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India will launch world’s largest Earth Observation Satellite, to be launched in 2023 from Satish Dhawan Space Center in Sriharikota | भारत लॉन्च करेगा विश्व का सबसे बड़ा अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट, 2023 में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगा लांच

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नई दिल्ली3 घंटे पहलेलेखक: अनिरुद्ध शर्मा

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इस मिशन पर इसरो 778 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है, जबकि नासा करीब 6000 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। - Dainik Bhaskar

इस मिशन पर इसरो 778 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है, जबकि नासा करीब 6000 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है।

जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए भारत सबसे बड़ा कदम बढ़ाने जा रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट निसार जनवरी, 2023 में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लांच होगा। निसार अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का संयुक्त प्रोजेक्ट है। पृथ्वी की सतह से 747 किलोमीटर ऊंची कक्षा से निसार हर हफ्ते पूरे धरती की एक नई तस्वीर देगा।

हर 12वें दिन यह समान कक्षा से गुजरेगा। इससे मिले डेटा का उपयोग क्लाइमेट चेंज व पृथ्वी की प्राकृतिक घटनाओं को समझने और आपदा प्रबंधन में होगा। यह धरती के हरित क्षेत्र, बायोमास, मिट्टी की नमी, वेटलैंड व मैंग्रोव असेसमेंट, तटीय बदलाव, सरफेस डिफोर्मेशन, फॉरेस्ट डिस्टर्बेंस की भी निगरानी करेगा। सामान्य रूप से इसका डेटा एक से दो दिन में और आपात स्थितियों में दो घंटे उपलब्ध होगा। समूचा डेटा मुफ्त में उपलब्ध होगा। इस मिशन पर इसरो 778 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है, जबकि नासा करीब 6000 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है।

एल बैंड रडार पृथ्वी की जमीन, समुद्र व बर्फ की ऑल व्हेदर व डे-नाइट तस्वीरें मुहैया कराएगा। वहीं, एस बैंड रडार विशेषकर भारत व ध्रुवीय इलाके की तस्वीर देगा। एल बैंड रडार के अलावा रडार रिफ्लेक्टर एंटीना, नासा डेटा जीपीएस रिसीवर व सॉलिड स्टेट रिकॉर्डर भी मुहैया कराएगा।

इसरो ने एस-बैंड रडार तैयार कर नासा को भेजा
निसार यानी नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार में दो रडार होंगे-एल बैंड व एस बैंड रडार। करार के मुताबिक एल-बैंड रडार नासा को और एस बैंड रडार इसरो को तैयार करना था। इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर ने एस बैंड रडार तैयार कर नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी भेज दिया है, जहां उसे एल बैंड रडार के साथ इंटीग्रेड किया जा रहा है।

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