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The daily tests are now halved compared to the second wave of corona; The tracking of the infected is also almost closed, fearing a new crisis | कोरोना की दूसरी लहर के मुकाबले प्रतिदिन होने वाले टेस्ट अब आधे; संक्रमितों की ट्रैकिंग भी लगभग बंद, इससे नए संकट का डर

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नई दिल्लीएक दिन पहलेलेखक: पवन कुमार

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औसतन 19 लाख से घटकर 10 लाख प्रतिदिन पर आ गए टेस्ट, इनमें आरटीपीसीआर की हिस्सेदारी भी 8% घट गई है। - Dainik Bhaskar

औसतन 19 लाख से घटकर 10 लाख प्रतिदिन पर आ गए टेस्ट, इनमें आरटीपीसीआर की हिस्सेदारी भी 8% घट गई है।

देश में 29 अक्टूबर के बाद रोज कोरोना के नए केस 13 हजार का आंकड़ा नहीं छू पाए हैं। इससे लगता है कि देश से कोरोना खत्म होता जा रहा है, मगर इस खुशफहमी में की गई लापरवाही भारी पड़ सकती है। एक तथ्य यह भी है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान यानी इस साल अप्रैल-मई में हम रोज जितने टेस्ट कर रहे थे, अभी उसके आधे ही टेस्ट हो रहे हैं।

अप्रैल में रोज औसतन 18 लाख, मई में 19.5 लाख जबकि जून में प्रतिदिन औसतन 19 लाख टेस्ट हो रहे थे। जबकि 31 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच किसी भी दिन टेस्ट 11 लाख तक नहीं पहुंचे।दूसरी चिंताजनक बात यह है कि जिस आरटीपीसीआर को पूरी दुनिया में टेस्टिंग का गोल्ड स्टैंडर्ड माना गया है, उसकी हिस्सेदारी देश में घट रही है। अप्रैल से जून के बीच 70% आरटीपीसीआर व 30% रैपिड एंटीजन टेस्ट होते थे। मगर 29 अक्टूबर से 4 नवंबर तक के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कुल जांच में आरटीपीसीआर की हिस्सेदारी 8% घटकर अब 62% ही रह गई है।

यहां आरटीपीसीआर कम

  • 691 जिलों में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 5% से कम है। इनमें 298 जिले ऐसे हैं जहां टेस्टिंग में रैपिड एंटीजन टेस्ट का अनुपात 50% या इससे ज्यादा है।
  • 79 जिलों में एंटीजन का अनुपात 40% या इससे ज्यादा है। यानी 54.5% जिले मुख्यत: रैपिड एंटीजन टेस्ट पर ही निर्भर हैं।

यहां आरटीपीसीआर ज्यादा

  • 18 जिलों में टेस्ट पाॅजिटिविटी रेट 10% से ज्यादा है। इनमें 11 जिले ऐसे हैं जहां टेस्टिंग में आरटीपीसीआर का अनुपात 50% से ज्यादा है।
  • बचे 7 जिलों में से किसी में भी आरटीपीसीआर का अनुपात 40% भी नहीं है। यानी 61.1% जिले मुख्यत: आरटीपीसीआर पर ही निर्भर हैं।

3 राज्यों के उदाहरण से समझिए, आरटीपीसीआर टेस्टिंग का असर

केरल: एकमात्र राज्य जहां सभी जिलों में आरटीपीसीआर ही ज्यादा है। किसी भी जिले में आरटीपीसीआर का अनुपात 65% से कम नहीं है। 9 जिलों में पॉजिटिविटी रेट 10% के ऊपर और 5 जिलों में 5% से ज्यादा है।
असम: कार्बी आंगलॉन्ग को छोड़ सभी जिलों में एंटीजन टेस्ट का अनुपात 55% से ज्यादा है। असम के 1 जिले में पॉजिटिविटी रेट 10% से ज्यादा व 1 जिले में 5% से ज्यादा है। बाकी 31 में पॉजिटिविटी 5% से कम है।
बिहार: 38 जिलों में से एक में भी टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 5% से ज्यादा नहीं है। यहां सिर्फ 10 जिलों में ही आरटीपीसीआर का अनुपात 50% या इससे ज्यादा है। बाकी 28 में रैपिड एंटीजन टेस्ट ही ज्यादा हो रहे हैं।

कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बंद
प्रोटोकॉल है- पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों का एंटीजन टेस्ट करें। पॉजिटिव आने वाले मरीज माने जाएं। लक्षण हों और रिपोर्ट निगेटिव हो तो आरटीपीसीआर करें। मगर अभी ज्यादातर राज्यों में खुद सेंटर आने वालों के ही टेस्ट हो रहे हैं।

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