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डी. पी. एस. में ‘शिक्षक संवर्धन कार्यक्रम’ का आयोजन

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। दिल्ली पब्लिक स्कूल में शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए दिनांक 26/05/23 , 29/05/23 और 30/05/23 को शिक्षक संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों की व्यावसायिक क्षमता का विकास करना था।
दिनांक 26 मई 2023 को विद्यालय के प्राथमिक कक्षाओं के लगभग 100 अध्यापक और अध्यापिकाएँ ‘किरण नादर म्यूज़ियम’ नोएडा गए थे। वहाँ फोटो कला प्रदर्शनी को देखा एवं उसके बारे में जानकारियाँ प्राप्त कीं तथा सुश्री शिवानी वर्मा के सुन्दर नृत्य की प्रस्तुति का आनंद उठाया। साथ ही यह भी जाना कि पहले के समय किस तरह फोटोग्राफी की जाती थीं। म्यूज़ियम का भ्रमण रोचक एवं ज्ञानवर्धक रहा।
29/05 को कार्यक्रम के पहले सत्र में सुप्रसिद्ध सीबीई संसाधक श्रीमती मनसा पांडे जी ने मूल्यांकन के तरीके पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने फ़ॉरमेटिव असेसमेंट, सम्मेटिव असेसमेंट सहित ब्लूम टैक्सोनॉमी को बहुत ही सहज उदाहरणों द्वारा समझाया। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन में पारदर्शिता एवं मापन क्षमता होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केवल जानकारी का मूल्यांकन न होकर दक्षताओं का मूल्यांकन होना चाहिए और केवल समस्त शिक्षण स्मरण, समझ, अनुप्रयोग तक न सिमटकर उच्च चिंतन क्षमता, विश्लेषण, मूल्यांकन एवं सृजन तक पहुँचना चाहिए। उन्होंने अधिगम (सीखने) के प्रतिफल एवं अधिगम उद्देश्यों के अनुरूप शिक्षण को ढालने का आह्वान भी किया।
दूसरे सत्र में विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती संध्या अवस्थी जी ने शिक्षण-अधिगम पद्धतियाँ और तकनीकी के अंतर्गत ‘टीचर एज़ द लीडर ऑफ़ लर्निंग’ विषय पर प्रभावी और तर्कपूर्ण तरीके से अपने विचारों को प्रस्तुत किया। इसमें सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं की सक्रिय सहभागिता रही।अपने उद्बोधन में प्राचार्या जी ने कहा कि कक्षा-शिक्षण में शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। समग्र कक्षा शिक्षण में शिक्षक केंद्र का कार्य करता है। वह विद्यार्थियों की अधिगमता क्षमता को पहचानकर उन्हें उच्चतम स्तर पर ले जा सकता है।
30/05 को कार्यक्रम के प्रथम सत्र में श्रीमती मनसा पांडे जी ने पूर्व के विषयों का पुनरावलोकन किया तथा कक्षा-शिक्षण हेतु अनेक उपयोगी गतिविधियों की सक्रियता के साथ विस्तृत जानकारियाँ दीं।बहुवैकल्पिक प्रश्नों में स्तरीय विकास की चर्चा हुई। स्तरीय विकास हेतु रिक्त स्थान को अंत में देने की चर्चा हुई। बहुवैकल्पिक प्रश्नों की रचना के समय शिक्षण प्रतिफल (Learning Outcome) को ध्यान में रखना आवश्यक है।
शारीरिक शिक्षण विभाग के शिक्षकों के लिए विषय विशेषज्ञ के रूप में फाउंडर एंड क्रियेटर फिजिकल एजुकेशन कार्ड्स से श्रीमान मुकेश कोहली जी ने शिक्षकों को उद्बोधित किया तथा उन्हें आधुनिक प्रविधियों का ज्ञान कराया।
द्वितीय सत्र में ‘कक्षा शिक्षण हेतु अवधारणात्मक नीतियाँ’ इस विषय पर विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात विद्वानों द्वारा समूहिक परिचर्चा(Pannel Discussion) का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में विषय विशेषज्ञ प्रसिद्ध शिक्षाविद्,लेखक और कुशल वक्ता श्रीमान कुलभूषण कैन, अकुपेशनल थेरेपिस्ट एंड डायरेक्टर, एस.ओ.सी.एच. से डॉ. मनीष सामनानी, प्रो. एंड हेड आई.आर.डी. से डॉ. अनुपम आहूजा तथा प्रो. शिक्षा विभाग, लेडी इरविन कॉलेज़, दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉ. रेणू मालवीय उपस्थित रहीं।
सभी शिक्षाविदों के द्वारा बताई गईं शिक्षण प्रविधियाँ, मूल्यांकन की प्रविधियाँ तथा शिक्षण प्रतिफल निर्धारण की नवीन अवधारणाएँ कक्षा-शिक्षण में विद्यालयीय शिक्षकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगी तथा हम सभी शिक्षक इनसे अवश्य लाभान्वित होंगे।

विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती संध्या अवस्थी जी के प्रति इस प्रकार की विशिष्ट शैक्षणिक कार्यशाला के आयोजन हेतु शिक्षक-वृंद की ओर से साभार धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। विश्वास है भविष्य में इस शैक्षणिक कार्यशाला के सकारात्मक प्रतिफल अवश्य प्राप्त होंगे।

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