अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: अनुराग सक्सेना
Updated Thu, 25 Nov 2021 09:50 AM IST
सार
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा कि अधिकारी 10 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख तक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अनिल समानिया को सुरक्षा मुहैया कराते रहेंगे। इतना ही नहीं अदालत ने 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे अधिकारी की याचिका पर गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, यूपी सरकार और यूपी पुलिस महानिदेशक से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को बहुचर्चित नितीश कटारा हत्याकांड मामले की जांच से जुड़े यूपी पुलिस के जांच अधिकारी को मिली सुरक्षा जारी रखने का निर्देश दिया है। उक्त अधिकारी जल्द रिटायर होने वाले है और उन्होंने अपनी जान को खतरा बताया है।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा कि अधिकारी 10 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख तक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अनिल समानिया को सुरक्षा मुहैया कराते रहेंगे। इतना ही नहीं अदालत ने 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे अधिकारी की याचिका पर गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, यूपी सरकार और यूपी पुलिस महानिदेशक से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याची ने कहा कि उन्हें 2002 से अब तक सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षा वापस ले ली जाएगी और ऐसी स्थिति में उनकी और उनके परिवार के सदस्यों की जान को गंभीर खतरा होगा। उन्होंने कहा कि वह यूपी पुलिस से 40 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं और नीतीश कटारा हत्याकांड की जांच की थी जिसमें पूर्व मंत्री डीपी यादव के बेटे विकास यादव और भतीजे विशाल यादव शामिल थे।
याची के अधिवक्ता पीके डे ने कहा कि नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा और अजय कटारा, जो हत्या के मामले में गवाह थे, को खतरा देखते हुए 24 घंटे सुरक्षा प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए विशेष रूप से डीपी यादव के प्रभाव को देखते हुए न्याय के हित में याचिकाकर्ता और उनके परिवार के जीवन और स्वतंत्रता को देखते हुए उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया जा सकता है।
ये था मामला
तीन अक्टूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने कटारा के अपहरण और हत्या में उनकी भूमिका के लिए विकास यादव और उनके चचेरे भाई विशाल को बिना किसी छूट के 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी। एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को भी मामले में 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा विकास और विशाल यादव को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए दोनों को बिना किसी छूट के 30 साल की सजा सुनाई थी। तीनों पर आरोप था कि उन्होंने 16 फरवरी 2002 को नितीश का अपरण कर उसकी हत्या कर शव को जला दिया था। उन्हें संदेह था कि कटारा का उनकी बहन भारती यादव से प्रेम संबंध है।
विस्तार
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को बहुचर्चित नितीश कटारा हत्याकांड मामले की जांच से जुड़े यूपी पुलिस के जांच अधिकारी को मिली सुरक्षा जारी रखने का निर्देश दिया है। उक्त अधिकारी जल्द रिटायर होने वाले है और उन्होंने अपनी जान को खतरा बताया है।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा कि अधिकारी 10 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख तक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अनिल समानिया को सुरक्षा मुहैया कराते रहेंगे। इतना ही नहीं अदालत ने 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे अधिकारी की याचिका पर गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, यूपी सरकार और यूपी पुलिस महानिदेशक से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याची ने कहा कि उन्हें 2002 से अब तक सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षा वापस ले ली जाएगी और ऐसी स्थिति में उनकी और उनके परिवार के सदस्यों की जान को गंभीर खतरा होगा। उन्होंने कहा कि वह यूपी पुलिस से 40 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं और नीतीश कटारा हत्याकांड की जांच की थी जिसमें पूर्व मंत्री डीपी यादव के बेटे विकास यादव और भतीजे विशाल यादव शामिल थे।
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