वैश्य समाज के कैप्टन विकास गुप्ता को लड़ाते हैं तो उनकी वैश्य समाज में मजबूत पकड़ है और उनकी सेना के जवानों की 50000 वोट है उन पर भी असर, उनकी भाजपा में अच्छी खासी पकड़
सनील चौधरी पर दांव खेलते हैं तो वह समाजवादी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता और सिपाही, तथा इसी के साथ उनके पास दो चुनाव लड़ने का अनुभव
योगेंद्र शर्मा आरडब्ल्यूए अध्यक्ष के साथ साथ भाजपा, सपा, बसपा में भी उनकी पहचान, फोनरवा भी उनसे नाराज, और 2 प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक व कृपाराम शर्मा पहले ही ब्राह्मणों के वोट बैंक पर डालेंगे असर
जगदीश शर्मा के भाई ओमदत्त शर्मा पहले ही लड़ चुके चुनाव और उन्हें 55000 वोटों के साथ नंबर दो पर रहे, इसीलिए पार्टी उन पर विचार नही करेगी
अतुल शर्मा पर दावँ खेलती है तो वह सांसद और भाजपा के घोर विरोधी हैं, गांव तथा शहरों में में अच्छी पकड़ और पेशे से वकील
Raftar Today। समाजवादी पार्टी नोएडा में इसलिए प्रत्याशी तय नहीं कर रही के टिकट किसको दे, नोएडा सीट उनके लिए सिरदर्द बनी हुई है। कांग्रेसी ब्राह्मण नेत्री पंखुड़ी पाठक, बसपा से ब्राह्मण कृपाराम शर्मा, और लगभग भाजपा ठाकुर प्रत्याशी पंकज सिंह को दाव खेल चुकी है। सपा के सूत्रों बताया कि अखिलेश यादव खुद नोएडा सीट से टिकट तय कर रहे हैं। अखिलेश यादव को डर है कि कहीं भाजपा से ताल्लुक रखने वालों पर दांव खेला गया तो कहीं वह रमेश चंद तोमर ना बन जाए।
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— raftar today (@raftartoday) January 13, 2022
इसलिए सपा की मंथन चल रहा है और नोएडा सीट पर उन्हें भी लगने लगा है कि सपा गठबंधन ने यदि कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं दिया तो कहीं भाजपा या कांग्रेस या बसपा कोई स फायदा ना हो जाए। ओर वह नही चाहते कि रमेश चंद तोमर की तरह डमी कैंडिडेट उतारकर गलती करें।
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समाजवादी पार्टी नोएडा यदि वैश्य समाज के कैप्टन विकास गुप्ता को लड़ाते हैं तो उनकी वैश्य समाज में मजबूत पकड़ है। और उनकी सेना के जवानों की 50000 वोट है उन पर भी अच्छी खासी पकड़ है। और नोएडा में वह समाजसेवी के रूप में भी कार्यरत है इसलिए उनकी उम्मीदवारी खास है। और यह नहीं भूलना चाहिए कि उनकी भाजपा में भी अच्छी पकड़ है या यह कहें कि वह भाजपा के सच्चे सिपाही हैं तो कहना गलत नहीं होगा।
और यदि समाजवादी पार्टी सनील चौधरी पर दांव खेलते हैं तो वह समाजवादी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता और सिपाही है तथा इसी के साथ उनके पास दो चुनाव लड़ने का अनुभव भी है। और पिछले चुनाव में तो उन्होंने समाजवादी पार्टी से 40,000 लगभग वोट ली और दूसरे नंबर पर रहे।
योगेंद्र शर्मा आरडब्ल्यूए अध्यक्ष के साथ साथ बसपा, भाजपा, सपा में भी उनकी पहचान है और वह भी पूरे नोएडा में समाजसेवी के रूप में कार्य कर रहे हैं। वह वह फोनरवा के अध्यक्ष हैं इसीलिए उन पर टिकट द खेल सकती है समाजवादी पार्टी। लेकिन फोनरवा में जबरदस्त विरोध चल रहा है इसका एक असर उनके टिकट में भी दिखाई देगा। और हो सकता है कि समाजवादी पार्टी ब्राह्मण पर दाव ना खेले क्योंकी और 2 प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक व कृपाराम शर्मा पहले ही ब्राह्मणों के वोट बैंक पर असर डालेंगे।
जगदीश शर्मा के भाई ओमदत्त शर्मा पहले ही बसपा से लड़ चुके चुनाव और उन्हें 55000 लगभग 2012 मे वोटों के साथ नंबर दो पर रहे। वह मान चुके हैं कि जिन्होंने उन्हें पार्टी ज्वाइन कराई है वह अखिलेश यादव के खास है। और अनुभव उनके पास भी है लड़ने का इसलिए समाजवादी पार्टी उन्हें टिकट दे।
वहीं सपा नोएडा और समाजवादी पार्टी अतुल शर्मा पर दावँ खेलती है तो वह सांसद और भाजपा के घोर विरोधी हैं। जब से वह सांसद और भाजपा से लड़े जब से उनकी एंट्री भाजपा में नहीं हुई। और उनकी गांव तथा शहरों में में अच्छी पकड़ और अतुल शर्मा पेशे से वकील भी है
अब देखते हैं कि सपा पढ़े-लिखे ,जमीनी संघर्ष, जनाधार वाले व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाती है या फिर भाजपा के (Dummy candidate)डमी कैंडिडेट पर दाव लगाती है ।
फोनरवा में जबरदस्त विरोध ?
Fhonrwa में जबरदस्त विरोध देखा गया। क्योंकि फोनरवा एक अराजनैतिक संगठन है। और कोई भी अध्यक्ष या सदस्य किसी पार्टी का हो उसे पार्टी से इस्तीफा देकर आना चाहिये और सदस्य को किसी भी पार्टी का सदस्य नहीं होना चाहिये। इसीलिए आजकल फोनरवा में अध्यक्ष से इस्तीफा मांग रहे हैं।