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मंत्री नंद गोपाल नंदी ने महाप्रबंधक पीके कौशिक के खिलाफ मांगी रिपोर्ट, पीके कौशिक की जिम्स में अनदेखी और इंजीनियरिंग डिग्री फर्जी?

नोएडा से कानपुर तक हड़कंप, कई अफसर भी फंसे, विभिन्न f.i.r. भी दर्ज हुए है पीके कौशिक के खिलाफ

नोएडा रफ्तार टुडे : नोएडा विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक रहे पीके कोशिक के खिलाफ औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुरेंद्र सिंह से मांगी गई है। दरअसल, पीके कौशिक राज्य में एकीकृत तबादला नीति लागू होने से पहले ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के वरिष्ठ प्रबंधक थे।

तबादला नीति लागू होने के बाद उनका स्थानांतरण नोएडा अथॉरिटी में किया गया था। आपको बता दें कि पिछले दिनों राज्य सरकार की ओर से किए गए स्थानांतरण में पीके कौशिक को नोएडा से हटाकर उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण कानपुर भेज दिया गया है।

मंत्री की ओर से ग्रेटर नोएडा के सीईओ को भेजी गई चिट्ठी में बेहद संवेदनशील तथ्य हैं।

एसीईओ ने पीके कौशिक को बचाने की कोशिश की
औद्योगिक विकास मंत्री ने सीईओ को भेजे पत्र में लिखा है, “नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक और ग्रेटर नोएडा के तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक पीके कौशिक ने ग्रेटर नोएडा में तैनाती के दौरान तमाम अनियमितताएं बरती हैं। उनके कृत्यों को लेकर कई शिकायतें मिली हैं। इन शिकायतों पर जांच करके तथ्यात्मक रिपोर्ट 22 जून 2022 को मांगी गई थी।

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की ओर से भेजी गई रिपोर्ट का परीक्षण किया गया। जिसमें स्पष्ट हुआ है कि तथ्यों को छुपाया गया है। अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमनदीप दुली ने पीके कौशिक को बचाने का प्रयास किया है।” अब मंत्री ने एक बार फिर सीईओ से बिंदुवार रिपोर्ट तलब की है।

जिम्स के निर्माण में भारी गड़बड़ी, 55 करोड़ की हानि
नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने लिखा है, “ग्रेटर नोएडा में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान की छठी गवर्निंग बॉडी और सोसायटी की बैठक में तत्कालीन मुख्य सचिव आरके तिवारी ने निरीक्षण किया था।

मुख्य सचिव ने पाया था कि एडमिन ब्लॉक में जलभराव हो रहा है। उन्होंने तत्कालीन सीईओ को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। पीके कौशिक उस समय इस संस्थान के वरिष्ठ प्रबंधक (परियोजना) थे। दोबारा जलभराव की गंभीर समस्या को ठीक कराने में 55 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ा है।

वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर रहते हुए एक मिठाई की दुकान से 41,000 रुपये की खरीदारी की गई। जिसका भुगतान नहीं किया गया। इस मामले में अदालत ने पीके कोशिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।”

मंत्री ने आगे लिखा है, “वर्ष 1986 में पीके कौशिक संविदा के आधार पर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में आए थे। उनके खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री फर्जी होने का आरोप है। इतना ही नहीं यह आरोप होने के बावजूद उन्हें लगातार पदोन्नति दी गई हैं।

ग्रेटर नोएडा में तैनाती के दौरान एक कांट्रेक्टर ने कमीशन नहीं दिया। कौशिक ने अपने साले के माध्यम से बादामी की दुकान से जबरदस्ती सामान उठाया था। इस मामले में भी अदालत ने एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया था।”

मंत्री ने अफसरों के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े किए


नंदी ने आगे लिखा है, “तत्कालीन मुख्य सचिव ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। उसमें क्या हुआ है? एफआईआर कब दर्ज हुई? किस-किस पर दर्ज कराई गई? प्राधिकरण की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में इसका स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया है। पूर्णतया भ्रामक जवाब दिया गया है। हमें भेजी गई रिपोर्ट में मात्र यह कहा गया है कि मामले में अदालत के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज हुई। जिसमें पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी। न्यायालय ने फाइनल रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। यह रिपोर्ट नितांत अस्पष्ट और भ्रामक है।”

मंत्री ने यह 4 बिंदु लिखकर एफआईआर से जुड़े मामले में रिपोर्ट मांगी है। सीईओ को अगले 5 दिनों में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। चार बिंदु इस प्रकार हैं।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अधीन आवेदन पत्र किसने प्रस्तुत किया था? इस आवेदन पत्र की प्रति उपलब्ध कराई जाए।
इस आवेदन पत्र पर पारित अदालत के आदेश और दर्ज की गई एफआईआर की प्रति उपलब्ध कराई जाए।
इस प्रकरण में पुलिस की ओर से दाखिल की गई अंतिम रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करवाई जाए।
अदालत ने अंतिम रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की? अदालत के आदेश की प्रमाणित प्रति उपलब्ध करवाई जाए।
इन मसलों पर मंत्री ने मांगा साफ-साफ जवाब
मंत्री ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, “उपलब्ध करवाई गई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि प्राधिकरण के इंजीनियरिंग विभाग में उपलब्ध अभिलेखों के मुताबिक जिम्स में जलभराव के कार्यों पर प्राधिकरण के अतिरिक्त किसी अन्य विभाग ने कोई अतिरिक्त व्यय नहीं किया है। इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की जाए कि क्या जलभराव के कार्यों पर प्राधिकरण के अतिरिक्त किसी भी अन्य विभाग ने कोई अतिरिक्त व्यय नहीं किया है? यदि किसी अन्य विभाग ने अतिरिक्त व्यय किया है तो पूरी सूचना उपलब्ध कराई जाए। किस विभाग द्वारा कितनी धनराशि व्यय की गई है?
मिठाई खरीदने और उसका भुगतान नहीं करने, बादामी बिल्डर के यहां से सामान उठाने के प्रकरणों में एफआईआर दर्ज किए जाने के आदेश यदि सक्षम न्यायालय ने दिए थे तो इस पर क्या हुआ? ऐसी दशा में इतने गंभीर प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज होने पर प्राधिकरण स्तर से क्या कार्रवाई की गई?
पीके कौशिक पर यह भी आरोप है कि उनकी इंजीनियरिंग की डिग्री फर्जी है। यह जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की बताई गई है। इस फर्जी डिग्री के आधार पर उन्होंने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में स्थाई सेवा प्राप्त की। इसके बाद उन्हें कई बार पदोन्नत किया गया है। जब पीके कौशिक संविदा पर नियुक्त किए गए थे, तब नियमित सेवा में चयन के लिए उनके शैक्षणिक दस्तावेजों का प्रमाणीकरण क्यों नहीं करवाया गया? फर्जी डिग्री के संबंध में अत्यंत सरसरी तौर पर मात्र यह उत्तर प्राधिकरण ने दिया है कि पीके कौशिक को पत्र लिखकर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली से डिग्री का सत्यापन करवाने का निर्देश दिया गया है। इतने गंभीर और संवेदनशील प्रकरण में अत्यंत सतही तौर पर मात्र पत्र भेजा जा रहा है। जो व्यक्ति आरोपी है, वही अपनी डिग्री का सत्यापन करवाएगा। ऐसा किया जाना यह दर्शाता है कि प्राधिकरण ने पीके कौशिक को बचाने का प्रयास किया है। अत्यंत सतही और भ्रामक आख्या प्रेषित करना बेहद खेद जनक है।

मंत्री ने यह भी आदेश दिया है कि पीके कौशिक की डिग्री का सत्यापन जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में विशेष संदेशवाहक भेजकर तत्काल करवाया जाए। 5 दिनों में उनकी डिग्री का सत्यापन करवाकर स्पष्ट आख्या उपलब्ध कराएं।

दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा के सीईओ सुरेंद्र सिंह ने कहा, “मुझे पत्र मिल गया है। रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जल्दी शासन को भेज दी जाएगी।”

एसीईओ को एडवर्स एंट्री देने का आदेश
औद्योगिक विकास मंत्री ने 22 जून 2022 को एक पत्र ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को भेजा था। जिसमें नोएडा अथॉरिटी के महाप्रबंधक पीके कौशिक के खिलाफ आरोपों पर रिपोर्ट मांगी थी। यह रिपोर्ट एसीईओ अमनदीप दुली ने भेजी थी। दरअसल, अमनदीप दुली मानव संसाधन विभाग के मुखिया हैं। अब मंत्री ने यह रिपोर्ट भ्रामक मानते हुए फिर सीईओ को पत्र लिखा है। जिसमें मंत्री ने कहा, “रिपोर्ट में तथ्यों को छिपाकर और भ्रामक रूप से भेजा गया है। जिसके आधार पर कोई स्पष्ट आंकलन करना सम्भव नहीं है। ऐसा जानबूझकर किया गया है। लिहाजा, अमनदीप दुली को भ्रामक सूचनाएं भेजने के लिए चेतावनी दी जाए। इसकी एक प्रति इनकी चरित्र पंजिका में दर्ज की जाए।” मंत्री ने यह आदेश अपर मुख्य सचिव (नियुक्ति एवं कार्मिक) को भेजने का आदेश दिया है।

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