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High Court Said The Purpose Of Pocso Act Is To Protect Children From Sexual Harassment And Exploitation – हाईकोर्ट ने कहाः पोक्सो कानून का उद्देश्य है बच्चों को यौन उत्पीड़न और शोषण से बचाना

विजय सिंघल, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sun, 21 Nov 2021 05:55 AM IST

सार

ट्यूटर को जमानत देने से इंकार करते हुए अदालत ने की ये टिप्पणी। 

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पोक्सो अधिनियम वर्तमान प्रकृति का कानून लाने का उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीड़न और शोषण से बचाना और बच्चे के सर्वोत्तम हित को सुरक्षित करना है। 16 वर्षीय बच्ची से इस प्रकार के अपराध से वह लंबे अरसे तक आघात में रहती है। हाईकोर्ट ने छेड़छाड़ व पोक्सो मामले में ट्यूटर को जमानत देने से इंकार करते हुए उक्त टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति सुब्रामण्यम प्रसाद ने आरोपी ट्यूटर अनिल कुमार को जमानत देने से इंकार करते हुए अपने फैसले में कहा कि मामले में पीड़िता मात्र 16 वर्षीय बच्ची है। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि जिस बच्चे का मानसिक मानस कमजोर है, उसकी भलाई पर सर्वोपरि विचार किया जाना चाहिए। यह सर्वविदित है कि 16 वर्ष की एक युवा बालिका द्वारा झेली गई आघात लंबे समय तक चलने वाली है और एक बच्चे को उस आघात से बाहर आने में वर्षों लग जाते हैं। यह आघात बच्चे के विकास में बाधा डालता है और विभिन्न मनोवैज्ञानिक समस्याओं की ओर भी जाता है।

अदालत ने कहा याचिकाकर्ता आरोपी एक ट्यूटर है जो गवाहों को प्रभावित कर सकता है। अगर पॉक्सो एक्ट की धारा 9 के तहत अपराध के लिए उसे दोषी ठहराया जाता है कि तो याचिकाकर्ता को न्यूनतम 5 साल की क़ैद की सजा हो सकती है। इस स्तर पर याचिकाकर्ता को जमानत देना अर्थात आरोप तय होने से पहले ही पॉक्सो एक्ट के उद्देश्य को खत्म करना होगा।

पेश मामला प्रशांत विहार थाना क्षेत्र का है। आरोपी के खिलाफ 30 अगस्त 21 को मामला दर्ज करवाया गया था। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वह आरोपी से 10 वीं कक्षा में ट्यूशन लेती रही है और 11वीं कक्षा में ट्यूशन लेनी शुरु की। आरोपी ने कई बार उसे सभी बच्चों के जाने के बाद अकेले में अपनी समस्या का समाधान करवाने को कहा। घटना वाले दिन आरोपी ने उससे जबरन रोका व कमरें का दरवाजा बंद कर छेड़छाड की। पुलिस ने आरोपी को मामला दर्ज कर उसी दिन गिरफ्तार कर लिया।

बचाव पक्ष ने तर्क रखा कि आरोपपत्र दायर है और उनके मुवक्किल पर पोक्सों एक्ट लागू नहीं होता। इसके अलावा स्पष्ट साक्ष्य नहीं है और उनके मुवक्किल को प्रतिद्वंद्वी कोचिंग सेंटर के इशारे में फंसाया गया है। अदालत ने उनके इस तर्क को मामने से इंकार करते हुए उसे जमानत देने से इंकार कर दिया।

विस्तार

पोक्सो अधिनियम वर्तमान प्रकृति का कानून लाने का उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीड़न और शोषण से बचाना और बच्चे के सर्वोत्तम हित को सुरक्षित करना है। 16 वर्षीय बच्ची से इस प्रकार के अपराध से वह लंबे अरसे तक आघात में रहती है। हाईकोर्ट ने छेड़छाड़ व पोक्सो मामले में ट्यूटर को जमानत देने से इंकार करते हुए उक्त टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति सुब्रामण्यम प्रसाद ने आरोपी ट्यूटर अनिल कुमार को जमानत देने से इंकार करते हुए अपने फैसले में कहा कि मामले में पीड़िता मात्र 16 वर्षीय बच्ची है। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि जिस बच्चे का मानसिक मानस कमजोर है, उसकी भलाई पर सर्वोपरि विचार किया जाना चाहिए। यह सर्वविदित है कि 16 वर्ष की एक युवा बालिका द्वारा झेली गई आघात लंबे समय तक चलने वाली है और एक बच्चे को उस आघात से बाहर आने में वर्षों लग जाते हैं। यह आघात बच्चे के विकास में बाधा डालता है और विभिन्न मनोवैज्ञानिक समस्याओं की ओर भी जाता है।

अदालत ने कहा याचिकाकर्ता आरोपी एक ट्यूटर है जो गवाहों को प्रभावित कर सकता है। अगर पॉक्सो एक्ट की धारा 9 के तहत अपराध के लिए उसे दोषी ठहराया जाता है कि तो याचिकाकर्ता को न्यूनतम 5 साल की क़ैद की सजा हो सकती है। इस स्तर पर याचिकाकर्ता को जमानत देना अर्थात आरोप तय होने से पहले ही पॉक्सो एक्ट के उद्देश्य को खत्म करना होगा।

पेश मामला प्रशांत विहार थाना क्षेत्र का है। आरोपी के खिलाफ 30 अगस्त 21 को मामला दर्ज करवाया गया था। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वह आरोपी से 10 वीं कक्षा में ट्यूशन लेती रही है और 11वीं कक्षा में ट्यूशन लेनी शुरु की। आरोपी ने कई बार उसे सभी बच्चों के जाने के बाद अकेले में अपनी समस्या का समाधान करवाने को कहा। घटना वाले दिन आरोपी ने उससे जबरन रोका व कमरें का दरवाजा बंद कर छेड़छाड की। पुलिस ने आरोपी को मामला दर्ज कर उसी दिन गिरफ्तार कर लिया।

बचाव पक्ष ने तर्क रखा कि आरोपपत्र दायर है और उनके मुवक्किल पर पोक्सों एक्ट लागू नहीं होता। इसके अलावा स्पष्ट साक्ष्य नहीं है और उनके मुवक्किल को प्रतिद्वंद्वी कोचिंग सेंटर के इशारे में फंसाया गया है। अदालत ने उनके इस तर्क को मामने से इंकार करते हुए उसे जमानत देने से इंकार कर दिया।

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