Sharda University News : शारदा विश्वविद्यालय में विधि शिक्षा को मिली नई उड़ान, डॉ. ललित भसीन बने 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस', 60 वर्षों का कानूनी अनुभव अब छात्रों की क्लास में, कोर्ट से क्लासरूम तक पहुंचेगी विशेषज्ञता की सीधी रोशनी

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय ने विधि शिक्षा को एक नई ऊंचाई देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ ने भारत के प्रसिद्ध और वरिष्ठतम विधिवेत्ताओं में शुमार डॉ. ललित भसीन को ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के रूप में नियुक्त किया है। यह नियुक्ति न केवल विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के विधि छात्रों के लिए भी सुनहरा अवसर है।
डॉ. भसीन का विधि जगत में 60 वर्षों से भी अधिक का अनुभव उन्हें छात्रों के लिए एक जीवंत संस्थान बनाता है। ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की यह भूमिका उन्हें अदालतों की जटिलताओं और व्यावसायिक न्यायशास्त्र की बारीकियों को छात्रों तक पहुँचाने के एक सेतु के रूप में प्रस्तुत करती है।
भसीन एंड कंपनी से शारदा विश्वविद्यालय तक: एक प्रेरणादायक यात्रा
डॉ. ललित भसीन, वर्तमान में भसीन एंड कंपनी नामक प्रतिष्ठित लॉ फर्म के मैनेजिंग पार्टनर हैं। वह सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स (SILF) के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं और भारत में कॉरपोरेट कानून, मीडिया कानून और अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून के विशेषज्ञ माने जाते हैं।
उनके पास फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (FCAT), दिल्ली बार काउंसिल और सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (SEPC) जैसे राष्ट्रीय संस्थानों में नेतृत्व के अनुभव हैं। यह सब उन्हें छात्रों के सामने वास्तविक उदाहरणों, केस स्टडी और अनुभवों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की भूमिका क्या है?
यह एक नया शैक्षणिक मॉडल है जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत लागू किया गया है। इसका उद्देश्य अकादमिक और इंडस्ट्री (विधि, व्यापार, टेक्नोलॉजी, आदि) के बीच की खाई को पाटना है।
डॉ. भसीन जैसे वरिष्ठ पेशेवरों की नियुक्ति छात्रों को उन व्यावहारिक चुनौतियों, कानूनी प्रक्रियाओं, और पेशेवर नैतिकता से परिचित कराएगी, जिनसे उन्हें वास्तविक जीवन में दो-चार होना पड़ता है।
‘कोर्ट में जो होता है, वही असली कानून होता है’ – डॉ. भसीन
अपने नियुक्ति समारोह में बोलते हुए डॉ. ललित भसीन ने कहा:
“मुझे शारदा विश्वविद्यालय से जुड़कर अत्यंत गर्व हो रहा है। ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के रूप में मेरी यह भूमिका छात्रों को कानूनी पेशे की बारीकियों से अवगत कराने का एक सशक्त माध्यम होगी। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम विद्यार्थियों को केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रखें, बल्कि उन्हें न्यायालयीन प्रक्रिया, वकालत की व्यावहारिक चुनौतियाँ और नैतिक दायित्वों से भी परिचित कराएँ। अदालतों में जो होता है, वही असली कानून होता है – और छात्रों को क्लासरूम से कोर्टरूम तक की यात्रा को समझने की आवश्यकता है।”
उनके शब्दों ने न केवल उपस्थित शिक्षकों और अधिकारियों को प्रभावित किया, बल्कि विद्यार्थियों में भी गहरी प्रेरणा जगाई।
शारदा विश्वविद्यालय का विज़न: वैश्विक सोच, स्थानीय नेतृत्व
इस नियुक्ति को लेकर शारदा विश्वविद्यालय के चांसलर पीके गुप्ता ने कहा:
“डॉ. भसीन जैसे प्रख्यात विधिवेत्ता का हमारे विश्वविद्यालय से जुड़ना हमारे लिए गर्व का विषय है। यह विधि शिक्षा में वास्तविकता और व्यावहारिकता का सेतु बनेगा। यह नियुक्ति छात्रों को विधिक क्षेत्र की व्यावहारिक चुनौतियों से परिचित कराने में सहायक सिद्ध होगी और अकादमिक नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में स्थापित होगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय निरंतर प्रयासरत है कि विद्यार्थियों को उत्कृष्ट शिक्षक, व्यावहारिक संसाधन और इंटरनशिप के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ।
कार्यक्रम में शामिल रहे कई गणमान्य शिक्षक और अधिकारी
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. विवेक गुप्ता, डीन स्कूल ऑफ लॉ डॉ. ऋषिकेश दवे, डॉ. वैशाली अरोड़ा, प्रोफेसर तारकेश मोलिया, प्रोफेसर राहुल निकम, और प्रोफेसर मंदीप कुमार सहित विधि विभाग के कई शिक्षकगण उपस्थित रहे।
इन सभी ने इस पहल को विधि शिक्षा में एक क्रांतिकारी कदम बताया और विश्वास जताया कि छात्रों को इससे सीधे कोर्ट प्रैक्टिस का अनुभव मिलेगा।
भविष्य की दिशा: एक्सपर्ट व्याख्यान, लाइव केस एनालिसिस और नैतिक प्रशिक्षण
डॉ. भसीन की नियुक्ति के बाद शारदा विश्वविद्यालय अब ऐसे कार्यक्रमों की योजना बना रहा है जिनमें:
- एक्सपर्ट टॉक सीरीज़
- मूट कोर्ट रिहर्सल
- इंटरनशिप गाइडेंस
- नैतिकता पर कार्यशालाएँ
- लाइव केस एनालिसिस
जैसे व्यावसायिक पहलुओं को शामिल किया जाएगा। यह विधि छात्रों को केवल अच्छे ग्रेड ही नहीं, बल्कि वास्तविक पेशेवर क्षमता भी देगा।
कानून की कक्षा से कोर्ट के कटघरे तक – अब कोई फासला नहीं
इस नियुक्ति से छात्रों को अब अपनी पढ़ाई में नया दृष्टिकोण मिलेगा – जहां वे केवल कानूनी धाराएं नहीं रटेंगे, बल्कि उन्हें लागू करने की रणनीति और जमीनी हकीकत भी सीखेंगे।
डॉ. भसीन जैसे व्यक्तित्व से सीधे संवाद और मार्गदर्शन छात्रों में आत्मविश्वास, प्रैक्टिकल समझ और न्याय के प्रति समर्पण की भावना को जन्म देगा।
निष्कर्ष: यह शुरुआत है एक नए युग की
शारदा विश्वविद्यालय ने यह साबित कर दिया है कि अगर शिक्षा को जीवन से जोड़ा जाए, तो वह केवल डिग्री नहीं बल्कि दिशा बन सकती है। डॉ. ललित भसीन की नियुक्ति इसी दिशा में एक ठोस और ऐतिहासिक कदम है।
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