अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: सुशील कुमार
Updated Fri, 03 Dec 2021 11:12 PM IST
सार
अग्रवाल को 2019 की एक शिकायत में तलब किया गया था, जहां झारखंड के एक व्यक्ति ने इंडियामार्ट की वेबसाइट पर सर्च किए गए विवरण के आधार पर तांबे के स्क्रैप विक्रेता से संपर्क किया था।
हाईकोर्ट ने इंडियामार्ट इंटरमेश के संस्थापक और प्रबंध निदेशक (एमडी) दिनेश चंद्र अग्रवाल को राहत प्रदान करते हुए अपहरण, गंभीर चोट पंहुचाने के मामले में झारखंड पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने झारखंड पुलिस द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाते हुए सुनवाई 3 फरवरी 2022 तय की।
अग्रवाल को 2019 की एक शिकायत में तलब किया गया था, जहां झारखंड के एक व्यक्ति ने इंडियामार्ट की वेबसाइट पर सर्च किए गए विवरण के आधार पर तांबे के स्क्रैप विक्रेता से संपर्क किया था। कथित विक्रेता द्वारा उस व्यक्ति का अपहरण कर लिया गया था और उसके द्वारा ले जा रहे आभूषणों के साथ 5 लाख रुपये की फिरौती के बाद ही उसे छोड़ दिया गया था।
अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किलल का 2 साल पुराने मामले से कोई संबंध नहीं है। दर्ज प्राथमिकी में न तो आरोपी के रूप में उनका नाम है न ही उनके खिलाफ प्राथमिकी में कोई आरोप है। पुलिस ने उन्हें कंपनी के एमडी के रूप में उनके पदनाम के कारण ही बुलाया है।
उन्होंने तर्क दिया कि अग्रवाल को कंपनी के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से बी2बी या ग्राहक बिक्री सेवा का उपयोग करने वाले किसी व्यक्ति के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा इंडियामार्ट को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 2 (1) (डब्ल्यू) के तहत एक मध्यस्थ के रूप में पूरी तरह से कवर किया गया है।
विस्तार
हाईकोर्ट ने इंडियामार्ट इंटरमेश के संस्थापक और प्रबंध निदेशक (एमडी) दिनेश चंद्र अग्रवाल को राहत प्रदान करते हुए अपहरण, गंभीर चोट पंहुचाने के मामले में झारखंड पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने झारखंड पुलिस द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाते हुए सुनवाई 3 फरवरी 2022 तय की।
अग्रवाल को 2019 की एक शिकायत में तलब किया गया था, जहां झारखंड के एक व्यक्ति ने इंडियामार्ट की वेबसाइट पर सर्च किए गए विवरण के आधार पर तांबे के स्क्रैप विक्रेता से संपर्क किया था। कथित विक्रेता द्वारा उस व्यक्ति का अपहरण कर लिया गया था और उसके द्वारा ले जा रहे आभूषणों के साथ 5 लाख रुपये की फिरौती के बाद ही उसे छोड़ दिया गया था।
अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किलल का 2 साल पुराने मामले से कोई संबंध नहीं है। दर्ज प्राथमिकी में न तो आरोपी के रूप में उनका नाम है न ही उनके खिलाफ प्राथमिकी में कोई आरोप है। पुलिस ने उन्हें कंपनी के एमडी के रूप में उनके पदनाम के कारण ही बुलाया है।
उन्होंने तर्क दिया कि अग्रवाल को कंपनी के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से बी2बी या ग्राहक बिक्री सेवा का उपयोग करने वाले किसी व्यक्ति के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा इंडियामार्ट को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 2 (1) (डब्ल्यू) के तहत एक मध्यस्थ के रूप में पूरी तरह से कवर किया गया है।
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