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Delhi Police Reprimanded For Sending Sexual Harassment Case To Ghaziabad – यौन उत्पीड़न मामला गाजियाबाद भेजने पर दिल्ली पुलिस को फटकार

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नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कथित यौन उत्पीड़न के एक मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा जीरो प्राथमिकी दर्ज करने और फिर जांच को गाजियाबाद स्थानांतरित करने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने वाली संस्थाएं अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए तत्पर हैं। इससे आम नागरिकों का विश्वास कम होता है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि चूंकि जीटीबी एन्क्लेव थाने के आसपास कथित रूप से जबरन यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी। ऐसे में राजधानी में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पर्याप्त आधार है। अदालत ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाने से मामले को वापस मंगवाकर उचित जांच की जाए।
पुलिस द्वारा जीरो प्राथमिकी तब दर्ज की जाती है जब कथित अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं होता है और बाद में इसे उस थाने को भेज दिया जाता है जहां कथित अपराध हुआ है।
संस्थाएं जिम्मेदारी से भाग जाती हैं
अदालत ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि आम नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने वाली संस्थाएं अपनी जिम्मेदारियों से जल्दी ही भाग जाती हैं। अदालत ने 30 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा कि इस प्रकार का व्यवहार इन जांच एजेंसियों पर आम नागरिकों के भरोसे को हमेशा कमजोर करता है।
अदालत यौन उत्पीड़न पीड़िता द्वारा दायर उस याचिका पर विचार कर रही है जिसमें जीटीबी एन्क्लेव थाने द्वारा उसकी शिकायत की जांच करने और इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन से प्राथमिकी वापस लेने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता की शिकायत है कि दिल्ली पुलिस ने नियमित प्राथमिकी के बजाय उसकी शिकायत के आधार पर जीरो प्राथमिकी दर्ज की और जांच उत्तर प्रदेश पुलिस को स्थानांतरित कर दी।
पुलिस का तर्क खारिज
पुलिस ने जीरो प्राथमिकी दर्ज करने को उचित ठहराते हुए कहा कि चिकित्सा जांच के दौरान पीड़िता ने बताया था यौन उत्पीड़न कथित तौर पर इंदिरापुरम में हुआ था। याचिकाकर्ता ने जीटीबी एन्क्लेव थाने के क्षेत्र में कोई विशिष्ट पता या किसी स्थान की पहचान नहीं की जहां कथित यौन उत्पीड़न हुआ या कथित घटना की कोई तारीख या समय नहीं बताया।
अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से पता चलता है कि जीटीबी एन्क्लेव इलाके में जबरन यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी, तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाध्य थी। वह यह पता लगाने के लिए बाध्य नहीं है कि याचिकाकर्ता शहर में रहता है या घटना का विशिष्ट समय, तिथि और स्थान क्या था।
पुलिस दायित्व निभाने में विफल
अदालत ने कहा जांच को गाजियाबाद में स्थानांतरित कर जीटीबी एन्क्लेव थाना पुलिस ने अपना दायित्व निभाने में विफलता का प्रदर्शन किया है। प्राथमिकी दर्ज करने में देरी से कीमती समय नष्ट होता है जबकि इसका उपयोग जांच में किया जा सकता है।
अदालत ने कहा यह मायने नहीं रखता कि याचिकाकर्ता दिल्ली की निवासी नहीं है। केवल घटना का खुलासा जीटीबी एन्क्लेव थाने के आसपास होना ही वहां प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पर्याप्त है। अदालत ने आदेश दिया कि जीटीबी एन्क्लेव थाना नियमित प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच करे।

नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कथित यौन उत्पीड़न के एक मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा जीरो प्राथमिकी दर्ज करने और फिर जांच को गाजियाबाद स्थानांतरित करने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने वाली संस्थाएं अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए तत्पर हैं। इससे आम नागरिकों का विश्वास कम होता है।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि चूंकि जीटीबी एन्क्लेव थाने के आसपास कथित रूप से जबरन यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी। ऐसे में राजधानी में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पर्याप्त आधार है। अदालत ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाने से मामले को वापस मंगवाकर उचित जांच की जाए।

पुलिस द्वारा जीरो प्राथमिकी तब दर्ज की जाती है जब कथित अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं होता है और बाद में इसे उस थाने को भेज दिया जाता है जहां कथित अपराध हुआ है।

संस्थाएं जिम्मेदारी से भाग जाती हैं

अदालत ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि आम नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने वाली संस्थाएं अपनी जिम्मेदारियों से जल्दी ही भाग जाती हैं। अदालत ने 30 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा कि इस प्रकार का व्यवहार इन जांच एजेंसियों पर आम नागरिकों के भरोसे को हमेशा कमजोर करता है।

अदालत यौन उत्पीड़न पीड़िता द्वारा दायर उस याचिका पर विचार कर रही है जिसमें जीटीबी एन्क्लेव थाने द्वारा उसकी शिकायत की जांच करने और इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन से प्राथमिकी वापस लेने का निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता की शिकायत है कि दिल्ली पुलिस ने नियमित प्राथमिकी के बजाय उसकी शिकायत के आधार पर जीरो प्राथमिकी दर्ज की और जांच उत्तर प्रदेश पुलिस को स्थानांतरित कर दी।

पुलिस का तर्क खारिज

पुलिस ने जीरो प्राथमिकी दर्ज करने को उचित ठहराते हुए कहा कि चिकित्सा जांच के दौरान पीड़िता ने बताया था यौन उत्पीड़न कथित तौर पर इंदिरापुरम में हुआ था। याचिकाकर्ता ने जीटीबी एन्क्लेव थाने के क्षेत्र में कोई विशिष्ट पता या किसी स्थान की पहचान नहीं की जहां कथित यौन उत्पीड़न हुआ या कथित घटना की कोई तारीख या समय नहीं बताया।

अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से पता चलता है कि जीटीबी एन्क्लेव इलाके में जबरन यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी, तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाध्य थी। वह यह पता लगाने के लिए बाध्य नहीं है कि याचिकाकर्ता शहर में रहता है या घटना का विशिष्ट समय, तिथि और स्थान क्या था।

पुलिस दायित्व निभाने में विफल

अदालत ने कहा जांच को गाजियाबाद में स्थानांतरित कर जीटीबी एन्क्लेव थाना पुलिस ने अपना दायित्व निभाने में विफलता का प्रदर्शन किया है। प्राथमिकी दर्ज करने में देरी से कीमती समय नष्ट होता है जबकि इसका उपयोग जांच में किया जा सकता है।

अदालत ने कहा यह मायने नहीं रखता कि याचिकाकर्ता दिल्ली की निवासी नहीं है। केवल घटना का खुलासा जीटीबी एन्क्लेव थाने के आसपास होना ही वहां प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पर्याप्त है। अदालत ने आदेश दिया कि जीटीबी एन्क्लेव थाना नियमित प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच करे।

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