Sharda University News : शारदा लॉ के छात्रों का ‘न्याय यात्रा’, गांवों में पहुंचाया सरकार की योजनाओं का ज्ञान, बच्चों को सिखाया 'गुड टच-बैड टच', संवेदनशीलता और सेवा की मिसाल बनी टीमग्रेटर नोएडा के छात्रों ने कम्युनिटी कनेक्ट प्रोग्राम के तहत पेश की समाजसेवा की नई परिभाषा, जमीनी स्तर पर उतरे युवा कानूनविद

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।।
जब बात समाज को जागरूक करने की हो, तो अक्सर यह जिम्मेदारी सरकारों या एनजीओ की मानी जाती है, लेकिन ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ के छात्रों ने इस सोच को बदल दिया है। उन्होंने दिखा दिया कि सच्ची शिक्षा केवल क्लासरूम में नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर समुदाय से जुड़कर भी मिलती है।
नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के छात्रों ने कासना और औद्योगिक क्षेत्र के गांवों में जाकर एक कम्युनिटी कनेक्ट एवं जन-जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान का उद्देश्य था – आम जनता को सरकारी योजनाओं की जानकारी देना, बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और एक संवेदनशील समाज के निर्माण की ओर कदम बढ़ाना।
सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी, संवाद के माध्यम से ग्रामीणों तक पहुंचाई
छात्रों ने गांवों में जाकर नागरिकों और प्रवासी श्रमिकों से सीधा संवाद स्थापित किया। इसके अंतर्गत उन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं से जुड़ी एक प्रश्नावली भी भरवाई, जिसमें लोगों से पूछा गया कि क्या उन्हें उन योजनाओं की जानकारी है, जिनका लाभ वे उठा सकते हैं।
सरकारी स्वास्थ्य बीमा, मजदूर कल्याण योजनाएं, महिला सशक्तिकरण योजनाएं, विधिक सेवा प्राधिकरण की सेवाएं जैसे विषयों पर चर्चा की गई। छात्रों ने ग्रामीणों को बताया कि कैसे वे बिना किसी दलाल या भ्रष्टाचार के सीधे इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
छोटे बच्चों के लिए विशेष सत्र: गुड टच-बैड टच की समझ ने जीता दिल
इस अभियान की एक बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण पहल रही – बच्चों के बीच गुड टच और बैड टच की अवधारणा को समझाना। छात्रों ने बेहद सरल और प्रभावी तरीकों से बच्चों को यह बताया कि कौन सा स्पर्श सुरक्षित है और कब उन्हें सतर्क हो जाना चाहिए।
उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि यदि कोई उन्हें असहज महसूस कराए, तो वे कैसे अपने माता-पिता, शिक्षकों या विश्वसनीय बड़ों से बात कर सकते हैं। इस पहल ने न केवल बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाया, बल्कि अभिभावकों को भी सजग किया कि वे बच्चों की बातों को गंभीरता से लें।
SDGs को धरातल पर उतारने की ईमानदार कोशिश
यह पूरा अभियान संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को आधार बनाकर संचालित किया गया।
चाहे वह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वास्थ्य एवं कल्याण, समानता पर आधारित न्याय व्यवस्था, या स्थायी समुदायों का निर्माण हो – छात्रों की यह पहल इन लक्ष्यों की प्राप्ति में एक मजबूत कदम रही।
इस अभियान ने यह दर्शाया कि अगर छात्र चाहें, तो वे न केवल समाज की तस्वीर बदल सकते हैं, बल्कि अपने व्यक्तित्व और करियर में भी गहराई ला सकते हैं।
डीन डॉ. ऋषिकेश दवे बोले – ‘ये अनुभव छात्रों को बनाएगा असली कानूनविद’
शारदा स्कूल ऑफ लॉ के डीन डॉ. ऋषिकेश दवे ने इस अभियान की सराहना करते हुए कहा, “हम छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देना चाहते, बल्कि उन्हें समाज के करीब ले जाना चाहते हैं। यह अभियान छात्रों में नेतृत्व, टीम वर्क और संवेदनशीलता की भावना को मजबूती देता है। जमीनी स्तर पर समुदाय से जुड़ना उनके लिए एक जीवनभर का अनुभव रहेगा।”
डॉ. मानवेन्द्र सिंह बोले – ‘कानूनी जानकारी समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, यही हमारा लक्ष्य’
अभियान के प्रमुख संयोजक और स्कूल ऑफ लॉ के शिक्षक डॉ. मानवेन्द्र सिंह ने कहा, “कानून की पढ़ाई तभी सार्थक है जब उसका लाभ समाज के उस व्यक्ति तक पहुंचे जो न्याय से सबसे दूर है। हमारे छात्रों ने जिस जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से इस कार्य को अंजाम दिया, वह बेहद प्रेरणादायक है।”
टीमवर्क की शानदार मिसाल: फैकल्टी और छात्र दोनों ने निभाई अहम भूमिका
इस अभियान में प्रोफेसर भीम सिंह, डॉ. बर्नाली खारा, डॉ. वैशाली अरोड़ा और डॉ. मानवेन्द्र सिंह जैसे अनुभवी शिक्षकों ने छात्रों का मार्गदर्शन किया।
कम्युनिटी कनेक्ट कोऑर्डिनेटर डॉ. वैशाली अरोड़ा ने अभियान को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया।
छात्रों में प्रियांशी, ओवैस, अमान, शोएब, हर्षिता, तारिका, यशवंत सहित दर्जनों युवा छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उनकी मेहनत और समर्पण से यह अभियान एक यथार्थवादी समाजसेवी परियोजना के रूप में सामने आया।
इस तरह बना यह अभियान एक सामाजिक प्रयोगशाला, जिसमें उभरे जिम्मेदार नागरिक और भावी न्यायविद
शारदा विश्वविद्यालय के लॉ छात्रों का यह अभियान न सिर्फ एक अकादमिक पहल रहा, बल्कि एक सामाजिक प्रयोगशाला बन गया – जहां छात्रों ने कानून की किताबें छोड़कर सीधे समाज से संवाद किया। उन्होंने समाज को समझा, समस्याएं जानी और समाधान सुझाए।
यह न केवल शिक्षा की दिशा में एक नई सोच है, बल्कि युवा पीढ़ी को समर्पित, संवेदनशील और समाज के प्रति उत्तरदायी नागरिक बनाने का प्रयास भी है।
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