Breaking News : 700 नलकूप ऑपरेटरों का फूटा सब्र का बांध!, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर गरजा किसान मजदूर मोर्चा का 'हल्ला बोल' प्रदर्शन, "20 साल की अनदेखी, अब नहीं सहेगा अत्याचार!" – संघर्ष की चेतावनी के साथ आंदोलन तेज

📍 ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे | 1 जून 2025
‘हमें हक चाहिए, रहम नहीं’ – 700 नलकूप ऑपरेटरों की गुहार, ठेकेदारों की मनमानी के खिलाफ गरजा आक्रोश
ग्रेटर नोएडा में लगभग 700 नलकूप ऑपरेटर कर्मचारियों की वर्षों पुरानी समस्याओं को लेकर शनिवार को ‘किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा’ के बैनर तले जबरदस्त हल्ला बोल प्रदर्शन किया गया। इस आंदोलन का नेतृत्व मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विकास प्रधान ने किया, जिन्होंने मंच से एलान किया कि “अगर इंसाफ नहीं मिला, तो हम प्राधिकरण की नींद हराम कर देंगे।”
20 साल से चल रहा है शोषण, अब जवाब चाहिए – संगठन की चेतावनी
इस प्रदर्शन का मूल उद्देश्य था – ईएसआईसी (ESIC), ईपीएफ (EPF), समय पर वेतन, ठेकेदारी की मनमानी और कर्मचारी सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर प्रशासन को जगाना। संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आलोक नागर ने कहा:
“कुछ ठेकेदार लगातार कर्मचारियों के साथ अत्याचार कर रहे हैं। 20 वर्षों से ईपीएफ और ईएसआईसी के नाम पर धोखाधड़ी चल रही है, लेकिन अब पानी सिर के ऊपर पहुंच चुका है।”
उन्होंने बताया कि कई पंप ऑपरेटर ऐसे हैं जिन्हें 5 से 7 महीने से वेतन नहीं मिला, और जिनका रिटायरमेंट फंड या बीमा आज तक अधर में लटका हुआ है।
जैम पोर्टल से नहीं जोड़े जा रहे कर्मचारी, वेतन में फर्जी कटौती और जबरन निकाला जाना – बढ़ता है उत्पीड़न
राष्ट्रीय प्रवक्ता बृजेश भाटी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ठेकेदारों द्वारा कई कर्मचारियों को बिना किसी नोटिस के हटाया जा रहा है। वेतन को फर्जी दस्तावेजों के जरिए काटा जा रहा है। उन्होंने बताया:
“कई कर्मचारियों को सैलरी स्लिप नहीं दी जाती, और जिन कर्मचारियों को दी जाती है, उसमें भी कटौती की कोई पारदर्शिता नहीं होती।”
लोकेश भाटी, संगठन के सक्रिय पदाधिकारी, ने कहा कि जब तक सभी पंप ऑपरेटरों को जैम पोर्टल के माध्यम से प्राधिकरण से सीधा नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक उत्पीड़न का यह सिलसिला नहीं रुकेगा।
प्राधिकरण तक पहुंचा रोष – अधिकारियों से हुई वार्ता, 3 दिन में समाधान का दिया आश्वासन
इस आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रेरणा सिंह, ओएसडी अभिषेक पाठक और महाप्रबंधक ए.के. सिंह से मुलाकात की। वार्ता के दौरान अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को भरोसा दिलाया कि:
✔️ सभी प्रमुख समस्याओं का समाधान अगले तीन दिनों के भीतर किया जाएगा।
✔️ दो से तीन महीनों में सभी पंप ऑपरेटरों को प्राधिकरण के अधीन नियमित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
✔️ वेतन भुगतान, ईपीएफ, ईएसआईसी में पारदर्शिता और ठेकेदारी तंत्र में सुधार की समीक्षा की जाएगी।
अगर वादा टूटेगा, तो होगा अनिश्चितकालीन धरना! – संगठन की सीधी चेतावनी
प्रदर्शन समाप्त होने से पहले मंच से संगठन के नेताओं ने खुले शब्दों में चेतावनी दी कि यदि तीन दिनों के भीतर वादा निभाया नहीं गया, तो प्राधिकरण के मुख्य गेट पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा। इस दौरान ना केवल कर्मचारी बल्कि उनके परिवार के सदस्य भी विरोध में शामिल होंगे।
“हमारी लड़ाई केवल पेट की नहीं है, सम्मान की भी है” – डॉ. विकास प्रधान
प्रमुख मांगें जो प्राधिकरण के समक्ष रखी गईं
- सभी नलकूप ऑपरेटरों को JAM पोर्टल से जोड़ा जाए।
- बकाया वेतन का तत्काल भुगतान किया जाए।
- ठेकेदारी प्रथा में पारदर्शिता लाई जाए।
- जबरन हटाए गए कर्मचारियों की बहाली की जाए।
- ईपीएफ और ईएसआईसी की पूरी जांच की जाए और पीड़ितों को हर्जाना दिया जाए।
- सभी कर्मचारियों को स्थायी करने की कार्यवाही शुरू हो।
प्रदर्शन में दिखा गुस्सा, लेकिन अनुशासन भी – बैनर, पोस्टर और नारों से गूंजा प्राधिकरण परिसर
प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने “हम अपना हक लेकर रहेंगे”, “शोषण बंद करो”, “नियमित करो या जवाब दो” जैसे नारों से वातावरण को आंदोलित कर दिया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपने पुराने वेतन स्लिप, पेंशन डॉक्यूमेंट और बकाया लिस्ट भी मीडिया को दिखाई।
वहीं, कुछ ने हाथ में “ठेकेदारी = गुलामी” लिखे पोस्टर लिए थे। पूरे प्रदर्शन के दौरान अनुशासन बना रहा और प्राधिकरण की सुरक्षा व्यवस्था चौकस रही।
संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले प्रमुख चेहरे
प्रदर्शन में शामिल होने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल थे:
- डॉ. विकास प्रधान (राष्ट्रीय अध्यक्ष)
- आलोक नागर (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष)
- बृजेश भाटी (राष्ट्रीय प्रवक्ता)
- लोकेश भाटी (युवा संयोजक)
- पंप ऑपरेटर यूनियन के जिला अध्यक्ष सुनील गुर्जर
- दर्जनों कार्यकर्ता, महिला प्रतिनिधि और कर्मचारी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत जल प्रबंधन में नलकूप ऑपरेटरों की भूमिका बेहद अहम
विशेषज्ञों की मानें तो ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में जल आपूर्ति और सीवरेज प्रबंधन में नलकूप ऑपरेटरों की भूमिका रीढ़ की हड्डी जैसी है। फिर भी इनकी दशा ठेकेदारी व्यवस्था के चलते लगातार उपेक्षित रही है। अगर समय रहते इनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो:
- जल आपूर्ति पर असर पड़ सकता है
- कर्मचारी असंतोष से प्रशासन की छवि खराब हो सकती है
- न्यायिक हस्तक्षेप की नौबत आ सकती है
निष्कर्ष: अधिकारों की जंग अब निर्णायक मोड़ पर – क्या तीन दिन में सुलझेगा 20 साल का दर्द?
ग्रेटर नोएडा के इस प्रदर्शन ने एक बार फिर यह साबित किया है कि यदि आवाज संगठित होकर उठाई जाए, तो प्रशासन को सुनना ही पड़ता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या तीन दिन में प्राधिकरण 700 कर्मचारियों का भरोसा जीत पाएगा? क्या लंबे समय से दबाई गई इन आवाजों को स्थायी न्याय मिलेगा?
अगर नहीं, तो “किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा” ने अगली लड़ाई के लिए कमर कस ली है – और इस बार, यह केवल आंदोलन नहीं, आंदोलन की क्रांति हो सकती है।
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