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- It Does Not Matter How Long The Antibodies Remain After The Vaccine, The Memory Of T cells Gets The Power To Fight The Corona.
नई दिल्ली2 घंटे पहलेलेखक: पवन कुमार
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दुनिया भर में कोविड वैक्सीनेशन तेजी से हो रहा है और इसके साथ ही एक बहस भी तेजी से उभरने लगी है। हाल ही में कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि कोरोना से संक्रमित होकर ठीक होने वालों में बीमारी से लड़ने वाली एंटीबॉटी की मात्रा वैक्सीनेशन के बाद बनने वाली एंटीबॉटी से ज्यादा होती है। यही नहीं, संक्रमण के बाद बनने वाली एंटीबॉडी ज्यादा समय तक बनी रहती है। यह सवाल ऐसा है जो वैक्सीन लगवाने वाले हर व्यक्ति को चिंता में डालता है।
मगर भास्कर ने एक्सपर्ट्स से बात की तो उन्होंने एकमत से कहा कि शरीर में एंटीबॉडी की मात्रा के आधार पर संक्रमण के खतरे को नहीं आंका जा सकता। यही नहीं, एंटीबॉडी ज्यादा दिनों तक बने रहने से भी फर्क नहीं पड़ता। वैक्सीनेशन या संक्रमण दोनों के ही बाद शरीर के टी-सेल्स की मेमोरी में एंटीबॉडी बनाने वाले तत्व आ जाते हैं। भविष्य में संक्रमण की स्थिति में टी-सेल्स तुरंत एंटीबॉडी बनाने लगते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कई देशों में नेचुरल इंफेक्शन और वैक्सीन लगने के बाद बनने वाली एंटीबॉडी पर अध्ययन हुए हैं। लेकिन कोई भी ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।
वैक्सीन की एंटीबॉडी खास वैरिएंट के खिलाफ बनती है
एम्स के मेडिसिन विभाग के एसो.प्रोफेसर डाॅ.नीरज निश्चल का कहना है कि अभी स्पष्ट नहीं है कि किसकी एंटीबाॅडी लंबे समय तक रहती है। हां, संक्रमण के बाद बनने वाली एंटीबॉडी ज्यादा कारगर है। क्योंकि यह एंटीबॉडी कई तरह के एंटीजन के खिलाफ बनती है। वैक्सीन किसी खास वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा प्रभावी होती है।
एंटीबॉडी शरीर में रहे या कम हो जाए, फर्क नहीं पड़ता है
आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ.समीरन पांडा कहते हैं, एंटीबॉडी कम होने से फर्क नहीं पड़ता। एंटीबॉडी बनने के बाद जो मेमोरी सेल्स पैदा होते हैं उनमें इम्यूनिटी रहती है। यह कब तक रहती है यह स्पष्ट नहीं, क्योंकि बीमारी डेढ़ वर्ष ही पुरानी है। दूसरे वायरस के अनुभव बताते हैं कि यह वर्षों तक रह सकती है।
टी-सेल्स इम्यूनिटी रहे तो संक्रमण हल्का ही रहेगा
आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमण गंगाखेड़कर कहते हैं, संक्रमण खत्म होने के बाद एंटीबॉडी खत्म हो जाती है। भविष्य में संक्रमण हो तो टी-सेल्स की मेमोरी एक्टिवेट हो एंटीबॉडी बनाती हैं। टी-सेल्स इम्यूनिटी के बाद भी संक्रमण का खतरा रहेगा, लक्षण हल्के होंगे। बुजुर्ग-कमजोर इम्यूनिटी वालों को संभवत: बूस्टर डोज की जरूरत पड़े।
इम्यूनिटी की अवधि वैक्सीन और वायरस वैरिएंट पर निर्भर
नेशनल कोविड टेक्निकल टास्क फोर्स के सदस्य प्रो.के.श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि संक्रमण में वायरल लोड ज्यादा हो तो इम्यूनिटी लंबे समय तक रहती है। किसी को इंफेक्शन हुआ और उसने वैक्सीन भी लगवाई तो एक वर्ष से ज्यादा इम्यूनिटी रहेगी। इम्यूनिटी की अवधि वैक्सीन और वायरस के वैरिएंट पर भी निर्भर करती है।