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Strike Is Not Ending Amid Rising Corona, Treatment Becomes Difficult – बढ़ते कोरोना के बीच हड़ताल नहीं हो रही खत्म, इलाज हुआ मुश्किल

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नई दिल्ली। देश की राजधानी में एक तरफ कोरोना संक्रमण हर दिन तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। वहीं दूसरी ओर अस्पतालों में नीट पीजी की काउंसलिंग जल्द से जल्द कराने की मांग को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल चल रही है। स्थिति यह है कि सरकार पर जिद्दी रवैये का आरोप लगाते हुए रेजिडेंट डॉक्टरों ने सामूहिक तौर पर इस्तीफा देने की चेतावनी तक दी है।
शनिवार को नौवें दिन भी राजधानी के अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल जारी रही। ज्यादातर बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिलने से मरीजों को भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इमरजेंसी में भी इन मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा है। इसमें दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों के ही अस्पताल शामिल हैं।
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (फोर्डा) के अध्यक्ष डॉ. मनीष ने कहा कि बीते नौ दिन से वे हड़ताल पर हैं लेकिन सरकार ने कोई भी बातचीत नहीं की है। अस्पतालों में डॉक्टर कम हैं। एक डॉक्टर 72-72 घंटे की ड्यूटी देने के बाद भी मरीज देख रहा है। ऐसे में अगर मरीज को इलाज नहीं मिल पाता है तो डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराया जाता है लेकिन सरकार से कोई सवाल नहीं करता। कई महीनों से सरकार ने यह काउंसलिंग नहीं कराई है जिसकी वजह से अस्पतालों में नए बैच नहीं आ रहे। ऐसे में कैसे मरीजों का इलाज हो सकता है? उन्होंने कहा कि जब तक काउंसलिंग की तारीख घोषित नहीं होगी। तब तक हड़ताल खत्म नहीं होगी।
शनिवार को दिल्ली के अलावा हरियाणा, यूपी और राजस्थान से आए अलग अलग चिकित्सीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने मिलकर नई दिल्ली के निर्माण भवन स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने बताया कि रविवार शाम अस्पताल परिसर में कैंडल मार्च निकाला जाएगा। सोमवार को डॉक्टर सामूहिक रूप से इस्तीफा भी दे सकते हैं।
उधर स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और आगामी सुनवाई छह जनवरी को होने वाली है। ऐसे में डॉक्टरों की हड़ताल का औचित्य ही नहीं बनता। बहरहाल मरीजों की तकलीफ बढ़ती जा रही है और जल्द ही हड़ताल खत्म नहीं कराई गई तो कोरोना महामारी के बीच मरीजों की जान का जोखिम भी बन सकता है।
पुलिस ने दिया नोटिस, होगी कार्रवाई
डॉक्टरों ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने कोविड महामारी का हवाला देकर स्वास्थ्य मंत्रालय के बाहर विरोध प्रदर्शन नहीं करने का नोटिस दिया है। साथ ही डॉक्टरों से कहा है कि दिल्ली पुलिस का सहयोग नहीं करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तक हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में चुनावी रैलियां हो रही हैं। प्रधानमंत्री तक इसमें शामिल हो रहे हैं लेकिन डॉक्टर अपने और मरीजों के अधिकार की मांग कर रहे हैं तो पुलिस भी अपना खौफ दिखा रही है।

नई दिल्ली। देश की राजधानी में एक तरफ कोरोना संक्रमण हर दिन तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। वहीं दूसरी ओर अस्पतालों में नीट पीजी की काउंसलिंग जल्द से जल्द कराने की मांग को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल चल रही है। स्थिति यह है कि सरकार पर जिद्दी रवैये का आरोप लगाते हुए रेजिडेंट डॉक्टरों ने सामूहिक तौर पर इस्तीफा देने की चेतावनी तक दी है।

शनिवार को नौवें दिन भी राजधानी के अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल जारी रही। ज्यादातर बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिलने से मरीजों को भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इमरजेंसी में भी इन मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा है। इसमें दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों के ही अस्पताल शामिल हैं।

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (फोर्डा) के अध्यक्ष डॉ. मनीष ने कहा कि बीते नौ दिन से वे हड़ताल पर हैं लेकिन सरकार ने कोई भी बातचीत नहीं की है। अस्पतालों में डॉक्टर कम हैं। एक डॉक्टर 72-72 घंटे की ड्यूटी देने के बाद भी मरीज देख रहा है। ऐसे में अगर मरीज को इलाज नहीं मिल पाता है तो डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराया जाता है लेकिन सरकार से कोई सवाल नहीं करता। कई महीनों से सरकार ने यह काउंसलिंग नहीं कराई है जिसकी वजह से अस्पतालों में नए बैच नहीं आ रहे। ऐसे में कैसे मरीजों का इलाज हो सकता है? उन्होंने कहा कि जब तक काउंसलिंग की तारीख घोषित नहीं होगी। तब तक हड़ताल खत्म नहीं होगी।

शनिवार को दिल्ली के अलावा हरियाणा, यूपी और राजस्थान से आए अलग अलग चिकित्सीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने मिलकर नई दिल्ली के निर्माण भवन स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने बताया कि रविवार शाम अस्पताल परिसर में कैंडल मार्च निकाला जाएगा। सोमवार को डॉक्टर सामूहिक रूप से इस्तीफा भी दे सकते हैं।

उधर स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और आगामी सुनवाई छह जनवरी को होने वाली है। ऐसे में डॉक्टरों की हड़ताल का औचित्य ही नहीं बनता। बहरहाल मरीजों की तकलीफ बढ़ती जा रही है और जल्द ही हड़ताल खत्म नहीं कराई गई तो कोरोना महामारी के बीच मरीजों की जान का जोखिम भी बन सकता है।

पुलिस ने दिया नोटिस, होगी कार्रवाई

डॉक्टरों ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने कोविड महामारी का हवाला देकर स्वास्थ्य मंत्रालय के बाहर विरोध प्रदर्शन नहीं करने का नोटिस दिया है। साथ ही डॉक्टरों से कहा है कि दिल्ली पुलिस का सहयोग नहीं करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तक हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में चुनावी रैलियां हो रही हैं। प्रधानमंत्री तक इसमें शामिल हो रहे हैं लेकिन डॉक्टर अपने और मरीजों के अधिकार की मांग कर रहे हैं तो पुलिस भी अपना खौफ दिखा रही है।

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