फरीदाबादएक घंटा पहले
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नगर निगम में हुए 50 करोड़ घोटाले काे लेकर नई कमेटी के सिफारिश पर जीएसटी विभाग अब संबंधित ठेकेदार की कुंडली खंगालने में जुट गया है। विभाग ये पता करने में जुटा है कि ठेकेदार ने निगम से जितनी पेमेंट ली है उस पर बनने वाला जीएसटी टैक्स जमा कराया है या नहीं। माना जा रहा है कि इस नई कमेटी की जांच में कई उच्चाधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं। यहां तक की पूर्व निगम कमिश्नर की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ रही है।
बता दें कि निगम कमिश्नर यशपाल यादव ने इस घोटाले की दोबारा जांच के लिए एडिश्नल कमिश्नर अभिषेक मीणा की अध्यक्षता में नई जांच कमेटी बनाई है। इस कमेटी में डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग, निगम पार्षद अजय बैंसला, अतिरिक्ति आयुक्त इंद्रजीत कुलाड़िया, चीफ इंजीनियर रामजी लाल शामिल है। कमेटी अपनी जांच शुरू कर दी है। इसके लिए दो बैठकें हो चुकी है। जांच में शामिल होने के लिए कई अधिकारियों को नोटिस जारी किया जा चुका है। उधर कांग्रेसी विधायक नीरज शर्मा का कहना है कि ये घोटाला 50 करोड़ का नहीं बल्कि 500 करोड़ का है। इस पूरे मामले में केवल लीपापोती की जा रही है।
घोटाले का ये है पूरा मामला
निगम पार्षद दीपक चौधरी ने अकाउंट ब्रांच से 2017 से 2019 तक विकास कार्यों का ब्यौरा मांगा था। उन्होंने पूछा था कि किस फंड से किस ठेकेदार को कितनी पेमेंट हुई। चौधरी ने बताया कि उनके वॉर्ड में 27 ऐसे कार्य हुए हैं जिनमें 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की पेमेंट दिखाई गई है। कामों में नालियों की रिपेयरिंग, इंटरलॉकिंग टाइल लगाना और स्लैब लगाने को दिखाया गया। लेकिन वहां कोई काम ही नहीं हुआ। पता करने पर ऐसे दस वार्ड सामने आए जहां काम नहीं हुआ और ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया। कुल 10 वार्डों में करीब 50 करोड़ का विकास दिखाकर ठेकेदार ने निगम से पेंमेंट लिया है।
तत्कालीन कमिश्नर ने एक दिन में किए 30 करोड़
निगम सूत्रों की मानें तो इस घोटाले में अक्टूबर 2019 में ठेकेदार को तत्कालीन निगम कमिश्नर ने एक दिन में 30 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। ठेकेदार ने कहीं ट्यूबवेल लगाने के नाम पर तो कहीं सीवर ढक्कन लगाने और टाइल्स लगाने के नाम पर 30 से अधिक कामों की अनुमति लेकर गड़बड़ी की है। इसकी भी जांच की जा रही है। डिप्टी मेयर के मुताबिक ये घोटाला 200 करोड़ से भी अधिक का है।
जीएसटी खंगाल रहा दस्तावेज
निगम सूत्रों ने बताया कि नई कमेटी ने जीएसटी विभाग को पत्र लिखकर संबंधित ठेकेदार को हुए भुगतान के बदले जमा कराई गई जीएसटी की रिपोर्ट देने की गुजारिश की थी। इस पर विभाग ने ठेकेदार द्वारा जमा कराए गई जीएसटी की जांच शुरू कर दी है। डिप्टी एक्सइसाइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर पुनीत शर्मा का कहना है कि निगम ने जो रिकॉर्ड मांगा है उसे उपलब्ध कराया जाएगा। विभाग के पास जमा कराई गई सभी जीएसटी का रिकॉर्ड उपलब्ध होता है।