सार
शराब के शौकीन लोगों को बुधवार से परेशान होना पड़ सकता है। आबकारी विभाग की नई नीति लागू हो जाएगी और सभी सरकारी खुदरा दुकानें बंद रहेंगी। इसकी जगह निजी दुकानें खुलेंगी, लेकिन एक साथ सभी निजी दुकानें नहीं खुलने की वजह से शराब केंद्रों पर भीड़ तो बढ़ेगी ही, साथ ही मनपसंद ब्रांड को लेकर भी लोगों को दिक्कत होगी। कई लोगों को तो शराब के लिए नई शराब की दुकान खोजने के लिए भटकना भी पड़ेगा।
राजधानी में कल से नई आबकारी नीति लागू हो जाएगी। शराब की सभी खुदरा दुकानों का संचालन निजी हाथों में चला जाएगा। नई शुरुआत के पहले दिन दिल्ली में शराब की किल्लत हो सकती है। इसकी बानगी मंगलवार को भी दिखी। लोग भटकते रहे और शराब की दुकानें बंद थीं। जो खुली थीं वहां भी शराब का स्टॉक खत्म हो गया था।
शराब के शौकीन लोगों को बुधवार से परेशान होना पड़ सकता है। आबकारी विभाग की नई नीति लागू हो जाएगी और सभी सरकारी खुदरा दुकानें बंद रहेंगी। इसकी जगह निजी दुकानें खुलेंगी, लेकिन एक साथ सभी निजी दुकानें नहीं खुलने की वजह से शराब केंद्रों पर भीड़ तो बढ़ेगी ही, साथ ही मनपसंद ब्रांड को लेकर भी लोगों को दिक्कत होगी। कई लोगों को तो शराब के लिए नई शराब की दुकान खोजने के लिए भटकना भी पड़ेगा।
पूरी दिल्ली में दिखेगा असर
आबकारी विभाग से जुड़े लोगों के अनुसार शराब की सरकारी दुकानें बंद होने का असर पूरे शहर में दिखेगा। सभी 850 निजी दुकानें बुधवार से काम करना शुरू कर देंगी, इसकी संभावना नहीं है। क्योंकि कई लोगों को लाइसेंस अभी तक नहीं मिले हैं। यहां तक कि एनओसी तक जारी नहीं किया गया है। नई दुकान खोलने की अनुमति जिन लोगों को दी गई है उनका कहना है कि अभी तक सरकार की तरफ से ब्रांड भी रजिस्टर नहीं किया गया है। ऐसे में कौन सा ब्रांड बिकेगा, यह भी तय नहीं है। लिहाजा शराब केंद्र पर शराब की प्रचूरता में एक महीने से ज्यादा का वक्त भी लग सकता है।
32 जोन में 27-27 शराब की दुकानें खोलने का है प्रावधान
नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया है। हर जोन में शराब की शराब की 27 दुकानें खुलनी हैं। बावजूद नई आबकारी नीति के तहत पहले दिन से करीब 300 से 350 दुकानों पर ही शराब की बिक्री होने की उम्मीद है। क्योंकि शराब की दुकान चलाने वाले भी अभी ठीक से नई नीति को समझ नहीं सके है। यह भी कहा जा रहा है कि करीब 350 दुकानों को प्रोविजनल लाइसेंस ही जारी किया गया है। हालांकि होलसेल लाइसेंस 10 लोगों को जारी किया गया है और इनके पास 200 से ज्यादा ब्रांड की शराब है। विभिन्न ब्रांड की नौ लाख लीटर शराब खरीदी गई है। ये नई दुकानों तक कितनी पहुंचेगी और कितनी बिकेगी यह भी तय नहीं है।
ट्रांजिशन पीरियड में जैसे-तैसे ही शराब की बिक्री होने की उम्मीद
निजी शराब की दुकानें 30 सितंबर को ही बंद हो गई थीं। इसके बाद डेढ़ महीने के ट्रांजिशन अवधि में सरकारी दुकानें जैसे-तैसे चल रही थीं। ये दुकानें तो मंगलवार रात को बंद हुई, लेकिन पिछले कई दिनों से स्टॉक की कमी की वजह से शराब के शौकीन लोगों को परेशान होना पड़ रहा था।
वॉक-इन का अनुभव देना भी है मकसद
सरकार की आबकारी नीति का मकसद हर जगह शराब की दुकान खोलना है। इतना ही नहीं, वॉक-इन सुविधा के साथ उपभोक्ताओं को नया एहसास कराना है। नई शराब की दुकानें वातानुकूलित और सीसीटीवी कैमरे से लैस रखना है। सड़कों और फुटपाथों पर लगने वाली भीड़ को भी खत्म करना है। हालांकि यह भी माना जाना रहा है कि सुविधा के साथ शराब की कीमत में भी इजाफा हो सकता है। हालांकि बाद में शराब की कीमतें स्थिर हो जाएंगी। दुकानों के खुलने का समय सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक निर्धारित किया गया है।
वक्त से पहले ही बंद हो गई दुकानें
नई अबकारी नीति तो बुधवार से लागू होगी और निजी ठेका खुलेगा, लेकिन मंगलवार को शराब के शौकीन लोगों को परेशान होना पड़ा। लक्ष्मी नगर, गोल मार्केट, मुखर्जी नगर, सरोजनी नगर समेत कई इलाकों की दुकानों का शटर दोपहर में ही बंद हो गया। जो दुकान खुली भी वहां शराब का स्टॉक नहीं था। दुकानदारों का यहां तक कहना था कि नई आबकारी नीति समझ से परे है। यह तय है कि अगले कई दिनों तक राजधानी में शराब की किल्लत होगी।
आस-पड़ोस के रोजगार पर भी असर आमूमन ठेके के आसपास चखना के लिए कई दुकानें खुल जाती हैं। अंडे की दुकान, चाट-पकौड़ों की दुकान, चना-चबेना की दुकान चलाने से हजारों लोगों का रोजगार जुड़ा होता है। पुरानी दुकानें बंद होने से इन लोगों का रोजगार खत्म होता दिख रहा है।
सरकारी दुकानों पर काम करने वालों को भी संकट
सरकारी दुकानों के बंद होने से सरकारी कर्मचारियों के लिए भी संकट है। अब उन्हें किसी और काम में सरकार को जोड़ना पड़ेगा। इनमें कई ऐसे कर्मचारी भी शामिल है जो सेवा निवृत होने वाले है। ऐसे में अगर उन्हें दूसरा काम सौंपा गया तो उनके लिए बेहद मुश्किल होगा। फिर सरकार ने भी उन कर्मचारियों को स्पष्ट नहीं किया है कि उनकी नई जिम्मेदारी क्या होगी। सरकार की तरफ से कर्मचारियों को एक्शन प्लान नहीं बताया गया है।
मिक्स लैंड यूज भी समस्या
जहां नया ठेका खोलना है वहां जमीन की समस्या भी होगी। नरेला इलाके की बात करें तो यहां शराब केंद्र खोलने के लिए लैंड यूज चेंज करना होगा। तभी शराब केंद्र खोले जा सकेंगे। इसमें एक महीने से अधिक का वक्त लग सकता है। इसी तरह डीडीए ने मिक्स लैंड यूज में शराब की दुकान खोलने की अनुमति नहीं दी है। अगर नई नीति के तहत शराब की दुकान मिक्स लैंड यूज में खोली जाती है तो फिर डीडीए नियम-कायदों के अनुसार व्यवधान उत्पन्न कर सकता है।
विस्तार
राजधानी में कल से नई आबकारी नीति लागू हो जाएगी। शराब की सभी खुदरा दुकानों का संचालन निजी हाथों में चला जाएगा। नई शुरुआत के पहले दिन दिल्ली में शराब की किल्लत हो सकती है। इसकी बानगी मंगलवार को भी दिखी। लोग भटकते रहे और शराब की दुकानें बंद थीं। जो खुली थीं वहां भी शराब का स्टॉक खत्म हो गया था।
शराब के शौकीन लोगों को बुधवार से परेशान होना पड़ सकता है। आबकारी विभाग की नई नीति लागू हो जाएगी और सभी सरकारी खुदरा दुकानें बंद रहेंगी। इसकी जगह निजी दुकानें खुलेंगी, लेकिन एक साथ सभी निजी दुकानें नहीं खुलने की वजह से शराब केंद्रों पर भीड़ तो बढ़ेगी ही, साथ ही मनपसंद ब्रांड को लेकर भी लोगों को दिक्कत होगी। कई लोगों को तो शराब के लिए नई शराब की दुकान खोजने के लिए भटकना भी पड़ेगा।
पूरी दिल्ली में दिखेगा असर
आबकारी विभाग से जुड़े लोगों के अनुसार शराब की सरकारी दुकानें बंद होने का असर पूरे शहर में दिखेगा। सभी 850 निजी दुकानें बुधवार से काम करना शुरू कर देंगी, इसकी संभावना नहीं है। क्योंकि कई लोगों को लाइसेंस अभी तक नहीं मिले हैं। यहां तक कि एनओसी तक जारी नहीं किया गया है। नई दुकान खोलने की अनुमति जिन लोगों को दी गई है उनका कहना है कि अभी तक सरकार की तरफ से ब्रांड भी रजिस्टर नहीं किया गया है। ऐसे में कौन सा ब्रांड बिकेगा, यह भी तय नहीं है। लिहाजा शराब केंद्र पर शराब की प्रचूरता में एक महीने से ज्यादा का वक्त भी लग सकता है।
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