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नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने माना है कि चुनाव के लिए खड़े उम्मीदवार द्वारा शैक्षिक योग्यता के संबंध में की गई झूठी घोषणा को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) के दायरे में लाया जा सकता है। अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए करोल बाग निर्वाचन क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विशेष रवि के चुनाव को चुनौती देने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता योगेंद्र चंदोलिया द्वारा दायर चुनावी याचिका पर सुनवाई का निर्णय लिया है।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) खंड में ‘उम्मीदवारी के संबंध में’ अभिव्यक्ति में, उसके विचार में, एक उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता के बारे में जानकारी शामिल होनी चाहिए।
उन्होंने कहा मेरे विचार में एक उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता से संबंधित जानकारी शामिल होनी चाहिए, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मतदाताओं को उम्मीदवार के पूर्ववृत्त को जानने का मौलिक अधिकार है। अदालत ने विधायक के उस तर्क को खारिज कर दिया कि याचिका में विस्तृत तथ्य नहीं हैं, ऐसे में उसे खारिज किया जाए।
याचिका में तर्क दिया गया है रवि आठ फरवरी, 2020 को करोल बाग से चुने गए थे। हालांकि उनकी उम्मीदवारी को शून्य घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता के बारे में अपने फॉर्म 26 में गलत जानकारी दी थी। वह यह खुलासा करने में भी विफल रहे थे कि उनके खिलाफ एफआईआर लंबित है।
अदालत ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के साथ-साथ पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कानून के अनुसार एक उम्मीदवार जो अपना नामांकन दाखिल करता है, उसे अपनी शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ अपनी शैक्षणिक योग्यता का खुलासा करना आवश्यक है।
अदालत ने प्राथमिकी के संबंध में कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने का अर्थ एक लंबित आपराधिक मामला नहीं है, लेकिन इससे प्रतिवादी को अपने बचाव में मदद नहीं मिलती है कि उसने पूर्ण प्रकटीकरण किया है।
अदालत ने कहा याची 15 दिनों के भीतर निर्धारित प्रपत्र में नया हलफनामा दाखिल कर फॉर्म-25 में दर्ज आवश्यकताओं के मद्देनजर विस्तृत जानकारी प्रदान करे। अदालत ने मामले की सुनवाई 25 फरवरी 2022 तय की है।
नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने माना है कि चुनाव के लिए खड़े उम्मीदवार द्वारा शैक्षिक योग्यता के संबंध में की गई झूठी घोषणा को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) के दायरे में लाया जा सकता है। अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए करोल बाग निर्वाचन क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विशेष रवि के चुनाव को चुनौती देने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता योगेंद्र चंदोलिया द्वारा दायर चुनावी याचिका पर सुनवाई का निर्णय लिया है।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) खंड में ‘उम्मीदवारी के संबंध में’ अभिव्यक्ति में, उसके विचार में, एक उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता के बारे में जानकारी शामिल होनी चाहिए।
उन्होंने कहा मेरे विचार में एक उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता से संबंधित जानकारी शामिल होनी चाहिए, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मतदाताओं को उम्मीदवार के पूर्ववृत्त को जानने का मौलिक अधिकार है। अदालत ने विधायक के उस तर्क को खारिज कर दिया कि याचिका में विस्तृत तथ्य नहीं हैं, ऐसे में उसे खारिज किया जाए।
याचिका में तर्क दिया गया है रवि आठ फरवरी, 2020 को करोल बाग से चुने गए थे। हालांकि उनकी उम्मीदवारी को शून्य घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता के बारे में अपने फॉर्म 26 में गलत जानकारी दी थी। वह यह खुलासा करने में भी विफल रहे थे कि उनके खिलाफ एफआईआर लंबित है।
अदालत ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के साथ-साथ पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कानून के अनुसार एक उम्मीदवार जो अपना नामांकन दाखिल करता है, उसे अपनी शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ अपनी शैक्षणिक योग्यता का खुलासा करना आवश्यक है।
अदालत ने प्राथमिकी के संबंध में कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने का अर्थ एक लंबित आपराधिक मामला नहीं है, लेकिन इससे प्रतिवादी को अपने बचाव में मदद नहीं मिलती है कि उसने पूर्ण प्रकटीकरण किया है।
अदालत ने कहा याची 15 दिनों के भीतर निर्धारित प्रपत्र में नया हलफनामा दाखिल कर फॉर्म-25 में दर्ज आवश्यकताओं के मद्देनजर विस्तृत जानकारी प्रदान करे। अदालत ने मामले की सुनवाई 25 फरवरी 2022 तय की है।