आरटीआई बना ब्लैकमेलिंग का हथियार
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। ब्लैकमेल मूल रूप से स्कॉटिश बॉर्डर्स से लिया गया एक शब्द था जिसका अर्थ चोरों और लुटेरों से सुरक्षा के बदले में दिया जाने वाला भुगतान है।
परंतु समय के साथ-साथ ब्लैकमेल की परिभाषा और उसकी सीमा भी बदलती गई आज के डिजिटल युग में इस्की सीमा का कोई अंत नहीं है। बदलते समय के साथ ब्लैकमेलिंग की परिभाषा कुछ इस प्रकार समझ आई की ब्लैकमेलिंग रहस्य खोलने की धमकी देकर धन ऐंठने अथवा कुछ करवाने का अपराध कोई रहस्य खोलने की धमकी देकर धन ऐंठने अथवा कुछ करवाने का अपराध है l
मामला कुछ प्रकार है कि सभी के साथ-साथ ग्राम बादलपुर निवासी श्री मंगत सिंह की जमीन भी अधिग्रहीत हुई l किसान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गया पर राहत नहीं मिली l हारकर अपने 10% आबादी भूखंड के लिए प्रयास करने लगा l जैसे ही इसकी भनक श्री राजेंद्र सिंह को मिली राजेंद्र सिंह ने झटपट एक आरटीआई तयार की और अथॉरिटी से गजब का तालमेल देखिए,
GNIDA ने प्रसंस्करण के 30 दिनों के अनिवार्य समय का बिना लाभ उठाए, लगभाग एक हफ्ते 1 हफ्ते के अंदर ही जबाब दे दिया जबकि अन्य आरटीआई के मामले कई कई महीने लम्भित रहते हैं l श्री मंगत सिंह के खिलाफ लगाई आरटीआई की कॉपी भी खुद ही राजिंदर सिंह ने श्री मंगल सिंह को ही ब्लैकमेल करने के मकसद से भेज दी l
इतना ही नहीं उन्होंने मंगत सिंह आदि की शिकायत पर विधि विभाग द्वारा अंतरविभागीय बैठक बुलाने के नोटिस की प्रति भी अवैध रूप से ऑफिस सीक्रेट एक्ट १९२३ को धता बताते हुए हासिल कर ली I
श्री राजेंद्र सिंह नगर द्वारा मंगत सिंह के खिलाफ लगी गई मंगत सिंह को ही भेजी गई आरटीआई की कॉपी