Dadri Panchyat News : गांवों से शहर की ओर बड़ा कदम!, दादरी के 20 गांवों में खत्म होगी ग्राम पंचायत व्यवस्था, नहीं होंगे अब प्रधान के चुनाव, अब गांवों की तकदीर लिखेगा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, शहरी विकास के नक्शे पर चढ़ेगा ‘नया नोएडा’

दादरी, रफ़्तार टुडे ब्यूरो।
📍 दादरी के 20 गांवों की किस्मत में नया मोड़, पंचायत व्यवस्था से विदाई तय!
ग्रेटर नोएडा के अंतर्गत आने वाले दादरी ब्लॉक के 20 गांवों में अब ग्राम पंचायत व्यवस्था खत्म होने जा रही है। यानी, अब इन गांवों में प्रधान के चुनाव नहीं होंगे। ये गांव सीधे ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) के अधीन होंगे। यह फैसला ‘न्यू नोएडा’ योजना के तहत लिया गया है, जो इन क्षेत्रों को शहरी विकास की धारा से जोड़ने के लिए बनाई गई है।
न चुनाव, न पंचायत – अब शहरी प्रशासन करेगा इन गांवों का संचालन
इन गांवों को पंचायत चुनाव से बाहर कर दिया गया है। इसका मतलब है कि 2025 के पंचायत चुनाव में यहां वोट नहीं डाले जाएंगे। वर्तमान में जिले में कुल 82 ग्राम पंचायतें हैं, लेकिन 20 गांवों के हटने के बाद अब केवल 62 पंचायतें ही बचेंगी, जो डीपीआरओ विभाग के अधीन रहेंगी। बाकी गांव सीधे GNIDA द्वारा शासित होंगे।
इन 20 गांवों को किया गया शामिल ‘न्यू नोएडा’ के अधिसूचित क्षेत्र में
ग्रेटर नोएडा के दादरी ब्लॉक के जिन गांवों को पंचायत प्रणाली से बाहर किया जा रहा है, वे हैं:
🔹 आनंदपुर
🔹 राजपुर कलां
🔹 रधुनाथपुर पार्ट
🔹 फूलपुर
🔹 नंगला नैनसुख
🔹 मिलक खंदेडा
🔹 कोट
🔹 फजलपुर
🔹 देवटा
🔹 दयानगर
🔹 छांयसा
🔹 चीती
🔹 चीरसी
🔹 चंद्रावल
🔹 नई बस्ती
🔹 बील
🔹 अकबुरपुर
🔹 आनंदपुर (दूसरी यूनिट)
🔹 श्यामनगर
🔹 अस्तौली का भाग
ये सभी अब ‘न्यू नोएडा अधिसूचित क्षेत्र’ का हिस्सा होंगे।
सड़क और नाली जैसी शहरी सुविधाएं पहुंचेंगी गांवों तक
प्राधिकरण के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि इन गांवों को शहर की मूलभूत सुविधाओं से जोड़ने के लिए सड़क, नाली, जल निकासी, बिजली और सीवरेज जैसी सेवाओं पर काम शुरू हो चुका है। पहले चरण में जिन सड़कों पर काम होगा, वे हैं:
🔸 कुलीपुरा से पंचायतन गांव तक 300 मीटर लंबी सड़क – दोनों ओर आरसीसी नाली बनेगी
🔸 सिकंद्राबाद-दनकौर मार्ग से जुनैदपुर की मढैया – 3 किलोमीटर लंबी सड़क का चौड़ीकरण और नाली निर्माण
🔸 मंडी श्यामनगर से अस्तौली फाटक वाया देवटा – सीसी रोड और जल निकासी निर्माण
🔸 नॉलेज पार्क-5 में – 45 मीटर चौड़ी मुख्य सड़क के साथ दोनों ओर सर्विस रोड का निर्माण
इन परियोजनाओं का कार्य 2 महीनों में शुरू कर दिया जाएगा।
गांवों को मिलेगा स्मार्ट विलेज जैसा इन्फ्रास्ट्रक्चर
GNIDA का दावा है कि इन गांवों को पूरी तरह से स्मार्ट तरीके से विकसित किया जाएगा। यानी यहां बिजली के भूमिगत केबल, आधुनिक सड़कें, डिजिटल पानी मीटर, वाईफाई जोन और CCTV निगरानी जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। इससे इन गांवों का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा।
गांवों की चिंता: क्या विकास के बदले लोकतंत्र का हनन?
जहां एक ओर यह बदलाव आधुनिकता और शहरी विकास की ओर इशारा करता है, वहीं गांववासियों में चिंता भी गहराई है। ग्राम प्रधानों की भूमिका खत्म होने से स्थानीय स्तर पर नेतृत्व, फैसले और आवाज उठाने की क्षमता कमजोर हो सकती है। गांवों में प्रधानी सिर्फ विकास की कुर्सी नहीं, सामाजिक शक्ति और पहचान का प्रतीक भी रही है।
ग्रामवासियों की राय: मिलेजुले भाव
🔸 श्रीराम सिंह (राजपुर कलां निवासी) – “अगर प्राधिकरण गांवों में सड़क, बिजली और साफ पानी दे रहा है तो ये अच्छा है, लेकिन पंचायतें भी जरूरी थीं, हमारी बात कौन सुनेगा अब?”
🔸 रीना देवी (चंद्रावल गांव) – “प्रधानी से महिलाओं को मंच मिलता था। अब हम कैसे आगे आएंगे? सिर्फ अफसरों के भरोसे तो गांव नहीं चलते।”
🔸 प्रेमपाल यादव (फूलपुर गांव) – “अब गांव शहर जैसा होगा, लेकिन हमें डर है कि कहीं सुविधाओं के नाम पर जमीनें न हड़प ली जाएं।”
प्राधिकरण की बात: विकास की रफ्तार बढ़ेगी
GNIDA के वरिष्ठ प्रबंधक नागेंद्र सिंह ने बताया:
“हम गांवों में जरूरी सुविधाओं की कमी को दूर करने जा रहे हैं। सर्वे कर लिया गया है, पहले फेज में सड़कों और नालियों पर काम होगा। प्राधिकरण अब गांवों को शहरी स्वरूप देने की दिशा में जुट गया है।”
न्यू नोएडा: यूपी के इंफ्रास्ट्रक्चर मैप पर अगला बड़ा नाम
‘न्यू नोएडा’ को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, यमुना एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) और मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स हब जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स से जोड़ा जा रहा है। इसमें इन 20 गांवों का अहम योगदान होगा क्योंकि इन्हीं गांवों की ज़मीनें, लोकेशन और जनसंख्या इस बदलाव की रीढ़ बनेंगी।
निष्कर्ष: गांवों से निकलती शहरी क्रांति की शुरुआत
दादरी के इन गांवों में अब ग्राम सभा की घंटी नहीं बजेगी, बल्कि शहरी विकास की मशीनें चलेंगी। यह बदलाव अगर जमीन पर प्रभावी ढंग से उतरा, तो ये गांव उत्तर प्रदेश में ‘ग्रामीण शहरीकरण’ के रोल मॉडल बन सकते हैं। लेकिन यह भी जरूरी है कि प्रशासन गांववालों की भावनाओं, उनकी स्थानीय समस्याओं और जरूरतों को ध्यान में रखे।
गांवों की सादगी और शहरों की सुविधा अगर एक साथ मिल जाएं, तभी सच्चे मायनों में “स्मार्ट गांव” बन सकेंगे।
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