुपयोग करने का आरोप लगातार मढ़ रहे हैं। प्रबंधक कमेटी के मुख्य कार्यालय गुरुद्वारा रकाबगंज पहुंचकर औचक निरीक्षण में 38 लाख रुपये के पुराने नोट प्रबंधक कमेटी के खजाने में मिलने का पर्दाफाश किया। उधर, बार-बार लगने वाले आरोप की वजह से शिरोमणि अकाली दल बादल गुट पर भी भ्रष्टाचारियों का साथ देने का आरोप विपक्षी पार्टी लगाने लगी थी। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान व जागो पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके भी सिरसा के खिलाफ मोर्चा खोलने में सरना दल के सहयोगी बने हुए हैं। ऐसे में सिरसा के लिए दिल्ली की सिख राजनीति में दबदबा बनाना बेहद मुश्किल हो रहा था।
राजनीति के जानकार बता रहे कई कारण
उधर, सिरसा को भाजपा में शामिल कराने के पीछे भी कई वजहें राजनीति के जानकार बता रहे है। सिख राजनीति के जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान सिरसा ने किसानों का खूब समर्थन किया। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे पंजाब व हरियाणा के किसानों को हर तरह से मदद गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सिरसा ने की। अब जब कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं तो भाजपा की तरफ से सिरसा का उपयोग किया जाएगा।

नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल बादल गुट के मनजिंदर सिंह सिरसा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। बादल गुट दिल्ली प्रदेश के नेता सिरसा ने यूं ही अपनी पार्टी से मुंह नहीं मोड़ा है। विरोधी पार्टी के सिख नेताओं के बार-बार लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोप, अदालत में चल रहे मामले व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सत्ता पर काबिज होता नहीं देख सिरसा ने पासा पलटा है। हालांकि वह पहले भी भाजपा के साथ गठबंधन के तहत दिल्ली विधानसभा चुनाव कमल निशान पर लड़ चुके हैं।

बादल गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे सिरसा के भाजपा में शामिल होने के कई मायने-मतलब निकाले जा रहे हैं। बादल गुट से किनारा करने के पीछे आला कमान की नाराजगी तो वजह है ही, साथ ही दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव हारने के बाद फिर से प्रबंधक कमेटी की सत्ता पर काबिज होना उनके लिए मुश्किल हो रहा था तो दूसरा गुरुमुखी चुनाव में फेल होने के बाद रास्ता करीब-करीब बंद हो गया। दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय का विरोध करने से भी निदेशालय का रुख सिरसा के प्रति ठीक नहीं है।

सरना गुट ने आक्रामक तेवर अख्तियार किया

उधर, सरना गुट ने सिरसा के खिलाफ आक्रामक तेवर अख्तियार कर लिया है। इस गुट ने भ्रष्टाचार के कई आरोप सिरसा पर मढ़े हैं, साथ ही कई मामले तो अदालत तक भी लेकर गए हैं। प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना गुरु की गोलक का दुरुपयोग करने का आरोप लगातार मढ़ रहे हैं। प्रबंधक कमेटी के मुख्य कार्यालय गुरुद्वारा रकाबगंज पहुंचकर औचक निरीक्षण में 38 लाख रुपये के पुराने नोट प्रबंधक कमेटी के खजाने में मिलने का पर्दाफाश किया। उधर, बार-बार लगने वाले आरोप की वजह से शिरोमणि अकाली दल बादल गुट पर भी भ्रष्टाचारियों का साथ देने का आरोप विपक्षी पार्टी लगाने लगी थी। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान व जागो पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके भी सिरसा के खिलाफ मोर्चा खोलने में सरना दल के सहयोगी बने हुए हैं। ऐसे में सिरसा के लिए दिल्ली की सिख राजनीति में दबदबा बनाना बेहद मुश्किल हो रहा था।

राजनीति के जानकार बता रहे कई कारण

उधर, सिरसा को भाजपा में शामिल कराने के पीछे भी कई वजहें राजनीति के जानकार बता रहे है। सिख राजनीति के जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान सिरसा ने किसानों का खूब समर्थन किया। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे पंजाब व हरियाणा के किसानों को हर तरह से मदद गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सिरसा ने की। अब जब कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं तो भाजपा की तरफ से सिरसा का उपयोग किया जाएगा।

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