अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 25 Dec 2021 05:43 AM IST
सार
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष चतुर्वेदी ने लिखी है, राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने किया विमोचन।
पुस्तक लोकार्पण समारोह…
– फोटो : अमर उजाला
पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वह एक पत्रकार, गांधीवादी चिंतक, सामाजिक, वैचारिक लड़ाई के प्रणेता और उससे भी कुछ ज्यादा थे। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष चतुर्वेदी की पुस्तक ‘यायावर शब्दशिल्पी- पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी’ के लोकार्पण के मौके पर यह बात कही।
दो बार के राज्यसभा सांसद रहे पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी के जन्मदिन के मौके पर शुक्रवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें ओरछा नरेश मधुकर शाह, प्रभात प्रकाशन प्रमुख प्रभात कुमार, पत्रकार व पुस्तक के लेखक आशुतोष चतुर्वेदी व कई महत्वपूर्ण लोग उपस्थित रहे। उपसभापति हरिवंश ने कहा कि पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी आखिरी गांधीवादी थे।
उन्होंने समाज सुधार के लिए एक लाख से अधिक पत्र लिखे, जिसमें से एक भी अपने परिवार के लिए नहीं लिखे। उन्होंने दुनिया की विशिष्ट ज्ञान संपदा को हिंदी के पाठकों तक पहुंचाया। वह लिखते रहे, उनके लेखन से हमेशा दूसरों का भला हुआ। उन्होंने जनपदीय आंदोलन खड़ा किया। क्रांतिकारियों और उनके परिजनों की परेशानियां लोगों को बताई। शहीद चंद्रशेखर आजाद की मां की परेशानियों को उन्होंने समाज के सामने रखा। 1952 से 1964 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे।
पंडितजी ने हमेशा हिंदी के लिए काम किया
लेखक आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि पंडितजी ने हमेशा हिंदी के लिए काम किया। उन्होंने दिल्ली के अलावा दूसरे शहरों में हिंदी भवन का निर्माण कराया। पत्रकारों के मिनिमम वेजेज के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उनके जीवन से प्रभावित होकर उन्होंने यह किताब लिखी।
पुस्तक एक बहुआयामी व्यक्तित्व की झलक
हरिवंश ने कहा कि आशुतोष चतुर्वेदी की पुस्तक एक बहुआयामी व्यक्तित्व की झलक है। पंडित बनारसीदास के परिजन भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। उनके पौत्र अपूर्व चतुर्वेदी ने कहा कि उनके दादा के विषय में जितना लिखा गया है, उससे ज्यादा लिखने की आवश्यकता है। आशुतोष चतुर्वेदी द्वारा उन पर लिखी पुस्तक के लिए उन्होंने धन्यवाद दिया। ओरछा के राजा मधुकर शाह ने कहा कि महात्मा गांधी के व्यक्तित्व ने कई लोगों को जन्म दिया, पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी उनमें से एक थे।
विस्तार
पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वह एक पत्रकार, गांधीवादी चिंतक, सामाजिक, वैचारिक लड़ाई के प्रणेता और उससे भी कुछ ज्यादा थे। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष चतुर्वेदी की पुस्तक ‘यायावर शब्दशिल्पी- पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी’ के लोकार्पण के मौके पर यह बात कही।
दो बार के राज्यसभा सांसद रहे पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी के जन्मदिन के मौके पर शुक्रवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें ओरछा नरेश मधुकर शाह, प्रभात प्रकाशन प्रमुख प्रभात कुमार, पत्रकार व पुस्तक के लेखक आशुतोष चतुर्वेदी व कई महत्वपूर्ण लोग उपस्थित रहे। उपसभापति हरिवंश ने कहा कि पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी आखिरी गांधीवादी थे।
उन्होंने समाज सुधार के लिए एक लाख से अधिक पत्र लिखे, जिसमें से एक भी अपने परिवार के लिए नहीं लिखे। उन्होंने दुनिया की विशिष्ट ज्ञान संपदा को हिंदी के पाठकों तक पहुंचाया। वह लिखते रहे, उनके लेखन से हमेशा दूसरों का भला हुआ। उन्होंने जनपदीय आंदोलन खड़ा किया। क्रांतिकारियों और उनके परिजनों की परेशानियां लोगों को बताई। शहीद चंद्रशेखर आजाद की मां की परेशानियों को उन्होंने समाज के सामने रखा। 1952 से 1964 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे।
पंडितजी ने हमेशा हिंदी के लिए काम किया
लेखक आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि पंडितजी ने हमेशा हिंदी के लिए काम किया। उन्होंने दिल्ली के अलावा दूसरे शहरों में हिंदी भवन का निर्माण कराया। पत्रकारों के मिनिमम वेजेज के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उनके जीवन से प्रभावित होकर उन्होंने यह किताब लिखी।
पुस्तक एक बहुआयामी व्यक्तित्व की झलक
हरिवंश ने कहा कि आशुतोष चतुर्वेदी की पुस्तक एक बहुआयामी व्यक्तित्व की झलक है। पंडित बनारसीदास के परिजन भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। उनके पौत्र अपूर्व चतुर्वेदी ने कहा कि उनके दादा के विषय में जितना लिखा गया है, उससे ज्यादा लिखने की आवश्यकता है। आशुतोष चतुर्वेदी द्वारा उन पर लिखी पुस्तक के लिए उन्होंने धन्यवाद दिया। ओरछा के राजा मधुकर शाह ने कहा कि महात्मा गांधी के व्यक्तित्व ने कई लोगों को जन्म दिया, पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी उनमें से एक थे।
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