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Suspected Terrorist Of Isis Urges For Hearing In Jj Board – आईएसआईएस के संदिग्ध आतंकी ने जेजे बोर्ड में सुनवाई का किया आग्रह

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नई दिल्ली। आईएसआईएस के संदिग्ध आतंकी अब्दुल कादिर ने अपराध के समय स्वयं को नाबालिग बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याची ने तर्क रखा कि जब वह कथित तौर पर आतंकी संगठन में शामिल हुआ था तब वह नाबालिग था। ऐसे में उसके मामले को किशोर न्याय (जूवेनाइल जस्टिस) बोर्ड में भेजा जाए। अदालत ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ एनआईए को दो फरवरी तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
अधिवक्ता मोहम्मद मोबिन अख्तर के माध्यम से दायर याचिका में कादिर ने तर्क दिया कि एनआईए ने उसे आईएसआईएस का सदस्य बताया है। उसने कहा घटना के समय वह नाबालिग था और उसके अनुसार ही उसके केस की सुनवाई होनी चाहिए।
कादिर ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए तर्क दिया कि उसने अपने स्कूल के केमिस्ट्री-प्रोजेक्ट के लिए अमेजन से कुछ सामग्री मंगवाई थी जिसे एनआईए ने जब्त कर लिया और विस्फोटक बताया। उसने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इन सामग्रियों का इस्तेमाल विस्फोटक के रूप में किया जा सकता है तो अमेजॅन पर भी आरोप लगाया जाना चाहिए।
याची ने कहा मुझ पर साजिश का आरोप लगाया गया है जो एक सतत अपराध है और भले ही इसका अंत नहीं है लेकिन इसकी शुरुआत है। याची ने कहा जब अपराध हुआ उसकी तिथि बतानी जरूरी है और एजेंसी द्वारा दी गई तारीख के अनुसार मैं नाबालिग था इसलिए मेरा मामला किशोर न्याय बोर्ड में जाना जरूरी है।
हालांकि पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के तर्क पर सहमत नहीं है क्योंकि अपराध तब नहीं है जब वह समूह में शामिल हुआ था, बल्कि उसने बाद में क्या किया। उन्होंने कहा आप यह नहीं कह सकते कि साजिश उस दिन शुरू हुई और खत्म हुई, साजिश के दौरान आप कुछ ऐसा करते हैं जो एक अपराध है।
हैदराबाद के रहने वाले कादिर को एनआईए ने अगस्त 2018 में एक हफ्ते की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। उस समय वह 19 वर्ष का था।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि कादिर तब अदनान हसन के संपर्क में था जिसे 2016 के आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल मामले में आतंकी संगठन के लिए गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारतीयों की भर्ती के लिए गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने तर्क दिया था कि कादिर को आईएसआईएस के प्रचार-प्रसार का काम सौंपा गया था।

नई दिल्ली। आईएसआईएस के संदिग्ध आतंकी अब्दुल कादिर ने अपराध के समय स्वयं को नाबालिग बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याची ने तर्क रखा कि जब वह कथित तौर पर आतंकी संगठन में शामिल हुआ था तब वह नाबालिग था। ऐसे में उसके मामले को किशोर न्याय (जूवेनाइल जस्टिस) बोर्ड में भेजा जाए। अदालत ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ एनआईए को दो फरवरी तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अधिवक्ता मोहम्मद मोबिन अख्तर के माध्यम से दायर याचिका में कादिर ने तर्क दिया कि एनआईए ने उसे आईएसआईएस का सदस्य बताया है। उसने कहा घटना के समय वह नाबालिग था और उसके अनुसार ही उसके केस की सुनवाई होनी चाहिए।

कादिर ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए तर्क दिया कि उसने अपने स्कूल के केमिस्ट्री-प्रोजेक्ट के लिए अमेजन से कुछ सामग्री मंगवाई थी जिसे एनआईए ने जब्त कर लिया और विस्फोटक बताया। उसने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इन सामग्रियों का इस्तेमाल विस्फोटक के रूप में किया जा सकता है तो अमेजॅन पर भी आरोप लगाया जाना चाहिए।

याची ने कहा मुझ पर साजिश का आरोप लगाया गया है जो एक सतत अपराध है और भले ही इसका अंत नहीं है लेकिन इसकी शुरुआत है। याची ने कहा जब अपराध हुआ उसकी तिथि बतानी जरूरी है और एजेंसी द्वारा दी गई तारीख के अनुसार मैं नाबालिग था इसलिए मेरा मामला किशोर न्याय बोर्ड में जाना जरूरी है।

हालांकि पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के तर्क पर सहमत नहीं है क्योंकि अपराध तब नहीं है जब वह समूह में शामिल हुआ था, बल्कि उसने बाद में क्या किया। उन्होंने कहा आप यह नहीं कह सकते कि साजिश उस दिन शुरू हुई और खत्म हुई, साजिश के दौरान आप कुछ ऐसा करते हैं जो एक अपराध है।

हैदराबाद के रहने वाले कादिर को एनआईए ने अगस्त 2018 में एक हफ्ते की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। उस समय वह 19 वर्ष का था।

एजेंसी ने आरोप लगाया कि कादिर तब अदनान हसन के संपर्क में था जिसे 2016 के आईएसआईएस अबू धाबी मॉड्यूल मामले में आतंकी संगठन के लिए गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारतीयों की भर्ती के लिए गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने तर्क दिया था कि कादिर को आईएसआईएस के प्रचार-प्रसार का काम सौंपा गया था।

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