गाजियाबाद43 मिनट पहलेलेखक: सचिन गुप्ता
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तस्वीर में इस तंबू के साइड मं लगा एक पर्दा किसानों ने हटाया है।
किसान आंदोलन के चलते 11 महीने से बंद रास्तों से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। इसके कुछ देर बाद ही गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने खुद ही एक बड़े तंबू के कुछ हिस्से को हटा लिया। सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर यह खबर फैल गई कि 11 महीने से बंद पड़ा गाजीपुर बॉर्डर खुल गया है।
‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड पर जाकर स्थिति देखी तो सबकुछ पहले जैसा मिला। न कोई तंबू हटा है और न ही कोई रास्ता खुला है। हां, किसानों ने एक बड़े तंबू का साइड पर्दा (तिरपाल) को जरूर हटाया है, ताकि दिल्ली पुलिस की बेरीकेडिंग दिखाई दे। पर्दा हटाकर किसानों ने यह संदेश दिया है कि रास्ते उन्होंने नहीं, दिल्ली पुलिस ने रोके हुए हैं।

एनएच-24 पर गाजीपुर मुर्गा मंडी को जाने वाली सर्विस लेन पर किसानों के तंबू के ठीक आगे दिल्ली पुलिस ने 16 लेयर बेरीकेडिंग कर रखी है।
गाजीपुर मुर्गा मंडी जाने वाले रास्ते पर लगा है यह तंबू
यह तंबू NH-24 की सर्विस लेन से गाजीपुर मुर्गा मंडी के लिए जाने वाली सर्विस लेन पर अंडरपास से 100 मीटर आगे लगा हुआ है। इस तंबू में पहले मीडिया सेंटर होता था और लंगर चलता था। इसके ठीक आगे दिल्ली पुलिस की 16 लेयर बेरीकेडिंग है।
बेरीकेड्स को वेल्डिंग करके आपस में जोड़ रखा है, ताकि कोई उसे हटा न सकें। इसके पास ही दिल्ली पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स का पहरा है। तंबू इस शेप में बना हुआ है कि सड़क की पूरी चौड़ाई इसमें घिर जाती है। इसी तंबू को दिखाकर बार-बार कहा जा रहा था कि किसानों ने रास्ता बंद किया हुआ है।

किसानों ने इस तंबू से सिर्फ पर्दा हटाकर यह बताया है कि वाहन यहां तक आ सकते हैं, लेकिन पुलिस की बेरीकेडिंग के चलते आगे नहीं जा सकते।
एक्सप्रेस-वे और NH-24 पर पहले की तरह लगे हैं तंबू
किसानों ने गुरुवार को सड़क को आर-पार दिखाने के लिए तंबू की एक साइड की तिरपाल हटा दी। तिरपाल हटने के बाद गाजियाबाद से दिल्ली की तरफ जाने वाले व्यक्ति को अब साफ तौर पर दिल्ली पुलिस की बेरीकेडिंग दिखाई पड़ रही है। किसानों ने यही बताने का प्रयास किया है कि वाहन तंबू तक आ सकते हैं, लेकिन इसके पार नहीं जा सकते।
हालांकि, तंबू ज्यों का त्यों लगा हुआ है। इसके अलावा सड़क पर खड़े ट्रैक्टर व अन्य वाहन भी वहां से हटाकर साइड में खड़े कर दिए हैं, बाकी कुछ नहीं बदला है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे और NH-24 पर सड़क की दोनों साइड जिस प्रकार पहले से बाकी तंबू लगे हुए थे, वैसे ही अभी तक लगे हैं। किसानों का कहना है कि उनके तंबू सड़क किनारे हैं। बीच सड़क पर वाहन चल सकते हैं।

किसानों का कहना है कि उनके तंबू सड़क के दोनों किनारों पर लगे हुए हैं। बीच का रास्ता खाली है। पुलिस चाहे तो वाहन निकलवा सकती है।
बेरीकेडिंग से मुड़ जाते हैं पब्लिक के वाहन
नेशनल हाईवे-24 गाजियाबाद के रास्ते यूपी को दिल्ली से जोड़ता है। इस हाईवे के ऊपर ही गाजीपुर बॉर्डर पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे गुजर रहा है। 26 नवंबर 2020 से किसान यहां तीन कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे हैं।
NH-24 की सर्विस लेन और एक्सप्रेस-वे की दो लेन पर किसानों के टेंट-तंबू लगे हुए हैं। इसके चलते पुलिस ने एलिवेटेड रोड पर हिंडन नदी के ऊपर और एक्सप्रेस-वे पर खोड़ा नगर पालिका के सामने बेरीकेड्स लगा रखे हैं ताकि कोई वाहन गाजीपुर बॉर्डर की तरफ नहीं जा सके। ऐसे में रोजाना लाखों वाहन चालकों को 15 मिनट की दूरी 45 मिनट में तय करनी पड़ती है।

एक्सप्रेस-वे और NH-24 पर किसानों के तंबू इस तरह सड़क किनारे दोनों तरफ लगे हुए हैं। बीच का रास्ता खाली है। हालांकि, वह बात अलग है कि इस रास्ते पर सिर्फ किसानों के वाहनों को एंट्री की परमिशन है।
भाकियू ने कहा- बॉर्डर खाली करने की बात निराधार गुरुवार को जब सोशल मीडिया में यह खबर फैली कि किसानों से गाजीपुर बॉर्डर खाली कराया जा रहा है तो भारतीय किसान यूनियन ने ऑफिशियल हैंडल से ट्वीट करके सफाई दी। भाकियू ने कहा कि बॉर्डर खाली कराने वाली बात पूर्णतया निराधार है। हम यह दिखा रहे हैं कि रास्ता किसानों ने नहीं, दिल्ली पुलिस ने बंद किया है। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि हम दिल्ली जाना चाहते हैं। पुलिस ने बेरिकेड्स लगाकर रास्ते बंद कर रखे हैं। बेरीकेडिंग हटाई जाए।