Greater Noida Authority News : फैक्ट्रियों को मिलेगा वैधता का प्रमाणपत्र, ग्रेटर नोएडा में सेक्टरवार शिविरों से बदलेगा औद्योगिक नक्शा, अब बिना रजिस्ट्रेशन नहीं चलेगा कोई कारोबार, यूपी को ट्रिलियन इकोनॉमी की राह पर ले जाने की तैयारी शुरू

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे | 21 मई 2025
उत्तर प्रदेश सरकार की ‘वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी’ के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में ग्रेटर नोएडा प्रशासन ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। शहर के औद्योगिक सेक्टरों में बड़ी संख्या में ऐसी फैक्ट्रियां हैं जो अभी तक पंजीकृत नहीं हैं और अनौपचारिक रूप से काम कर रही हैं। इन्हीं इकाइयों को अब औपचारिक व्यवस्था से जोड़ने के लिए सेक्टरवार फैक्ट्री पंजीकरण शिविरों का आयोजन किया जाएगा, जहां उन्हें सरकारी मान्यता, सुविधाएं और वैध परिचालन लाइसेंस प्रदान किए जाएंगे।
बड़ी पहल: प्रशासन और उद्योग संगठनों की साझा रणनीति
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, फैक्ट्री विभाग और विभिन्न औद्योगिक संगठनों की एक अहम बैठक मंगलवार को प्राधिकरण के बोर्ड रूम में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव ने की। बैठक में यह सहमति बनी कि फैक्ट्रियों को पंजीकरण के लिए अलग-अलग सेक्टरों में स्थानीय स्तर पर कैम्प लगाए जाएंगे, ताकि कोई इकाई पीछे न रह जाए।
यह योजना न केवल उद्योगों को कानूनी पहचान और सरकारी योजनाओं तक पहुंच देगी, बल्कि श्रमिक सुरक्षा, औद्योगिक जवाबदेही और टैक्स पारदर्शिता की दृष्टि से भी एक बड़ा सुधार मानी जा रही है।
पंजीकरण प्रक्रिया होगी आसान और दो चरणों में पूर्ण
1. प्राथमिक पंजीकरण (फर्स्ट फेज):
शिविर में फैक्ट्री प्रतिनिधियों से मूलभूत दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, बिजली कनेक्शन, फर्म पंजीकरण इत्यादि लेकर तत्काल अस्थायी पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। इससे इकाई को अस्थायी वैधता मिल जाएगी और वह कानूनी रूप से संचालन कर सकेगी।
2. अंतिम पंजीकरण (सेकंड फेज):
इसके बाद फैक्ट्री विभाग द्वारा निर्धारित 19 आवश्यक दस्तावेजों को ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड कर पूरा पंजीकरण पूरा किया जाएगा। इनमें कर्मचारी सुरक्षा, फायर एनओसी, पर्यावरण सहमति, बिल्डिंग सेफ्टी प्रमाणपत्र जैसी जानकारियां सम्मिलित होंगी।
कैंपों का विस्तृत शेड्यूल जल्द जारी होगा
सेक्टर 12 से शुरू होकर अलग-अलग औद्योगिक क्लस्टर्स में यह शिविर लगाए जाएंगे। हर सेक्टर का शेड्यूल प्राधिकरण द्वारा एक सप्ताह के भीतर जारी कर दिया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर औद्योगिक इकाई को शिविर के बारे में जानकारी मिले और उसे पंजीकरण में कोई परेशानी न हो।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की टीम इन शिविरों की निगरानी करेगी और फील्ड अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि उद्यमियों को फॉर्म भरने से लेकर प्रमाणपत्र जारी करने तक हर स्तर पर सहयोग प्रदान किया जाए।

बैठक में शामिल हुए उद्योगों के प्रतिनिधि
बैठक में प्रशासनिक और औद्योगिक जगत की ओर से कई प्रमुख प्रतिनिधि मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख नाम हैं:
- नवीन कुमार सिंह (ओएसडी, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण)
- अरविंद मोहन सिंह (प्रबंधक, प्राधिकरण)
- अमित उपाध्याय (अध्यक्ष, इंडस्ट्रियल बिजनेस संगठन)
- राकेश अग्रवाल (वरिष्ठ उद्यमी)
- आशुतोष (प्रतिनिधि, IIA)
- सूर्यकांत तोमर (प्रतिनिधि, IEA)
- विभिन्न सेक्टरों के उद्यमी मित्र व फैक्ट्री संचालक
सभी प्रतिनिधियों ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे ‘फील्ड से सरकार तक की मजबूत कड़ी’ बताया।
फ्लैट डिफॉल्टरों के लिए राहत की योजना
इस बैठक के दौरान एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठा — 121 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल वाले बहुमंजिला फ्लैट्स के डिफॉल्टर आवंटियों को लेकर। प्राधिकरण ने इनके लिए एकमुश्त समाधान योजना (OTS) की घोषणा की है, जिसके तहत वे प्रीमियम और लीज डीड के विलंब शुल्क पर बड़ी छूट प्राप्त कर सकते हैं।
OTS योजना की अंतिम तिथि 30 जून 2025 तय की गई है। एसीईओ सुनील कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि इसके बाद डिफॉल्टर आवंटियों को कोई राहत नहीं मिलेगी।
योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक आवंटी प्राधिकरण की वेबसाइट www.greaternoidaauthority.in पर जाकर आवश्यक जानकारी ले सकते हैं और आवेदन कर सकते हैं।
इस पहल से होंगे बहुआयामी लाभ
यह पूरी योजना सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि व्यवस्थित औद्योगिक विकास की नींव है। इसके जरिये —
- राजस्व में वृद्धि होगी
- औद्योगिक यूनिट्स का डेटा बेस मजबूत होगा
- श्रमिकों की सेफ्टी और हक सुनिश्चित होंगे
- फैक्ट्री संचालकों को सरकारी स्कीमों का लाभ मिलेगा
- इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग को नई दिशा मिलेगी
- रियल एस्टेट सेक्टर में फ्लैट डिफॉल्टरों को राहत मिलेगी
रफ्तार टुडे का विश्लेषण
ग्रेटर नोएडा का औद्योगिक मॉडल पहले से ही देशभर में एक उदाहरण है। अब जब सरकार औपचारिकता, पारदर्शिता और डिजिटल गवर्नेंस को प्राथमिकता दे रही है, तब यह कदम उसी दिशा में एक ठोस प्रयास है। फैक्ट्री शिविरों के जरिए ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को जमीनी स्तर पर उतारा जाएगा।
डिफॉल्टर फ्लैट धारकों के लिए राहत योजना एक ऐसा मौका है जिसे गंवाना आर्थिक रूप से घाटे का सौदा हो सकता है।
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