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State government handed over 85-page affidavit, petitioner’s lawyer said yet to be read, hearing adjourned till November 15 | राज्य सरकार ने 85 पेज का सौंपा शपथ पत्र, याचिकाकर्ता के वकील बोले अभी पढ़ने का समय नहीं मिला, सुनवाई 15 नवंबर तक टाली

फरीदाबाद4 घंटे पहले

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अरावली वन क्षेत्र में लागू पीएलपीए एक्ट व अवैध निर्माण मामले को लेकर शुक्रवार को हुई सुनवाई में कोई फैसला नहीं हो पाया। राज्य सरकार ने एक दिन पहले ही 85 पेज का शपथ पत्र कोर्ट में जमा कराया था। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने राज्य सरकार द्वारा कोर्ट को दिए गए शपथ पत्र को पढ़ने का समय मांगा। इस पर कोर्ट ने याचिका की सुनवाई 15 नवंबर तक टाल दी। जबकि पुनर्वास मामले में कोर्ट ने कहा कि प्रोविजनल एलॉटमेंट के समय निगम द्वारा कोई किस्त नहीं ली जाएगी, फ़ाइनल एलॉटमेंट पर किश्त तय होगी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे खोरी कॉलोनी को नगर निगम द्वारा पिछले 3 माह पहले खाली करा लिया गया। करीब साढ़े छह हजार मकान बुल्डोजर से तोड़ दिए गए। जिसमें 10000 से ज्यादा परिवार बेदखल हो गए। वह पुनर्वास के भटक रहे हैं। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के राष्ट्रीय कन्वेनर निर्मल गोराना ने बताया कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में खोरी गांव रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं सरीना सरकार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई में दो बातों पर मुख्य रूप से चर्चा हुई। पहली पीएलपीए लैंड के संबंध में थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत चर्चा के लिए 15 नवंबर को सुनवाई की तारीख तय की। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य मोहम्मद शकील ने बताया कि पुनर्वास के मामले में जो चर्चा हुई उसमें नगर निगम ने आवास आवंटन की प्रथम किस्त 17000 से 10,000 बताई थी। किंतु यह किश्त फाइनल आवंटन के समय ली जाएगी। अभी विस्थापित परिवारों को कोई भी राशि या किश्त प्रोविजनल एलॉटमेंट के समय नहीं देनी होगी।

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