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Petition Filed Seeking To Make Public The Details Of Ed Chief’s Assets – ईडी प्रमुख की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने की मांग याचिका दायर

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) प्रमुख एसके मिश्रा की अचल संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले की ओर से दायर याचिका में दलील दी गई है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा पिछले साल नवंबर में एक कार्यालय आदेश जारी किया गया था। इसमें सभी सिविल सेवकों को वर्ष 2019 तक वार्षिक अचल/चल संपत्ति रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 30 नवंबर, 2020 तय की गई थी। आदेश में कहा गया था कि समय सीमा पूरी करने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।
याची गोखले ने कहा कि मिश्रा भी इस आदेश से बंधे हुए हैं और अपनी अचल संपत्ति रिटर्न दाखिल करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार वर्ष 2018, 2019 और 2020 का उनका सालाना रिटर्न अपलोड नहीं किया गया है।
याचिका में कहा गया था कि मिश्रा का साल 2013 और 2014 का सालाना रिटर्न भी वेबसाइट पर नहीं है। अधिकारियों द्वारा आईपीआर की वार्षिक फाइलिंग और वेबसाइट पर इसे अपलोड करना अत्यधिक सार्वजनिक महत्व का मामला है क्योंकि यह नागरिकों के सूचना और ज्ञान के मौलिक अधिकार का अभिन्न हिस्सा है।
याचिकाकर्ता ने सीबीडीटी वेबसाइट के कैडर मैनेजमेंट सिस्टम डाटाबेस पर उक्त अधिकारी के कई वर्षों तक आईपीआरएस के बारे में जानकारी न मिलने की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय वित्त मंत्री को ट्वीट कर दी।
हालांकि उन्हें आशीष महर्षि नाम के एक पत्रकार ने सूचित किया कि अधिकारी द्वारा वार्षिक आईपीआरएस पहले ही दायर किए जा चुके हैं लेकिन वेबसाइट पर अपडेट नहीं किए गए हैं।
याचिका में कहा गया है कि वेबसाइट पर इस तरह की जानकारी को अप-टू-डेट रखना पारदर्शिता के लिए जरूरी है। यह महत्वपूर्ण है कि वेबसाइट पर डाटाबेस को बनाए रखने और अपडेट करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाए। गोखले ने इन महत्वपूर्ण विवरणों को अपलोड करने में विफल रहने के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच की भी मांग की है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) प्रमुख एसके मिश्रा की अचल संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले की ओर से दायर याचिका में दलील दी गई है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा पिछले साल नवंबर में एक कार्यालय आदेश जारी किया गया था। इसमें सभी सिविल सेवकों को वर्ष 2019 तक वार्षिक अचल/चल संपत्ति रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 30 नवंबर, 2020 तय की गई थी। आदेश में कहा गया था कि समय सीमा पूरी करने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।

याची गोखले ने कहा कि मिश्रा भी इस आदेश से बंधे हुए हैं और अपनी अचल संपत्ति रिटर्न दाखिल करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार वर्ष 2018, 2019 और 2020 का उनका सालाना रिटर्न अपलोड नहीं किया गया है।

याचिका में कहा गया था कि मिश्रा का साल 2013 और 2014 का सालाना रिटर्न भी वेबसाइट पर नहीं है। अधिकारियों द्वारा आईपीआर की वार्षिक फाइलिंग और वेबसाइट पर इसे अपलोड करना अत्यधिक सार्वजनिक महत्व का मामला है क्योंकि यह नागरिकों के सूचना और ज्ञान के मौलिक अधिकार का अभिन्न हिस्सा है।

याचिकाकर्ता ने सीबीडीटी वेबसाइट के कैडर मैनेजमेंट सिस्टम डाटाबेस पर उक्त अधिकारी के कई वर्षों तक आईपीआरएस के बारे में जानकारी न मिलने की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय वित्त मंत्री को ट्वीट कर दी।

हालांकि उन्हें आशीष महर्षि नाम के एक पत्रकार ने सूचित किया कि अधिकारी द्वारा वार्षिक आईपीआरएस पहले ही दायर किए जा चुके हैं लेकिन वेबसाइट पर अपडेट नहीं किए गए हैं।

याचिका में कहा गया है कि वेबसाइट पर इस तरह की जानकारी को अप-टू-डेट रखना पारदर्शिता के लिए जरूरी है। यह महत्वपूर्ण है कि वेबसाइट पर डाटाबेस को बनाए रखने और अपडेट करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाए। गोखले ने इन महत्वपूर्ण विवरणों को अपलोड करने में विफल रहने के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच की भी मांग की है।

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