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UPSIDA Society News : UPSIDC एरिया की सोसाइटियों की समस्याओं पर जिला प्रशासन मौन क्यों?, सूरजपुर साइट सी के निवासियों ने उठाए गंभीर सवाल, जिला प्रशासन UPSIDC को गंभीरता से क्यों नहीं लेता? क्यों नहीं हुई UPSIDA की रजिस्ट्री?

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।।
गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्रों की हाईराइज सोसाइटीज़ की समस्याओं — जैसे सीसी (कंप्लीशन सर्टिफिकेट), ओसी (ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट), रजिस्ट्री, NPCL मल्टीपॉइंट कनेक्शन, लिफ्ट मेंटेनेंस, प्रदूषण नियंत्रण और नागरिक सुविधाओं के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा लगातार बैठकें आयोजित कर समाधान के प्रयास होते हैं। इन बैठकों में संबंधित प्राधिकरण, बिल्डर्स और अन्य विभागीय अधिकारियों की उपस्थिति रहती है, और जिलाधिकारी स्तर से बार-बार आदेश जारी होते हैं, जिन्हें स्थानीय मीडिया में भी खूब प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता है।

लेकिन इन प्रयासों और व्यवस्थाओं की एक बड़ी खामी पर अब आवाज उठने लगी है — वह है यूपीसीडा (UPSIDC) प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले हाईराइज रेजिडेंशियल सोसाइटीज की अनदेखी।


यूपीसीडा की सोसाइटीज उपेक्षित क्यों? — बड़ा सवाल

साइट सी, सूरजपुर ग्रुप हाउसिंग एक्सटेंशन-2 स्थित शिवालिक होम्स सोसाइटी के निवासी हिमांशु शेखर झा ने एक प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए गंभीर सवाल उठाया है:

क्यों जिला प्रशासन UPSIDC एरिया की सोसाइटियों की समस्याओं को अपनी प्राथमिकता में नहीं रखता? क्या साइट सी और उसके आसपास की दर्जनों सोसाइटियां जिला गौतम बुद्ध नगर का हिस्सा नहीं हैं?


UPSIDC क्षेत्र की समस्याएं भी हैं गंभीर

इन क्षेत्रों में भी वही समस्याएं हैं जो अन्य प्राधिकरण क्षेत्रों में देखी जाती हैं —

  • अधूरी रजिस्ट्री
  • सीसी और ओसी न मिलना
  • मल्टी पॉइंट कनेक्शन न होना
  • सोसाइटीज में लिफ्ट और साफ-सफाई की लचर व्यवस्था
  • बिल्डर्स द्वारा रखरखाव में अनियमितता
  • खुले में जलता कूड़ा और ध्वनि-वायु प्रदूषण

इन समस्याओं के समाधान के लिए कोई सुनवाई का मंच नहीं दिखता, क्योंकि जिला स्तर पर UPSIDC से जुड़े अधिकारी किसी कमिटी में शामिल नहीं किए जाते और न ही कोई गाइडलाइंस UPSIDC को लक्षित करते हैं।


‘जिला प्रशासन UPSIDC को गंभीरता से क्यों नहीं लेता?’

हिमांशु झा ने जिला प्रशासन से मांग की है कि:

  • UPSIDC क्षेत्र की हाईराइज सोसाइटीज के लिए भी नियमित बैठकों का आयोजन हो।
  • जैसे GNIDA और YEIDA के अधिकारियों को बैठक में शामिल किया जाता है, UPSIDC अधिकारियों को भी कमिटियों में शामिल किया जाए।
  • जिलाधिकारी स्तर से जो भी निर्देश जारी होते हैं, उसमें UPSIDC को भी नामित और निर्देशित किया जाए।
  • UPSIDC एरिया की समस्याओं को भी सार्वजनिक मंचों और मीडिया संवाद में प्राथमिकता मिले।

क्या UPSIDC के रेजिडेंशियल इलाके गौतमबुद्ध नगर का हिस्सा नहीं?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या UPSIDC के तहत आने वाली सोसाइटीज़ गौतम बुद्ध नगर प्रशासन के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं?
अगर नहीं, तो फिर वहां के नागरिकों को इस प्रकार प्रशासनिक उपेक्षा क्यों झेलनी पड़ रही है?


निवासियों में बढ़ रहा असंतोष

साइट सी और UPSIDC के अंतर्गत आने वाली कई रेजिडेंशियल सोसाइटीज के निवासी लगातार महसूस कर रहे हैं कि उनकी आवाज जिला स्तर पर अनसुनी रह जाती है। इससे आम नागरिकों में न केवल असंतोष बढ़ रहा है, बल्कि शासन और प्रशासन के प्रति भरोसे में भी कमी आ रही है।


जिला प्रशासन से निवेदन और अपील

रफ़्तार टुडे के माध्यम से UPSIDC क्षेत्र के नागरिकों की अपील है कि जिलाधिकारी, गौतमबुद्ध नगर UPSIDC क्षेत्र की समस्याओं को भी उसी संजीदगी से लें, जैसे नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सोसाइटीज के मामलों को लिया जाता है।

अगर जल्द ही इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह उपेक्षा और भी गहरा जनविरोध जन्म दे सकती है।


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