डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 16 Nov 2021 07:10 PM IST
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि एयर क्वॉलिटी कमीशन से एक ऐसे सर्वसम्मत उपाय तक पहुंचने की उम्मीद है जिसका सभी राज्य अपने क्षेत्रों में पालन करेंगे और राजधानी को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा…
सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद केंद्र-राज्यों ने प्रदूषण को लेकर अपनी सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। आज एयर क्वालिटी कमीशन में संबंधित राज्यों की बैठक हुई जिसमें प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर सभी राज्यों ने अपना पक्ष रखा। अनुमान है कि इस बैठक से एक ज्वाइंट एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा, जिसे सभी राज्य लागू करेंगे और राजधानी को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा। इसी बीच दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए 19 नवंबर से रेड लाइट आन, गाड़ी ऑफ अभियान दोबारा शुरू किया जाएगा। यह तीन दिसंबर तक चलेगा।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि एयर क्वॉलिटी कमीशन से एक ऐसे सर्वसम्मत उपाय तक पहुंचने की उम्मीद है जिसका सभी राज्य अपने क्षेत्रों में पालन करेंगे और राजधानी को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि पराली से उत्पन्न प्रदूषण की मात्रा को लेकर केंद्र सरकार के आंकड़ों में ही दुविधा है। इसकी सही मात्रा और उसका असर सामने आने से स्थितियों को संभालने में मदद मिलेगी।
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सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद केंद्र-राज्यों ने प्रदूषण को लेकर अपनी सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। आज एयर क्वालिटी कमीशन में संबंधित राज्यों की बैठक हुई जिसमें प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर सभी राज्यों ने अपना पक्ष रखा। अनुमान है कि इस बैठक से एक ज्वाइंट एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा, जिसे सभी राज्य लागू करेंगे और राजधानी को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा। इसी बीच दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए 19 नवंबर से रेड लाइट आन, गाड़ी ऑफ अभियान दोबारा शुरू किया जाएगा। यह तीन दिसंबर तक चलेगा।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि एयर क्वॉलिटी कमीशन से एक ऐसे सर्वसम्मत उपाय तक पहुंचने की उम्मीद है जिसका सभी राज्य अपने क्षेत्रों में पालन करेंगे और राजधानी को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि पराली से उत्पन्न प्रदूषण की मात्रा को लेकर केंद्र सरकार के आंकड़ों में ही दुविधा है। इसकी सही मात्रा और उसका असर सामने आने से स्थितियों को संभालने में मदद मिलेगी।