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Petition Filed In Supreme Court Seeking Fair Investigation In A Hate Crime Case – नोएडा: घृणा अपराध से जुड़े एक मामले में निष्पक्ष जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

अमर उजाला ब्यूरो, नोएडा
Published by: सुशील कुमार
Updated Sat, 27 Nov 2021 12:27 AM IST

सार

जस्टिस एएम. खानविलकर और जस्टिस सीटी. रविकुमार की पीठ के समक्ष शुक्रवार को याचिका सुनवाई के लिए आई। पीठ ने कहा कि नफरत भरे भाषण के मुद्दे पर लंबित अन्य याचिकाओं के साथ ही इस मामले पर सुनवाई होगी।

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नोएडा में इस वर्ष जुलाई में हुए एक कथित घृणा अपराध के मामले की निष्पक्ष जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। दिल्ली के रहने वाले 62 वर्षीय याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि नोएडा में कथित घृणा अपराध के मामले में उन्हें अपशब्द कहा गया और उनका उत्पीड़न किया गया।

याचिका में जिला गौतमबुद्धनगर के कुछ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पहले के एक निर्देश के मुताबिक एहतियाती और उपचारात्मक उपाय करने में कथित तौर पर विफल रहने के लिए विभागीय या दंडात्मक कार्यवाही शुरू करने की भी मांग की गई है। 

जस्टिस एएम. खानविलकर और जस्टिस सीटी. रविकुमार की पीठ के समक्ष शुक्रवार को याचिका सुनवाई के लिए आई। पीठ ने कहा कि नफरत भरे भाषण के मुद्दे पर लंबित अन्य याचिकाओं के साथ ही इस मामले पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दे दी कि याचिका की प्रति उत्तर प्रदेश सरकार के वकील एवं अन्य प्रतिवादियों को दें। 

याचिका में दावा किया गया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के साथ ही संबंधित पुलिस अधिकारियों को कई बार आवेदन देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि ‘उनकी दाढ़ी और मुस्लिम पहचान’ के कारण उन पर हमला किया गया।

विस्तार

नोएडा में इस वर्ष जुलाई में हुए एक कथित घृणा अपराध के मामले की निष्पक्ष जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। दिल्ली के रहने वाले 62 वर्षीय याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि नोएडा में कथित घृणा अपराध के मामले में उन्हें अपशब्द कहा गया और उनका उत्पीड़न किया गया।

याचिका में जिला गौतमबुद्धनगर के कुछ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पहले के एक निर्देश के मुताबिक एहतियाती और उपचारात्मक उपाय करने में कथित तौर पर विफल रहने के लिए विभागीय या दंडात्मक कार्यवाही शुरू करने की भी मांग की गई है। 

जस्टिस एएम. खानविलकर और जस्टिस सीटी. रविकुमार की पीठ के समक्ष शुक्रवार को याचिका सुनवाई के लिए आई। पीठ ने कहा कि नफरत भरे भाषण के मुद्दे पर लंबित अन्य याचिकाओं के साथ ही इस मामले पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दे दी कि याचिका की प्रति उत्तर प्रदेश सरकार के वकील एवं अन्य प्रतिवादियों को दें। 

याचिका में दावा किया गया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के साथ ही संबंधित पुलिस अधिकारियों को कई बार आवेदन देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि ‘उनकी दाढ़ी और मुस्लिम पहचान’ के कारण उन पर हमला किया गया।

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