UP IPS Rajeev Narayana Mishra News : "अयोध्या के रणबांकुरे से नोएडा के कानून के 'कमांडर' बने IPS राजीव नारायण मिश्र, योगी के भरोसेमंद अफसर, जिन्होंने श्रीराम जन्मभूमि पर किया था आतंकियों का खात्मा, अब अपराधियों पर चलाएंगे कानून का डंडा"
योगी के भरोसेमंद अफसर, जिन्होंने श्रीराम जन्मभूमि पर किया था आतंकियों का खात्मा, अब नोएडा की कमान संभाली

गौतमबुद्ध नगर, रफ्तार टुडे।
उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा के इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो अपने कार्य, कर्तव्यनिष्ठा और बहादुरी की वजह से हमेशा याद रखे जाते हैं। ऐसे ही एक नाम हैं – IPS राजीव नारायण मिश्र। जिन्होंने न केवल आतंकियों से लोहा लिया, बल्कि अपने विवेक और अनुशासन से पुलिसिंग को नई दिशा दी। अब यही जांबाज अफसर एक बार फिर गौतमबुद्ध नगर की कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एडिशनल पुलिस कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) की जिम्मेदारी निभाने आ गए हैं।
अयोध्या के आतंकी हमले में दिखाई थी वीरता, रच दिया था इतिहास
5 जुलाई 2005 को जब अयोध्या की पवित्र श्रीराम जन्मभूमि आतंकियों के निशाने पर थी, तब राजीव नारायण मिश्र एक युवा और तेजतर्रार अधिकारी के रूप में मोर्चे पर डटे हुए थे। उस दिन पांच फिदायीन आतंकवादी रामजन्मभूमि परिसर में घुसपैठ कर हमले को अंजाम देना चाहते थे। मिश्र ने अपने नेतृत्व में मात्र कुछ मिनटों में एक कुशल ऑपरेशन को अंजाम देते हुए सभी आतंकियों को मार गिराया। ये घटना देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक मिसाल बन गई।
इस वीरता पर मिला राष्ट्रपति से पुलिस वीरता पदक
उनकी इस बहादुरी के लिए भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें पुलिस वीरता पदक (Gallantry Medal) से सम्मानित किया। यही नहीं, समय-समय पर उन्हें डीजीपी, गृह मंत्रालय और केंद्र सरकार से कई प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
मुख्यमंत्री योगी के विश्वसनीय अधिकारियों में गिने जाते हैं
राजीव नारायण मिश्र की प्रशासनिक और रणनीतिक सूझबूझ को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपने भरोसेमंद अफसरों की सूची में शामिल किया है। प्रयागराज में हुए महाकुंभ के सफल संचालन, कोविड काल में असाधारण प्रबंधन और STF व ATS में आतंकियों व अपराधियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाइयों ने उन्हें एक भरोसेमंद अधिकारी बना दिया है।
अब नोएडा की जिम्मेदारी, उम्मीदों का भारी बोझ
नोएडा, जहां IT पार्क, मल्टीनेशनल कंपनियों, और लगातार बढ़ती आबादी के कारण लॉ एंड ऑर्डर एक चुनौती है, वहां पर अब राजीव नारायण मिश्र की तैनाती ने नई उम्मीद जगा दी है। पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने उन्हें ‘रिट सेल’ की भी जिम्मेदारी दी है, जो ठगी और रिटायर व्यक्तियों से जुड़े मामलों में न्याय दिलाने के लिए काम करता है।
शिक्षा और परिवार से मिले मजबूत संस्कार
राजीव नारायण मिश्र का जन्म कानपुर में हुआ था। उनके पिता उत्तर प्रदेश सरकार में वरिष्ठ अधिकारी रहे, जबकि मां मनोरमा मिश्र शिक्षिका थीं और दो विषयों में एमए के साथ ‘साहित्य रत्न’ उपाधि प्राप्त थीं। राजीव ने क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर से एमकॉम और पीपीएन कॉलेज में प्रवक्ता के रूप में काम किया। इसके बाद उन्होंने पीएचडी की और पीसीएस बनकर खंडवा (मध्यप्रदेश) में सेवाएं दीं, लेकिन उनका लक्ष्य IPS बनना था।
योगी के भरोसेमंद अफसरों में गिने जाते हैं राजीव नारायण
आईपीएस राजीव नारायण मिश्र 2010 बैच के अधिकारी हैं और उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद और पसंदीदा अफसरों में शामिल माना जाता है। प्रयागराज में हुए भव्य महाकुंभ के सफल आयोजन में भी उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही थी। हाल ही में वे प्रयागराज में पीएसी ईस्ट जोन के आईजी के रूप में कार्यरत थे, जहां से उन्हें अब नोएडा स्थानांतरित किया गया है।
IPS बनने के बाद किया कई जिलों में शानदार काम
2010 बैच के आईपीएस राजीव नारायण मिश्र ने वाराणसी, अयोध्या, मेरठ, बरेली, कुशीनगर, लखनऊ और पहले भी नोएडा में पुलिस कप्तान के रूप में सेवाएं दीं। वह नोएडा में पहले एसपी ट्रैफिक रह चुके हैं और यहां उन्होंने यूपी में पहली बार ऑटोमेटेड चालान सिस्टम लागू किया, जिससे सड़कों पर अनुशासन आया।

STF और ATS में किया आतंकवाद और साइबर अपराधों का खात्मा
उन्होंने STF में रहते हुए 37,000 करोड़ रुपये की साइबर ठगी को उजागर किया, साइबर अपराधियों को जेल पहुंचाया। ATS में रहते हुए कई आतंकी साजिशों को विफल किया। उनकी गिनती प्रदेश के उन अफसरों में होती है जो तकनीक और इंटेलिजेंस दोनों के सहारे अपराध को जड़ से खत्म करने में माहिर हैं।
पीसीएस से IPS बनने तक का सफर
आईपीएस बनने से पहले राजीव नारायण मिश्र मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित होकर खंडवा जिले में बतौर पीसीएस अधिकारी कार्य कर चुके हैं। लेकिन उनका लक्ष्य भारतीय पुलिस सेवा (IPS) था, जिसे उन्होंने अपने आत्मविश्वास और मेहनत से हासिल किया। इसके बाद वह 2010 बैच में आईपीएस बने।
वाराणसी से लेकर लखनऊ तक शानदार कार्यकाल
राजीव नारायण मिश्र की पहली नियुक्ति वाराणसी में हुई। इसके बाद उन्होंने अयोध्या, बरेली, मेरठ, कुशीनगर, लखनऊ और नोएडा जैसे संवेदनशील जिलों में कार्य किया। नोएडा में वह पहले भी एसपी ट्रैफिक रह चुके हैं, जहां उन्होंने कई अभिनव प्रयोग किए। उन्होंने यूपी में सबसे पहले नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर ऑटोमेटिक चालान प्रणाली लागू की, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में भारी कमी आई।
कोविड काल में मानवता की मिसाल बने
कोरोना की पहली लहर में जब लोग व्यवस्था से निराश हो रहे थे, तब उन्होंने अपने पीएसी कैंपस में एल-1 हॉस्पिटल बनवाया और 48 जवानों व उनके परिवारों का मुफ्त इलाज कराया। इस मॉडल को बाद में पूरे उत्तर प्रदेश में अपनाया गया।
अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग और सम्मान
राजीव नारायण मिश्र ने सिंगापुर से पुलिस ट्रेनिंग ली है। उन्हें अब तक राष्ट्रपति पुलिस पदक, DGP प्लेटिनम डिस्क, राज्य और केंद्र सरकार से कई प्रशंसा पत्र प्राप्त हो चुके हैं। वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी बराबरी का सम्मान देते हैं।
परिवार और टीम को मानते हैं अपनी ताकत
राजीव नारायण मिश्र अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों को अपनी सफलता का आधार मानते हैं। साथ ही वे अपनी टीम के हर सदस्य को ‘परिवार’ मानते हुए काम करते हैं। यही कारण है कि जहां भी उन्होंने सेवा दी, वहां पुलिसकर्मियों का मनोबल ऊंचा रहा।
अब नोएडा में कानून व्यवस्था को देंगे नई दिशा
नोएडा में उनकी वापसी को एक सख्त और पारदर्शी कानून व्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है। लोगों को उम्मीद है कि वह अतीत की तरह फिर से अपराधियों पर नकेल कसेंगे, और आम नागरिकों को सुरक्षित वातावरण देंगे। उनकी तकनीकी दक्षता, फील्ड अनुभव और मजबूत इरादों से नोएडा में अपराध नियंत्रण को नई दिशा मिलेगी।
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