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Stroke death can be stopped by starting treatment early: Dr. Vipul Gupta | जल्दी इलाज शुरू करने से स्ट्रोक से होने वाली मृत्यु पर लग सकती है रोक- डॉ. विपुल गुप्ता

गुरुग्रामएक घंटा पहले

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  • स्ट्रोक को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए किया सम्मेलन
  • स्ट्रोक के लगभग 70 फीसदी मामलों का हो सकता है इलाज

स्ट्रोक के इलाज के क्षेत्र में आई तरक्की से स्ट्रोक के बाद विंडो पीरियड में डॉक्टर के पास आने से मरीज का न सिर्फ बेहतर इलाज हो सकता है, बल्कि ज्यादातर मामलों में मरीजों को सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है। सच्चाई यह है कि स्ट्रोक के लगभग 70 फीसदी मामलों का या तो इलाज हो सकता है या इन्हें रोका जा सकता है। इस संबंध में वर्ल्ड स्ट्रोक डे के अवसर पर आर्टिमिस इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस ने बुधवार को जन जागरूकता सम्मेलन के माध्यम से लोगों में जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया।

ब्रेन स्ट्रोक मृत्यु का दूसरा बड़ा और दीर्घकालीन अपंगता का प्रमुख कारण माना जाता है। सही समय पर इलाज देने से मरीज के जीवन को बचाना आसान हो जाता है। वहीं लोगों के लिए यह जानना भी जरूरी है कि मरीज के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर तत्काल उसे अस्पताल ले जाया जाए। जागरूकता सत्र का आयोजन आर्टिमिस कृएग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज में न्यूरोइंटरवेंशन के प्रमुख और स्ट्रोक यूनिट के सहकृनिदेशक डॉ. विपुल गुप्ता तथा स्ट्रोक न्यूरोलॉजी एंड न्यूरो इंटरवेंशनल सर्जरी के डॉ. राजश्रीनिवास पार्थसारथी ने किया।

डॉ. विपुल गुप्ता ने कहा कि जब स्ट्रोक की बात आती है तो इसमें प्रत्येक मिनट मायने रखता है। समय ही महत्वपूर्ण रहता है और मरीजों के लिए यह सबसे जरूरी है कि स्ट्रोक को शुरू में ही पहचान लें, जिसमें इसके लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।

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