अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 24 Dec 2021 06:44 AM IST
सार
अदालत ने कहा कई बार पत्नियां केवल परिवार के लिए अपना कॅरियर बलिदान करती हैं।
कोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर।)
– फोटो : iStock
उच्च न्यायालय ने कहा है कि पत्नी कमाई करने में सक्षम है ऐसे में उसे अंतरिम रखरखाव राशि से वंचित नहीं किया जा सकता और न ही यह इनकार करने का कोई आधार है। अदालत ने कहा कई बार पत्नियां केवल परिवार के लिए अपना कॅरियर बलिदान करती हैं।
अदालत ने यह टिप्पणी सेना के कर्नल द्वारा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने संबंधी याचिका का निपटारा करते हुए की।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा सीआरपीसी की धारा 125 का उद्देश्य एक ऐसी महिला की पीड़ा और वित्तीय पीड़ा को कम करना है, जो अपना वैवाहिक घर छोड़ देती है, ताकि उसे और उसके बच्चे को देखभाल की कुछ व्यवस्था की जा सके।
याची भारतीय सेना के कर्नल पति ने उनकी पत्नी को 33,500 रुपये मासिक भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश देने संबंधी फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क रखा कि उनकी पत्नी ने कई तथ्यों को छिपाया और उस आधार पर उसे भरण-पोषण दिए जाने से अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।
विस्तार
उच्च न्यायालय ने कहा है कि पत्नी कमाई करने में सक्षम है ऐसे में उसे अंतरिम रखरखाव राशि से वंचित नहीं किया जा सकता और न ही यह इनकार करने का कोई आधार है। अदालत ने कहा कई बार पत्नियां केवल परिवार के लिए अपना कॅरियर बलिदान करती हैं।
अदालत ने यह टिप्पणी सेना के कर्नल द्वारा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने संबंधी याचिका का निपटारा करते हुए की।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा सीआरपीसी की धारा 125 का उद्देश्य एक ऐसी महिला की पीड़ा और वित्तीय पीड़ा को कम करना है, जो अपना वैवाहिक घर छोड़ देती है, ताकि उसे और उसके बच्चे को देखभाल की कुछ व्यवस्था की जा सके।
याची भारतीय सेना के कर्नल पति ने उनकी पत्नी को 33,500 रुपये मासिक भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश देने संबंधी फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क रखा कि उनकी पत्नी ने कई तथ्यों को छिपाया और उस आधार पर उसे भरण-पोषण दिए जाने से अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।
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