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नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स मास्टरमाइंड हरविंदर सिंह उर्फ बलजीत उर्फ बल्ली का प्रत्यर्पण कर लंदन से भारत लाने में सफल रही है। स्पेशल सेल की टीम तीन वर्ष की जांच के बाद उसे भारत ला सकी है। स्पेशल सेल लंदन से इस साल हरविंदर समेत दो लोगों को लाई है। इससे पहले मार्च 2021 में किशन सिंह का प्रत्यर्पण कर लाया गया था। गिरोह के सात बदमाश 2018 में गिरफ्तार हो चुके हैं। हरविंदर अभी क्वारंटीन अवधि में है। आगे की पूछताछ क्वारंटीन अवधि खत्म होने के बाद की जाएगी।
स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्पेशल सेल की टीम ने आईजीआई एयरपोर्ट स्थित कार्गो कांप्लेक्स टर्मिनल-2 पर 18 मई, 2018 को छापा मारकर भारी मात्रा में मादक पदार्थों (साइकोट्राफिक) की खेप बरामद की थी। यह खेप लुफ्थांसा एयरलाइंस से लंदन भेजी जा रही थी। स्पेशल सेल ने खेप को भेजने वाले आशीष शर्मा और आसिम अली को गिरफ्तार किया था। इंस्पेक्टर अनुज कुमार ने जांच के बाद अन्य आरोपियों प्रवीण सैनी, राजेन्द्र कुमार, पवन कुमार, ललित सुखीजा और अक्षत गुलिया को भी गिरफ्तार किया। इनके खुलासे के बाद भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद किया गया था। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया था कि गिरोह का सरगना लंदन में रहने वाला भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक हरविंदर उर्फ बलजीत सिंह उर्फ बल्ली है। स्पेशल सेल ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी थी और कोर्ट ने हरविंदर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।
ब्रिटिश सरकार को अनुरोध पत्र भेजा था
भारत सरकार ने हरविंदर का प्रत्यर्पण करने के लिए ब्रिटिश सरकार को अनुरोध पत्र भेजा था। अनुरोध के बाद यूके पुलिस ने उसे फरवरी, 2021 में गिरफ्तार कर लिया। वहां उस पर लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट में मुकदमा चलाया गया था। कोर्ट ने हरविंदर का भारत में प्रत्यर्पण करने की अनुमति दे दी थी। डीसीपी इंगित प्रताप सिंह सिंह, एसीपी राहुल विक्रम व इंस्पेक्टर अनुज कुमार की टीम हरविंदर को लाने के लिए लंदन भेजी गई। हरविंदर को 24 दिसंबर को भारत लाया गया और यहां लाकर उसकी गिरफ्तारी डाली गई।
2008 में ब्रिटिश नागरिकता मिल ली थी
हरविंदर सिंह का जन्म 1972 में अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। 1990 में तालिबान के मुद्दों पर विवाद के बाद वह परिवार के साथ 1991-92 में दिल्ली आ गया। वह 1998 में पहली बार लंदन गया। इसके बाद ये लगातार वहां जाता रहा। वर्ष 2008 में इसे ब्रिटिश नागरिकता मिल गई। इसके बाद से मादक पदार्थों की खरीद व तस्करी का गोरखधंधा करने लगा।
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स मास्टरमाइंड हरविंदर सिंह उर्फ बलजीत उर्फ बल्ली का प्रत्यर्पण कर लंदन से भारत लाने में सफल रही है। स्पेशल सेल की टीम तीन वर्ष की जांच के बाद उसे भारत ला सकी है। स्पेशल सेल लंदन से इस साल हरविंदर समेत दो लोगों को लाई है। इससे पहले मार्च 2021 में किशन सिंह का प्रत्यर्पण कर लाया गया था। गिरोह के सात बदमाश 2018 में गिरफ्तार हो चुके हैं। हरविंदर अभी क्वारंटीन अवधि में है। आगे की पूछताछ क्वारंटीन अवधि खत्म होने के बाद की जाएगी।
स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्पेशल सेल की टीम ने आईजीआई एयरपोर्ट स्थित कार्गो कांप्लेक्स टर्मिनल-2 पर 18 मई, 2018 को छापा मारकर भारी मात्रा में मादक पदार्थों (साइकोट्राफिक) की खेप बरामद की थी। यह खेप लुफ्थांसा एयरलाइंस से लंदन भेजी जा रही थी। स्पेशल सेल ने खेप को भेजने वाले आशीष शर्मा और आसिम अली को गिरफ्तार किया था। इंस्पेक्टर अनुज कुमार ने जांच के बाद अन्य आरोपियों प्रवीण सैनी, राजेन्द्र कुमार, पवन कुमार, ललित सुखीजा और अक्षत गुलिया को भी गिरफ्तार किया। इनके खुलासे के बाद भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद किया गया था। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया था कि गिरोह का सरगना लंदन में रहने वाला भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक हरविंदर उर्फ बलजीत सिंह उर्फ बल्ली है। स्पेशल सेल ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी थी और कोर्ट ने हरविंदर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।
ब्रिटिश सरकार को अनुरोध पत्र भेजा था
भारत सरकार ने हरविंदर का प्रत्यर्पण करने के लिए ब्रिटिश सरकार को अनुरोध पत्र भेजा था। अनुरोध के बाद यूके पुलिस ने उसे फरवरी, 2021 में गिरफ्तार कर लिया। वहां उस पर लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट में मुकदमा चलाया गया था। कोर्ट ने हरविंदर का भारत में प्रत्यर्पण करने की अनुमति दे दी थी। डीसीपी इंगित प्रताप सिंह सिंह, एसीपी राहुल विक्रम व इंस्पेक्टर अनुज कुमार की टीम हरविंदर को लाने के लिए लंदन भेजी गई। हरविंदर को 24 दिसंबर को भारत लाया गया और यहां लाकर उसकी गिरफ्तारी डाली गई।
2008 में ब्रिटिश नागरिकता मिल ली थी
हरविंदर सिंह का जन्म 1972 में अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। 1990 में तालिबान के मुद्दों पर विवाद के बाद वह परिवार के साथ 1991-92 में दिल्ली आ गया। वह 1998 में पहली बार लंदन गया। इसके बाद ये लगातार वहां जाता रहा। वर्ष 2008 में इसे ब्रिटिश नागरिकता मिल गई। इसके बाद से मादक पदार्थों की खरीद व तस्करी का गोरखधंधा करने लगा।