Noida NEA News : नोएडा के व्यापारियों ने टर्की और अजरबैजान से तोड़े रिश्ते, पाकिस्तान के समर्थन पर जताई नाराज़गी; भविष्य में व्यापार और पर्यटन से भी किया किनारा
भारत विरोधी ताक़तों को जवाब देने का लिया सामूहिक संकल्प, उद्यमियों ने कहा: वसीयत में भी जोड़ेंगे ‘राष्ट्रप्रेम’ की शर्त

नोएडा, रफ़्तार टुडे।
नोएडा में व्यापारिक जगत की एक अहम बैठक के दौरान ऐसा दृश्य देखने को मिला, जो शायद पहली बार हुआ होगा — जब व्यापारियों ने देशहित को सर्वोपरि रखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक संबंधों को तोड़ने का निर्णय लिया।
नोएडा एंटरप्रिनियोर्स एसोसिएशन (NEA) की कार्यकारिणी समिति की बैठक में दर्जनों उद्यमियों ने टर्की और अजरबैजान से भविष्य में कोई व्यापारिक रिश्ता न रखने की सामूहिक शपथ ली।
टर्की और अजरबैजान पर आक्रोश: पाकिस्तान को समर्थन देने पर व्यापारियों की तीखी प्रतिक्रिया
बैठक में यह निर्णय भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में लिया गया। टर्की और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान के पक्ष में बयानबाजी और रणनीतिक समर्थन पर व्यापारियों ने कड़ा ऐतराज जताया।
NEA अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहा कि
“हम ऐसे देशों से किसी भी प्रकार का व्यापार या पर्यटन संबंध नहीं रख सकते, जो आतंक के समर्थकों के साथ खड़े हों। यह न सिर्फ हमारी संवेदनाओं का अपमान है, बल्कि देश की सुरक्षा को चुनौती देने वालों का परोक्ष समर्थन है।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार को धन्यवाद, पाकिस्तान पर कार्रवाई का स्वागत
बैठक की शुरुआत में सभी व्यापारियों ने पहलगांव में निर्दोष पर्यटकों की हत्या पर शोक जताया।
2 मिनट का मौन रखकर मृतकों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि दी गई।
इसके बाद, NEA अध्यक्ष ने केंद्र सरकार द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया और कहा कि भारत ने इस बार आतंक के विरुद्ध स्पष्ट और प्रभावी संदेश दिया है।
“ये सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक सोच है — कि भारत अब आतंक को जवाब उसी भाषा में देगा, जिसमें वो समझता है।”
शपथ ली गई: व्यापार नहीं, पर्यटन नहीं, और वसीयत में राष्ट्रप्रेम की शर्त भी जोड़ी जाएगी
बैठक की सबसे बड़ी और अनूठी बात यह रही कि व्यापारियों ने एकमत होकर न केवल व्यापार और पर्यटन से दूरी बनाने का संकल्प लिया, बल्कि वसीयत में भी यह शर्त जोड़ने की बात कही।
अध्यक्ष विपिन मल्हन ने शपथ दिलाते हुए कहा:
“आज हम संकल्प लेते हैं कि न हम, न हमारे परिवार और न ही हमारी अगली पीढ़ियाँ टर्की या अजरबैजान से कोई रिश्ता रखेंगीं। जो संतान इस संकल्प का पालन नहीं करेगी, उसे वसीयत में मिलने वाले अधिकारों से वंचित किया जाएगा।”
यह कदम व्यापारिक क्षेत्र में एक नैतिक और वैचारिक चेतना का परिचायक है, जहाँ देशहित को निजी लाभ पर प्राथमिकता दी जा रही है।
व्यापारी समाज की भूमिका अब सिर्फ मुनाफे तक सीमित नहीं
इस बैठक ने यह संदेश स्पष्ट किया कि भारत का व्यापारी वर्ग अब सिर्फ लेन-देन का माध्यम नहीं, बल्कि देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा की लड़ाई में भी सक्रिय भागीदार है।
महासचिव वी.के. सेठ ने कहा:
“हम व्यापार ज़रूर करते हैं, लेकिन आत्मा भारत में बसती है। अगर कोई राष्ट्र भारत के विरोध में खड़ा होता है, तो हम ऐसे राष्ट्र से मुनाफा नहीं कमा सकते।”
सभा में भारी संख्या में उद्यमियों की मौजूदगी
बैठक में अनेक प्रमुख व्यवसायी और संगठन पदाधिकारी शामिल हुए। उपस्थिति में यह नाम विशेष रूप से शामिल थे:
- धर्मवीर शर्मा (वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
- हरीश जुनेजा
- मुकेश कक्कड़
- सुधीर श्रीवास्तव (उपाध्यक्ष)
- मोहम्मद इरशाद
- राजेंद्र जिंदल
- शरद जैन (कोषाध्यक्ष)
- संदीप बिरमानी
- राजन खुराना
- राहुल नैय्यर
- अजय सरीन
- मोहम्मद आज़ाद
- नीरू शर्मा
- योगेश आनंद
- अजय अग्रवाल
- टोनी, और अन्य अनेक उद्यमीगण।

‘मात्र व्यापार नहीं, यह वैचारिक युद्ध है’: उद्यमियों की चेतावनी
उद्यमियों ने यह स्पष्ट किया कि यह निर्णय भावनात्मक आवेश में नहीं, बल्कि देशभक्ति और वैचारिक चेतना से लिया गया है।
राजेंद्र जिंदल ने कहा:
“टर्की और अजरबैजान अगर आतंक के साथ खड़े होंगे, तो हम उनके साथ नहीं। यह हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी करने का वक्त है।”
भविष्य में ऐसे निर्णयों के लिए बनेगी ‘राष्ट्रहित समिति’
बैठक में यह प्रस्ताव भी आया कि NEA भविष्य में ऐसे निर्णयों के लिए एक स्थायी समिति ‘राष्ट्रहित व्यापार नीति प्रकोष्ठ’ बनाएगी, जो यह मूल्यांकन करेगी कि कौन से देश भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं और उनसे किस स्तर पर व्यापारिक या सामाजिक दूरी बनाई जानी चाहिए।
Noida से निकला संदेश, राष्ट्रीय स्तर पर बन सकती है प्रेरणा
नोएडा के इस निर्णय की खबर तेजी से सोशल मीडिया और कारोबारी वर्ग में फैल रही है। कई राज्यों के व्यापारी संगठनों ने भी इस कदम की प्रशंसा की है और संकेत दिए हैं कि वे भी ऐसे ही निर्णय लेने पर विचार कर रहे हैं।
यह एक संकेत है कि व्यापार अब मात्र आर्थिक गतिविधि नहीं, बल्कि राजनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा बन चुका है।
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