नई दिल्ली6 घंटे पहले
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जीवन में कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति हो, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। यह बात शिक्षा क्षेत्र से जुड़े उद्यमी अजय गुप्ता ने साबित कर दिखाई है। पोलियो और हादसे के कारण व्हीलचेयर पर 18 घंटे काम करने वाले अजय ने शिक्षा में एक नया मुकाम हासिल किया है। उनके द्वारा स्थापित संस्थान बचपन प्ले स्कूल, एकेडमिक हाइट्स पब्लिक स्कूल और ऋषिहुड यूनिवर्सिटी के माध्यम से वे समावेशी शिक्षा के मिशन में जुट गए हैं।
मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में अजय गुप्ता गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से संतुष्ट नहीं हुए, लेकिन जब उनकी बेटी ने प्री-स्कूल जाना शुरू किया ताे उन्हाेंने देखा कि पाठ्यक्रम और संरचना आज भी जस का तस है। कुछ भी नहीं बदला है। उन्हाेंने ठान लिया कि वे नई पीढ़ी को शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर का बनाएंगे। नए पाठ्यक्रम और एकीकृत प्रौद्योगिकी विकसित कर देशभर में उन्होंने 1100 से ज्यादा प्री-स्कूल खोले।
इसके बाद उन्होंने के-12 शिक्षा की ओर कदम बढ़ाते हुए एकेडमिक हाइट्स पब्लिक स्कूल की 100 से ज्यादा शाखाएं स्थापित की। छात्रों में सीखने की कला और कौशल विकास की प्रवृत्ति बढ़ाने के लिए उन्होंने ऋषिहुड विश्वविद्यालय की स्थापना की। यह भारत का एकमात्र विवि है, जो दिव्यांगों के लिए पूरी तरह अनुकूल है। समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनके सह संस्थापकों ने भी इस मिशन में भरपूर सहयोग किया।
33 सालों तक बैसाखी के सहारे चलने वाले अजय 2015 में हादसे का शिकार हुए लेकिन उनकी यात्रा रुकी नहीं। उद्यमशीलता की यात्रा के दौरान उन्होंने हेल्थकेयर, एडटेक, रिटेल और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में भी कदम रखा। उनका कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में नई पीढ़ी को वैश्विक स्तर पर संपूर्ण दृष्टिकोण उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं।