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Left Thumb Cut With A Saw In Dubai, Reached Delhi In Just 22 Hours And Doctors Surgically Added It – कमाल: दुबई में आरी से कटा बाएं हाथ का अंगूठा, महज 22 घंटे में दिल्ली पहुंचा और डॉक्टरों ने सर्जरी करके जोड़ दिया

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: शाहरुख खान
Updated Sat, 27 Nov 2021 12:12 AM IST

सार

राजस्थान निवासी 34 वर्षीय संदीप शर्मा का दुबई में काम करते हुए आरी से अंगूठा कट गया। आनन फानन करीब 22 घंटे में दिल्ली पहुंचे मरीज को द्वारका स्थित आकाश अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने बगैर समय गंवाए मरीज का ऑपरेशन किया और उसका अंगूठा जोड़ दिया। 

22 घंटे में दिल्ली के डॉक्टरों ने जोड़ा अंगूठा
– फोटो : अमर उजाला

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दिल्ली के डॉक्टरों ने एक बार फिर चिकित्सीय क्षेत्र में दुर्लभ और चौंकाने वाली सफलता हासिल की है। दुबई में लकड़ी का कार्य करनॆ वाला एक भारतीय मजदूर काम करते वक्त आरी से घायल हो गया था। उसके बांये हाथ का अंगूठा आरी से कटकर अलग हो गया। 

अंगूठा कटने के चलते लगातार रक्तस्राव होता रहा और देखते ही देखते करीब 300 एमएल रक्त बह गया। तब दुबई में इलाज महंगा होने के कारण मरीज को तत्काल भारत लाया गया। करीब 22 घंटे में दिल्ली पहुंचे मरीज को द्वारका स्थित आकाश अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने बगैर समय गंवाए मरीज का ऑपरेशन किया और उसका अंगूठा जोड़ दिया। मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है। 

जानकारी के अनुसार, राजस्थान निवासी 34 वर्षीय संदीप शर्मा दुबई में लकड़ी का कार्य करता है। वह दिल्ली से कुछ ही समय पहले गया था और कुछ दिन पहले काम करते वक्त अचानक से आरी ने उसके बांये अंगूठे को हाथ से अलग कर दिया। जब तक चिकित्सीय मदद मिल पाती उसका काफी रक्त बह चुका था। 

वहां के डॉक्टरों ने ऊंगलियों के बीच अंगूठा रख दिया और उसके ऊपर से पट्टी बांध दी। संदीप इसी घायल अवस्था में दिल्ली पहुंचा। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आने के बाद पास में ही आकाश अस्पताल था इसलिए परिजन सबसे पहले मरीज को लेकर वहां पहुंचे। 

डॉक्टरों के अनुसार यह मामला दुर्लभ इसलिए है क्योंकि दो घंटे और देरी होने पर संदीप आजीवन अपना अंगूठा वापस नहीं ले पाता। डॉक्टरों ने बताया कि कटे हुए अंगूठे को 24 घंटे के भीतर ठंडे कंटेनर में रखा जाए या बर्फ से घेर कर रखा जाए तो फिर से जोड़ा जा सकता है। लेकिन प्राथमिक इलाज करने के बाद दुर्घटना के दिन ही संदीप दुबई से भारत आ चुका था। इसमें करीब 22 घंटे का समय निकल चुका था। 

निदेशक व हड्डीरोग विभागाध्यक्ष डॉ. आशीष चौधरी ने बताया कि अंगूठा हमारी हथेली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि हम इसका उपयोग करके 45 फीसदी से ज्यादा काम करते हैं। जब संदीप अस्पताल पहुंचा तो चोट वाली जगह की स्थिति गंभीर थी क्योंकि कटे हुए हिस्से को बाकी की उंगली से जोड़ा गया था और उसका काफी खून बह चुका था। 

महज 10 मिनट में ही मरीज को ऑपरेशन के लिए ले गए और करीब छह घंटे में पूरी प्रक्रिया में लगे। ‘रीइम्प्लांटेशन’ की प्रक्रिया में काफी समय लगता है। माइक्रोस्कोप के जरिए नसों इत्यादि पर काम किया। जब वह ठीक हो गए तो उन्हें पांच दिन बाद छुट्टी दे दी गई।

ऐसी घटना होने पर आपको यह करना जरूरी
अस्पताल के डॉ. नीरज गोडरा ने एक सवाल पर कहा कि इस तरह की दुर्घटना होने पर लोगों को सबसे पहले घायल हिस्से को एक पॉलीबैग में रखना चाहिए और दूसरे बर्फ से भरे बैग से इसे सटा दें। किसी भी परिस्थिति में क्षतिग्रस्त हिस्से और बर्फ के बीच कोई सीधा संपर्क नहीं होना चाहिए। इसके अलावा जितना जल्दी हो सके नजदीकी अस्पताल जाएं क्योंकि कटे हुए हिस्से यानी अंगुली और अंगूठा 24 घंटे में दोबारा जोड़ा जा सकता है।

विस्तार

दिल्ली के डॉक्टरों ने एक बार फिर चिकित्सीय क्षेत्र में दुर्लभ और चौंकाने वाली सफलता हासिल की है। दुबई में लकड़ी का कार्य करनॆ वाला एक भारतीय मजदूर काम करते वक्त आरी से घायल हो गया था। उसके बांये हाथ का अंगूठा आरी से कटकर अलग हो गया। 

अंगूठा कटने के चलते लगातार रक्तस्राव होता रहा और देखते ही देखते करीब 300 एमएल रक्त बह गया। तब दुबई में इलाज महंगा होने के कारण मरीज को तत्काल भारत लाया गया। करीब 22 घंटे में दिल्ली पहुंचे मरीज को द्वारका स्थित आकाश अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने बगैर समय गंवाए मरीज का ऑपरेशन किया और उसका अंगूठा जोड़ दिया। मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है। 

जानकारी के अनुसार, राजस्थान निवासी 34 वर्षीय संदीप शर्मा दुबई में लकड़ी का कार्य करता है। वह दिल्ली से कुछ ही समय पहले गया था और कुछ दिन पहले काम करते वक्त अचानक से आरी ने उसके बांये अंगूठे को हाथ से अलग कर दिया। जब तक चिकित्सीय मदद मिल पाती उसका काफी रक्त बह चुका था। 

वहां के डॉक्टरों ने ऊंगलियों के बीच अंगूठा रख दिया और उसके ऊपर से पट्टी बांध दी। संदीप इसी घायल अवस्था में दिल्ली पहुंचा। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आने के बाद पास में ही आकाश अस्पताल था इसलिए परिजन सबसे पहले मरीज को लेकर वहां पहुंचे। 

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