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Breaking News : चोरी हुई निगरानी!, ग्रेटर नोएडा के ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर चोरों ने उड़ाया CCTV पोल का दिल, बैटरी, इन्वर्टर और मीडिया कन्वर्टर ले उड़े अज्ञात बदमाश, हाईटेक निगरानी पर हाई-प्रोफाइल चोरी

📍 ग्रेटर नोएडा | रफ्तार टुडे स्पेशल रिपोर्ट |


उत्तर प्रदेश के आधुनिक शहर ग्रेटर नोएडा में स्थित ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (केजीपी) देश की सबसे हाईटेक सड़कों में गिनी जाती है। तेज़ रफ्तार ट्रैफिक को नियंत्रित करने, निगरानी बनाए रखने और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यहां जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

लेकिन अब सोचिए – जब इन सीसीटीवी कैमरों को ही निगरानी की ज़रूरत पड़ जाए तो सुरक्षा का क्या होगा?

यह कोई मज़ाक नहीं, बल्कि एक वास्तविक और गंभीर चोरी की घटना है, जिसमें चोरों ने सीसीटीवी पोल के भीतर लगे पावर सिस्टम को ही निशाना बना लिया। उन्होंने बड़ी चतुराई से बैटरी, सोलर इन्वर्टर और मीडिया कन्वर्टर को उड़ा लिया और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी… पूरे 6 दिन तक!


चोरी की टाइमिंग: अंधेरी रात में हाईवे पर टेक्नोलॉजी लूट

18 मई की रात, जब पूरा क्षेत्र गहरी नींद में था और हाईवे खाली पड़ा था, तब अज्ञात चोरों ने प्लानिंग के साथ दनकौर थाना क्षेत्र में स्थित ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के दो सीसीटीवी पोलों को निशाना बनाया। उन्होंने पहले पोल के केबिनेट को तोड़ा, और वहां से:

  • 🔋 8 हाई-पावर बैटरियां
  • 1 सोलर इन्वर्टर
  • 🔌 1 मीडिया कन्वर्टर

चुरा लिए। चोरों ने अत्यंत तकनीकी समझ और सटीकता के साथ यह काम किया, जिससे यह शक गहराता है कि इस घटना में स्थानीय लोगों या पूर्व तकनीकी कर्मचारियों की भूमिका हो सकती है।


6 दिन तक नहीं हुआ खुलासा – सिस्टम पर गंभीर सवाल

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह चोरी 18 मई को हुई, लेकिन इसकी जानकारी 24 मई को मिली, जब सेफ्टी ऑफिसर पंकज गौतम ने एक्सप्रेसवे पर निरीक्षण किया। यानि 6 दिनों तक ना तो कोई अलार्म बजा, ना कोई इमरजेंसी नोटिफिकेशन सिस्टम सक्रिय हुआ।

इससे साफ है कि:

  • निगरानी के लिए लगाए गए सिस्टम खुद निगरानी में फेल हो गए हैं।
  • इंस्पेक्शन और टेक्निकल टीम की निगरानी प्रणाली में लापरवाही है।
  • ऐसी तकनीक जिन पर सुरक्षा का दारोमदार है, वो खुद असुरक्षित हैं।

🚨 थाना दनकौर में FIR दर्ज, पुलिस ने शुरू की जांच

सेफ्टी ऑफिसर की शिकायत के बाद थाना दनकौर पुलिस ने अज्ञात चोरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। थाना प्रभारी निरीक्षक मुनेंद्र सिंह ने बताया कि:

“हमने चोरी के मामले में केस दर्ज कर लिया है और चोरों की तलाश शुरू कर दी गई है। जल्दी ही आरोपी गिरफ्त में होंगे।”

हालांकि, अब सवाल ये है कि अगर इतने दिनों तक किसी को भनक नहीं लगी तो आगे सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?

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ग्रेटर नोएडा के ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर चोरों ने उड़ाया CCTV पोल का दिल

सवालों की झड़ी – सुरक्षा की जड़ें हिल गईं?

  1. क्या CCTV पोल को मॉनिटर करने वाला कोई अलर्ट सिस्टम था?
  2. क्या इन तकनीकी उपकरणों की ट्रैकिंग के लिए GPS जैसी व्यवस्था नहीं है?
  3. रूटीन चेकअप और इंस्पेक्शन की फ्रीक्वेंसी क्या है?
  4. क्या चोरों को इस सिस्टम की पूरी जानकारी थी?

इन सवालों का जवाब अभी अधर में है, लेकिन इतना तय है कि इस चोरी ने सुरक्षा व्यवस्था की नींव को झकझोर कर रख दिया है।

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ग्रेटर नोएडा के ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर चोरों ने उड़ाया CCTV पोल का दिल, बैटरी, इन्वर्टर और मीडिया कन्वर्टर ले उड़े अज्ञात बदमाश

KGP एक्सप्रेसवे – हाईटेक हाईवे, लेकिन सुरक्षा लाचार?

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (KGP) को “स्मार्ट एक्सप्रेसवे” कहा जाता है। यह हाईवे दिल्ली, हरियाणा और यूपी को जोड़ता है। यहां:

  • स्पीड मॉनिटरिंग के लिए कैमरे
  • ई-टोलिंग सिस्टम
  • सोलर पॉवर्ड CCTV
  • और 24×7 ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम

जैसी अत्याधुनिक तकनीकें लगाई गई हैं। लेकिन जब इस सिस्टम के मुख्य भाग – यानि इन्वर्टर और बैटरियां ही चोरी हो जाएं, तो स्मार्टनेस धरी की धरी रह जाती है।


स्मार्ट उपायों की मांग – कब जागेगा सिस्टम?

अब विशेषज्ञों और तकनीकी सलाहकारों की मानें तो:

  • सभी CCTV के केबिनेट में स्मार्ट अलार्म सिस्टम और GPS ट्रैकिंग अनिवार्य की जानी चाहिए।
  • पोल केबिनेट्स को पासवर्ड प्रोटेक्शन या बायोमेट्रिक लॉक से सील करना चाहिए।
  • हर सप्ताह रूटीन चेकअप अनिवार्य हो।
  • स्थानीय पुलिस और निगरानी टीम के बीच क्विक रिस्पांस सिस्टम स्थापित हो।

यह अकेली घटना नहीं, बल्कि चेतावनी है

ऐसी चोरी की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं — चाहे वह सोलर स्ट्रीट लाइट की बैटरी की चोरी हो, ट्रैफिक सिग्नल्स के सेंसर की चोरी या फिर स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में लगे उपकरणों की लूट

हर बार की तरह जांच होती है, रिपोर्ट बनती है, लेकिन पुनरावृत्ति नहीं रुकती


क्लोजिंग स्टेटमेंट: हाईवे की निगरानी को भी चाहिए निगरानी!

सीसीटीवी कैमरा निगरानी की रीढ़ है। जब चोर उसे ही निशाना बना लें और पुलिस को 6 दिन बाद इसकी खबर हो, तो यह सिस्टम फेल्योर नहीं, सुरक्षा प्रणाली का ‘ह्रदयाघात’ है।

जरूरत है कि प्रशासन जागे, तकनीकी प्रणाली मजबूत हो, और निगरानी के लिए फिर से एक सतर्क और जिम्मेदार नेटवर्क खड़ा किया जाए।


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