Samsara World School News : समसारा स्कूल पर ग्रीन बेल्ट हड़पने का आरोप!, करप्शन फ्री इंडिया ने सौंपा ज्ञापन, कार्रवाई की उठी मांग,सेक्टर 37 में पेड़ों की कटाई कर बनाई पार्किंग, प्राधिकरण को चेताया गया आंदोलन का अल्टीमेटम

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा की हरियाली और पर्यावरण-संरक्षण की उम्मीदों को उस समय गहरी चोट लगी जब सेक्टर-37 स्थित समसारा स्कूल पर ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जा करने और वहाँ पेड़ काटकर पार्किंग बनाने का गंभीर आरोप सामने आया। इस प्रकरण ने न केवल क्षेत्रीय नागरिकों को आक्रोशित किया है, बल्कि करप्शन फ्री इंडिया संगठन को भी सक्रिय कर दिया है, जिन्होंने इस मामले को लेकर प्राधिकरण से तत्काल कार्रवाई की माँग की है।
ज्ञापन सौंपा गया, प्राधिकरण से की गई कार्रवाई की मांग
इस मामले को लेकर करप्शन फ्री इंडिया संगठन की कोर कमेटी के प्रमुख सदस्य बलराज हूंण के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओएसडी गुंजा सिंह को ज्ञापन सौंपा और समसारा स्कूल के खिलाफ तत्काल विधिक कार्रवाई की मांग की।
ज्ञापन में विस्तार से बताया गया कि कैसे ग्रीन बेल्ट को लीज पर लेकर केवल उसके रखरखाव के उद्देश्य से प्राप्त किया गया था, लेकिन उसकी आड़ में स्कूल प्रशासन ने अवैध कब्जा कर हरित क्षेत्र को निजी पार्किंग स्थल में तब्दील कर दिया।
पेड़ों की कटाई कर बना दी स्कूल की निजी पार्किंग
संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय ने बताया कि सेक्टर-37 में स्थित समसारा स्कूल ने ग्रीन बेल्ट के दर्जनों पेड़ों को काटकर वहाँ कंक्रीट का फर्श और लोहे की ग्रिल के साथ बाउंड्री वॉल तैयार कर दी है। अब उस स्थान का प्रयोग स्कूल की गाड़ियों की पार्किंग के लिए किया जा रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों के लिए वह सार्वजनिक क्षेत्र निष्प्रयोज्य हो गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्राधिकरण द्वारा ग्रीन बेल्टों पर लगाए गए वृक्षों को काटना अपराध की श्रेणी में आता है, और यह पर्यावरणीय नियमों का सीधा उल्लंघन है।
‘जनता का हक छीना जा रहा है’ – प्रवीण भारतीय
प्रवीण भारतीय ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा:
“यह हरियाली की हत्या है। ग्रीन बेल्ट जनता के लिए है, स्कूल या अस्पताल की निजी संपत्ति नहीं। समसारा स्कूल ने न केवल पर्यावरण के साथ धोखा किया है, बल्कि सेक्टरवासियों के चलने-फिरने और सांस लेने की जगह भी छीन ली है।”
उन्होंने आगे चेतावनी दी कि अगर प्राधिकरण ने 15 दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं की, तो करप्शन फ्री इंडिया संगठन बड़ा जन आंदोलन करेगा, जिसकी शुरुआत ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय के सामने धरने से की जाएगी।
प्राधिकरण की भूमिका सवालों के घेरे में
यह मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है – क्या प्राधिकरण ग्रीन बेल्ट की निगरानी में लापरवाह हो गया है?
वर्षों से ग्रेटर नोएडा में प्राइवेट संस्थान जैसे स्कूल, कॉलेज और अस्पताल ग्रीन बेल्ट पर कब्जा करते आ रहे हैं। समसारा स्कूल का यह मामला उस बड़े संदर्भ का महज़ एक उदाहरण है।
वर्तमान में ग्रीन बेल्ट को किसी भी प्रकार से सीमेंट-कंक्रीट संरचना में तब्दील करना कानूनन प्रतिबंधित है। ऐसे में स्कूल द्वारा किए गए निर्माण को अवैध निर्माण की श्रेणी में रखा जा सकता है।
प्राधिकरण ने दिया ‘तत्काल कार्रवाई’ का आश्वासन
ज्ञापन सौंपे जाने के बाद प्राधिकरण की ओएसडी गुंजा सिंह ने संगठन को भरोसा दिलाया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थल का निरीक्षण कर कार्रवाई शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा:
“हम जल्द ही इस मामले की जाँच करेंगे और अगर अवैध निर्माण पाया गया तो संबंधित संस्थान के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। ग्रीन बेल्ट पर किसी भी प्रकार का निजी कब्जा स्वीकार्य नहीं है।”
सिर्फ समसारा स्कूल ही नहीं, कई और संस्थान निशाने पर
करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने यह भी बताया कि समसारा स्कूल अकेला ऐसा नहीं है। ग्रेटर नोएडा के अन्य सेक्टरों में भी कई निजी स्कूल, नर्सिंग होम्स और कॉर्पोरेट दफ्तर ग्रीन बेल्ट पर कब्जा करके उसे पार्किंग या स्टोरेज यार्ड में तब्दील कर चुके हैं।
सेक्टर पी-3, बीटा-1, गामा-2 और ओमेगा सेक्टर में भी ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जहां प्राधिकरण की अनदेखी में पर्यावरण की हत्या की जा रही है।
क्या है ग्रीन बेल्ट की कानूनी स्थिति?
ग्रीन बेल्ट वह क्षेत्र होता है जिसे नगर नियोजन के तहत हरित रखा जाता है – यानी जहाँ पेड़ लगाए जाएं, कोई पक्की संरचना न बने और आमजन को ताज़ी हवा व सैर-सपाटा मिल सके।
यह क्षेत्र किसी भी संस्था को केवल रखरखाव व हरियाली संवर्धन के लिए सौंपा जा सकता है – निजी लाभ या उपयोग के लिए नहीं। पेड़ों की कटाई, बाउंड्री निर्माण, पक्की पार्किंग आदि स्पष्ट रूप से अवैध हैं।
निवासियों ने भी जताया विरोध
सेक्टर 37 के कई स्थानीय निवासियों ने बताया कि अब वे ग्रीन बेल्ट में टहल नहीं पाते, बच्चों को खेलने की जगह नहीं मिलती, और आसपास का वातावरण भी गर्म और प्रदूषित होता जा रहा है।
एक निवासी ने कहा:
“ग्रीन बेल्ट अब ‘ग्रीन’ नहीं रहा। वहाँ सिर्फ कारें खड़ी हैं और गर्मी के मौसम में वहाँ चलना भी मुश्किल हो गया है।”
अब आगे क्या?
- संगठन ने अल्टीमेटम दिया है: 15 दिन में कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन होगा।
- प्राधिकरण ने निरीक्षण का भरोसा दिलाया है, लेकिन इसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल कायम हैं।
- स्थानीय निवासियों में भारी रोष है, और वे भी विरोध में एकजुट होने लगे हैं।
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