अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: सुशील कुमार
Updated Tue, 21 Dec 2021 09:28 PM IST
सार
राजस्थान के बीकानेर निवासी इस बच्ची को वोल्फ-पार्किंसंस-व्हाइट (डब्ल्यूपीडब्लू) सिंड्रोम नामक बीमारी थी। इस बीमारी में दिल की धड़कन में अनियमितता के साथ गंभीर दौरे भी पड़ते हैं।
बच्ची को मिला नया जीवन।
– फोटो : अमर उजाला
हर साल दुनिया भर में करीब एक हजार में से किसी एक बच्ची को दिल की दुर्लभ बीमारी होती है। ऐसी ही एक बीमारी वोल्व पार्किसंस व्हाइट (डव्ल्यूपीडब्लू) से ग्रस्त एक बच्ची को डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है। तीन वर्षीय इस बच्चे को राजधानी के मैक्स साकेत अस्पताल में उपचार मिला। डॉक्टरों ने इनवेसिव रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन तकनीक के जरिए बच्चे का जीवन बचा लिया।
राजस्थान के बीकानेर निवासी इस बच्ची को वोल्फ-पार्किंसंस-व्हाइट (डब्ल्यूपीडब्लू) सिंड्रोम नामक बीमारी थी। इस बीमारी में दिल की धड़कन में अनियमितता के साथ गंभीर दौरे भी पड़ते हैं। इसके लिए जन्म से ही आईसीयू चिकित्सा की जरूरत पड़ती है। अलग-अलग अस्पतालों से रेफर होने के बाद जब बच्ची को अस्पताल लाया गया तो यहां डॉक्टरों ने चिकित्सीय जांच के बाद इस बीमारी का पता लगाया। इसके बाद डॉ. बलबीर सिंह ने न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के जरिए बच्ची का जीवन बचा लिया।
डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी में बच्चा के दिल के एट्रियोवेंट्रिकुलर नोड में एक अतिरिक्त विद्युत तंत्रिका मार्ग के साथ पैदा होता है, जो अतिरिक्त आवेग की आपूर्ति करता है जिससे असामान्य रूप से तेज दिल की धड़कन (250 बीपीएम से अधिक) हो जाती है। डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि ऐसे मामलों में जान का जोखिम काफी रहता है।
उन्होंने बताया कि पांच माह की आयु में ही बच्ची को अस्पताल में भर्ती करना पड़ गया था। उस दौरान बच्ची को निमोनिया हो गया था। इसके बाद अमेरिका के डॉक्टरों से भी माता-पिता ने परामर्श लिया था। डॉ. नीरज अवस्थी ने बताया कि फिलहाल बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। उसकी चिकित्सीय निगरानी चल रही है। बच्ची को अभी अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है, लेकिन फॉलोअप के लिए बुलाया जा रहा है।
विस्तार
हर साल दुनिया भर में करीब एक हजार में से किसी एक बच्ची को दिल की दुर्लभ बीमारी होती है। ऐसी ही एक बीमारी वोल्व पार्किसंस व्हाइट (डव्ल्यूपीडब्लू) से ग्रस्त एक बच्ची को डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है। तीन वर्षीय इस बच्चे को राजधानी के मैक्स साकेत अस्पताल में उपचार मिला। डॉक्टरों ने इनवेसिव रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन तकनीक के जरिए बच्चे का जीवन बचा लिया।
राजस्थान के बीकानेर निवासी इस बच्ची को वोल्फ-पार्किंसंस-व्हाइट (डब्ल्यूपीडब्लू) सिंड्रोम नामक बीमारी थी। इस बीमारी में दिल की धड़कन में अनियमितता के साथ गंभीर दौरे भी पड़ते हैं। इसके लिए जन्म से ही आईसीयू चिकित्सा की जरूरत पड़ती है। अलग-अलग अस्पतालों से रेफर होने के बाद जब बच्ची को अस्पताल लाया गया तो यहां डॉक्टरों ने चिकित्सीय जांच के बाद इस बीमारी का पता लगाया। इसके बाद डॉ. बलबीर सिंह ने न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के जरिए बच्ची का जीवन बचा लिया।
डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी में बच्चा के दिल के एट्रियोवेंट्रिकुलर नोड में एक अतिरिक्त विद्युत तंत्रिका मार्ग के साथ पैदा होता है, जो अतिरिक्त आवेग की आपूर्ति करता है जिससे असामान्य रूप से तेज दिल की धड़कन (250 बीपीएम से अधिक) हो जाती है। डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि ऐसे मामलों में जान का जोखिम काफी रहता है।
उन्होंने बताया कि पांच माह की आयु में ही बच्ची को अस्पताल में भर्ती करना पड़ गया था। उस दौरान बच्ची को निमोनिया हो गया था। इसके बाद अमेरिका के डॉक्टरों से भी माता-पिता ने परामर्श लिया था। डॉ. नीरज अवस्थी ने बताया कि फिलहाल बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। उसकी चिकित्सीय निगरानी चल रही है। बच्ची को अभी अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है, लेकिन फॉलोअप के लिए बुलाया जा रहा है।
Source link