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Jamia Millia: The Petition Seeking A Decision On The Issue Challenging The Appointment Of Vice Chancellor Najma Akhtar By December 3 Dismissed – जामिया मिल्लिया: कुलपति नजमा अख्तर की नियुक्ति को चुनौती मुद्दे पर तीन दिसंबर तक फैसला करने की मांग वाली याचिका खारिज

सार

अपील जेएमआई में विधि संकाय के पूर्व छात्र एम एहतेशाम-उल-हक द्वारा दायर की गई है, जिसमें नियुक्ति को चुनौती देते हुए दावा किया गया है कि यूजीसी और जेएमआई अधिनियम द्वारा जारी नियमों का उल्लंघन है। हक की ओर से पेश अधिवक्ता आरके सैनी ने यह निर्देश देने की मांग की कि सुनवाई की अगली तारीख यानी तीन दिसंबर को अंतिम सुनवाई के लिए अपील पर सुनवाई की जाए।

जामिया की वीसी नजमा अख्तर
– फोटो : अमर उजाला

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दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की वर्तमान कुलपति नजमा अख्तर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर तीन दिसंबर तक सुनवाई और फैसला करने की मांग वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि आवेदन विचार करने योग्य नहीं है और जब भी अपील को सूचीबद्ध किया जाएगा इस पर सुनवाई की जाएगी।

पीठ ने कहा इस अदालत के समक्ष हर दिन इतने सारे मामले सूचीबद्ध होते हैं और उन पर सुनवाई होती है। इस मामले में कुछ खास नहीं है। ऐेसे में आवेदन खारिज किया जाता है। याची ने सिंगल जज के पांच मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली एक लंबित अपील में आवेदन दायर किया गया था, जिसमें जामिया की वीसी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि याचिका में कोई योग्यता नहीं है।

अपील जेएमआई में विधि संकाय के पूर्व छात्र एम एहतेशाम-उल-हक द्वारा दायर की गई है, जिसमें नियुक्ति को चुनौती देते हुए दावा किया गया है कि यूजीसी और जेएमआई अधिनियम द्वारा जारी नियमों का उल्लंघन है। हक की ओर से पेश अधिवक्ता आरके सैनी ने यह निर्देश देने की मांग की कि सुनवाई की अगली तारीख यानी तीन दिसंबर को अंतिम सुनवाई के लिए अपील पर सुनवाई की जाए और अगर किसी कारण से ऐसा करना संभव न हो तो स्थगन के लिए आवेदन या उस दिन अंतरिम आदेश सुने और निपटाए जाएं।

याचिका में कहा गया है कि अपील को पहले ही इस अदालत के समक्ष चार बार सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा चुका है और यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि सुनवाई की अगली तारीख तीन दिसंबर को भी इसे अंतिम रूप से सुना और निपटाया जा सकता है। याची ने कहा कि वीसी का कुल कार्यकाल पांच साल का है और वह 11 अप्रैल, 2019 से पिछले ढाई साल से अधिक समय से इस पद पर हैं, और इस पद के लिए उनका आधा कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है।

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इससे पहले याचिका पर केंद्र, केंद्रीय सतर्कता आयोग, जामिया, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अख्तर को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि अख्तर की नियुक्ति में समाप्त होने वाली पूरी प्रक्रिया सत्ता का दुरुपयोग और खुले तौर पर उल्लंघन व जामिया अधिनियम के वैधानिक प्रावधानों का पूर्ण गैर-अनुपालन है।

याची ने कहा कि सिंगल जज तथ्यों को समझने में असफल रहे है। सिंगल जज ने कहा था कि याचिकाकर्ता यह दिखाने में सक्षम नहीं है कि अख्तर को विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त करते समय यूजीसी विनियम या जामिया अधिनियम के किसी भी स्पष्ट प्रावधान का उल्लंघन किया गया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि अख्तर की नियुक्ति इस कारण से अमान्य है कि सर्च समिति का गठन अवैध रूप से किया गया था और उसे शुरू में सीवीसी की मंजूरी से वंचित कर दिया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि एमएचआरडी के हस्तक्षेप के बाद मंजूरी से इनकार को रद्द कर दिया गया था।

विस्तार

दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की वर्तमान कुलपति नजमा अख्तर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर तीन दिसंबर तक सुनवाई और फैसला करने की मांग वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि आवेदन विचार करने योग्य नहीं है और जब भी अपील को सूचीबद्ध किया जाएगा इस पर सुनवाई की जाएगी।

पीठ ने कहा इस अदालत के समक्ष हर दिन इतने सारे मामले सूचीबद्ध होते हैं और उन पर सुनवाई होती है। इस मामले में कुछ खास नहीं है। ऐेसे में आवेदन खारिज किया जाता है। याची ने सिंगल जज के पांच मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली एक लंबित अपील में आवेदन दायर किया गया था, जिसमें जामिया की वीसी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि याचिका में कोई योग्यता नहीं है।

अपील जेएमआई में विधि संकाय के पूर्व छात्र एम एहतेशाम-उल-हक द्वारा दायर की गई है, जिसमें नियुक्ति को चुनौती देते हुए दावा किया गया है कि यूजीसी और जेएमआई अधिनियम द्वारा जारी नियमों का उल्लंघन है। हक की ओर से पेश अधिवक्ता आरके सैनी ने यह निर्देश देने की मांग की कि सुनवाई की अगली तारीख यानी तीन दिसंबर को अंतिम सुनवाई के लिए अपील पर सुनवाई की जाए और अगर किसी कारण से ऐसा करना संभव न हो तो स्थगन के लिए आवेदन या उस दिन अंतरिम आदेश सुने और निपटाए जाएं।

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