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नई दिल्ली। राजधानी में खराब वायु गुणवत्ता को देखते हुए मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपये और 25 लाख रुपये के मेडिकल इंश्योरेंस की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका डाली गई है।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने समय पर याची के पेेश न होने व ऐसी याचिका दायर करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कृपया समझें अदालत एक खेल का मैदान नहीं है। आपको इसे इस तरह इस्तेमाल करने से बाज आना चाहिए। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर वह दिल्ली में वायु गुणवत्ता से चिंतित है तो उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करनी चाहिए थी क्योंकि इस मुद्दे पर पहले से ही शीर्ष अदालत द्वारा विचार किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील शिवम पांडे ने तर्क रखा कि उन्होंने हवा की गुणवत्ता के कारण केंद्र और दिल्ली सरकार से अपने लिए स्वास्थ्य बीमा की मांग की है। याचिका में उन्होंने स्वयं को हुई विशिष्ट और अनुकरणीय क्षति के लिए मुआवजे के तौर पर 15 लाख रुपये देने की भी मांग की है।
उन्होंने दलील दी है कि प्रदूषण विभिन्न बीमारियों का मूल कारण है क्योंकि यह मानव स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। याचिका में कहा गया है कि वायु प्रदूषण विशेष रूप से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसके परिणामस्वरूप पुराने सिरदर्द, आंखों में जलन, त्वचा में जलन, श्वसन में समस्याएं होती हैं।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण से फेफड़ों की गंभीर बीमारियां और कैंसर भी हो सकता है। उच्चतम न्यायालय ने पहले ही स्वच्छ प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में बताते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के दायरे में माना है।
याची ने अधिकारियों को निर्देश देने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में पटाखों का निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों और उनकी बिक्री करने वाली दुकानों को तत्काल सील करने की प्रार्थना की है।
नई दिल्ली। राजधानी में खराब वायु गुणवत्ता को देखते हुए मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपये और 25 लाख रुपये के मेडिकल इंश्योरेंस की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका डाली गई है।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने समय पर याची के पेेश न होने व ऐसी याचिका दायर करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कृपया समझें अदालत एक खेल का मैदान नहीं है। आपको इसे इस तरह इस्तेमाल करने से बाज आना चाहिए। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर वह दिल्ली में वायु गुणवत्ता से चिंतित है तो उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करनी चाहिए थी क्योंकि इस मुद्दे पर पहले से ही शीर्ष अदालत द्वारा विचार किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील शिवम पांडे ने तर्क रखा कि उन्होंने हवा की गुणवत्ता के कारण केंद्र और दिल्ली सरकार से अपने लिए स्वास्थ्य बीमा की मांग की है। याचिका में उन्होंने स्वयं को हुई विशिष्ट और अनुकरणीय क्षति के लिए मुआवजे के तौर पर 15 लाख रुपये देने की भी मांग की है।
उन्होंने दलील दी है कि प्रदूषण विभिन्न बीमारियों का मूल कारण है क्योंकि यह मानव स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। याचिका में कहा गया है कि वायु प्रदूषण विशेष रूप से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसके परिणामस्वरूप पुराने सिरदर्द, आंखों में जलन, त्वचा में जलन, श्वसन में समस्याएं होती हैं।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण से फेफड़ों की गंभीर बीमारियां और कैंसर भी हो सकता है। उच्चतम न्यायालय ने पहले ही स्वच्छ प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में बताते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के दायरे में माना है।
याची ने अधिकारियों को निर्देश देने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में पटाखों का निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों और उनकी बिक्री करने वाली दुकानों को तत्काल सील करने की प्रार्थना की है।