सार
औसतन दिल्ली में प्रतिव्यक्ति करीब 270 लीटर पानी की रोजाना आपूर्ति की जा रही है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो इसमें औसत 30 लीटर की कमी के बाद यह 240 लीटर प्रतिव्यिक्त तक पहुंचता है। आबादी में बढ़ोतरी के साथ पानी की आपूर्ति में बढ़ोतरी के बजाय इसमें कमी से समस्या कमोबेश बनी हुई है।
दिल्ली में पानी की किल्लत
– फोटो : फाइल फोटो
दिल्ली की आबादी पिछले एक दशक में 21.2 फीसदी बढ़ी है। मगर जीने के लिए सबसे जरूरी पानी की आपूर्ति अभी भी 93 फीसदी घरों में ही हो पा रही है। करीब सात फीसदी घरों में अभी भी पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति नहीं होने से इतनी आबादी बोतलबंद पानी या टैंकरों पर निर्भर हैं। कई बार पाइपलाइन के क्षतिग्रस्त होने से पानी का रिसाव या यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा में बढ़ोतरी का भी हर साल दिल्लीवासियों को पानी की किल्लत के तौर पर खामियाजा भुगतना पड़ता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली में जलस्त्रोतों की कमी और दूसरे राज्यों पर पानी के लिए निर्भरता के कारण आबादी के मुताबिक पानी की आपूर्ति में बढ़ोतरी नहीं हो सकी है। दिल्ली जल बोर्ड की कोशिश है कि जलाशयों को पुनर्जीवित करने और ट्यूबवेल की संख्या बढ़ाई जाए ताकि पानी की कमी को पूरा किया जा सके।
दिल्ली में औसतन रोजाना 950 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी की आपूर्ति की जा रही है। पूरी आबादी के लिए पानी की औसत मांग 1100 एमजीडी से भी अधिक है। रोजाना करीब 150 एमजीडी (60 करोड़ लीटर) पानी की कमी रह जाती है। दिल्ली की आबादी दो करोड़ से अधिक हो चुकी है और पानी की बढ़ोतरी के बजाय रोजाना प्रति व्यक्ति आपूर्ति में 30 लीटर कम पानी से गुजारा करना पड़ रहा है।
औसतन दिल्ली में प्रतिव्यक्ति करीब 270 लीटर पानी की रोजाना आपूर्ति की जा रही है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो इसमें औसत 30 लीटर की कमी के बाद यह 240 लीटर प्रतिव्यिक्त तक पहुंचता है। आबादी में बढ़ोतरी के साथ पानी की आपूर्ति में बढ़ोतरी के बजाय इसमें कमी से समस्या कमोबेश बनी हुई है।
कोशिशों के बाद भी लाखों लोग बोतलबंद पानी और टैंकर के सहारे
दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक इसके लिए जलाशयों को पुनर्जीवित करने सहित ट्यूबवेलों की संख्या भी बढ़ाई जा रही हैं। द्वारका में नया वाटर प्लांट लगाया जा रहा है तो दूसरी तरफ आरओ प्लांट और टैंकरों की संख्या भी बढ़ाई जा रही हैं ताकि पानी की कमी न रहे। पानी के लिए मांग और आपूर्ति में रोजाना 150 एमजीडी से अधिक अंतर के कारण परेशानियां गहराती जा रही हैं। अभी भी दिल्ली की कुछ कॉलोनियां में पानी की किल्लत से लोगों को जूझना पड़ रहा है। बुनियादी जरूरत होने से लोगों को बोतलबंद और पानी के टैंकर का ही सहारा लेना पड़ रहा है।
हर माह सरकार की ओर से 20 हजार लीटर पानी की निशुल्क आपूर्ति
दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली के सभी घरों में हर माह 20 किलो लीटर यानि 20 हजार लीटर पानी की निशुल्क आपूर्ति की जा रही है। सीवर की समस्या न रहे, इसलिए सरकार की ओर से फ्री सीवर कनेक्शन भी मुहैया किए जा रहे हैं।
दिल्ली सरकार की ओर से पानी की किल्लत कम करने के लिए किए जा रहे उपाय से 1571 कॉलोनियों में पानी की आपूर्ति की जा रही है। अभी भी करीब 87 फीसदी कॉलोनियों में पानी की आपूर्ति की जा रही है। हालांकि दिल्ली जल बोर्ड का दावा है कि शेष 13 फीसदी कॉलोनियों में भी पानी की आपूर्ति बढ़ाने के लिए पाइपलाइन बिछाने के बाद घरों तक पानी पहुंचाने की कोशिशें जारी है।
. करीब 40 फीसदी पानी (नॉन रेवन्यू) की बबार्दी
.90 फीसदी दूसरे राज्यों से दिल्ली को पानी की आपूर्ति की जा रही है। यानि सभी तरह के प्रयासों के बाद भी महज 10 फीसदी पानी की ही दिल्ली से आपूर्ति हो रही है।
-गंगा, यमुना बेसिन और इंडस बेसिन हैं पानी के मुख्य स्त्रोत
-दिल्ली के 93 फीसदी घरों में पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति की जा रही है।
-दिल्ली में जलापूर्ति का नेटवर्क करीब 14935 किलोमीटर के दायरे में है।
– 117 भूमिगत जलाशय हैं जबकि जीपीएस से लैस 407 नए टैंकर लगाए गए हैं ताकि जरूरत के मुताबिक पानी की आपूर्ति की जा सके।
-मास्टर प्लान-2021 के मुताबिक रोजाना 80 गैलन प्रति व्यक्ति पानी को आधार मानते हुए करीब 2 करोड़, 30 लाख की आबादी के लिए रोजाना 1380 एमजीडी पानी की जरूरत है। इसके तहत करीब 50 गैलन घरेलू जबकि 30 फीसदी गैर घरेलू जरूरतें पूरी की जा सकती हैं।
-घरेलू में 172 एलपीसीडी, औद्योगिक में 47 एलपीसीडी यानि प्रति हेक्टेयर 45 हजार, अग्निशमन के लिए करीब तीन एलपीसीडी, प्रवासी और होटलों और दूतावास में करीब 52 एलपीसीडी पानी की आपूर्ति की जा रही है।
ट्रीटमेंट प्लांट से पानी की आपूर्ति में 10 वर्ष में 106 एमजीडी की बढ़ोतरी
दिल्ली के वाटर प्लांट से पानी के शोधन के बाद अलग अलग हिस्सों में पानी की आपूर्ति की जा रही है। इसके तहत चंद्रावल-1, 2, वजीराबाद-1, 2, हैदरपुर, उत्तरी शाहदरा, बवाना, नांगलोई, सोनिया विहार में ट्रीटमेंट के बाद पानी की आपूर्ति की जा रही है। रैनीवेल और ट्यूबवेल से भी पानी की आपूर्ति की जा रही हैं। 2010 में सभी प्लांट से करीब 810 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जा रही थी। 2020 में इसमें करीब 106 एमजीडी पानी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान रैनीवेल और ट्यूबवेल से पानी की आपूर्ति में करीब 10 एमजीडी की कमी आई है।
नोट: सभी आंकड़े आर्थिक सर्वेक्षण व दिल्ली जल बोर्ड से लिए गए हैं।
विस्तार
दिल्ली की आबादी पिछले एक दशक में 21.2 फीसदी बढ़ी है। मगर जीने के लिए सबसे जरूरी पानी की आपूर्ति अभी भी 93 फीसदी घरों में ही हो पा रही है। करीब सात फीसदी घरों में अभी भी पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति नहीं होने से इतनी आबादी बोतलबंद पानी या टैंकरों पर निर्भर हैं। कई बार पाइपलाइन के क्षतिग्रस्त होने से पानी का रिसाव या यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा में बढ़ोतरी का भी हर साल दिल्लीवासियों को पानी की किल्लत के तौर पर खामियाजा भुगतना पड़ता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली में जलस्त्रोतों की कमी और दूसरे राज्यों पर पानी के लिए निर्भरता के कारण आबादी के मुताबिक पानी की आपूर्ति में बढ़ोतरी नहीं हो सकी है। दिल्ली जल बोर्ड की कोशिश है कि जलाशयों को पुनर्जीवित करने और ट्यूबवेल की संख्या बढ़ाई जाए ताकि पानी की कमी को पूरा किया जा सके।
दिल्ली में औसतन रोजाना 950 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी की आपूर्ति की जा रही है। पूरी आबादी के लिए पानी की औसत मांग 1100 एमजीडी से भी अधिक है। रोजाना करीब 150 एमजीडी (60 करोड़ लीटर) पानी की कमी रह जाती है। दिल्ली की आबादी दो करोड़ से अधिक हो चुकी है और पानी की बढ़ोतरी के बजाय रोजाना प्रति व्यक्ति आपूर्ति में 30 लीटर कम पानी से गुजारा करना पड़ रहा है।
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