अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Tue, 30 Nov 2021 06:15 AM IST
सार
पंजाब के लिए सियासत तेज हो गई है। इस समय दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जुबानी जंग की पिच पर बैटिंग कर रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
– फोटो : ANI
शिक्षा व्यवस्था को लेकर दिल्ली और पंजाब सरकार के बीच जारी सिसायत में जुबानी जंग तेज हो गई है। दिल्ली सरकार केउपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से रविवार को चुनौती स्वीकार किए जाने के बाद अब तक पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने पंजाब के सबसे बेहतर स्कूलों की लिस्ट जारी नहीं की है। इसके बाद मनीष सिसोदिया ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह से गुजाशि की है वह शाम तक पंजाब के सबसे बेहतर 250 सरकारी स्कूलों की सूची जारी करें।
दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा है कि पंजाब की जनता को यह जानने का हक है कि कांग्रेस की सरकार ने बीते पांच सालों में राज्य की शिक्षा केलिए क्या काम किया है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने पंजाब के शिक्षा मंत्री की चुनौती को स्वीकार करते हुए रविवार को दिल्ली के250 सरकारी स्कूलों की लिस्ट जारी कर दी थी।
सिसोदिया ने कहा कि 24 घंटे बीत जाने के बाद भी पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने पंजाब के स्कूलों की लिस्ट जारी नहीं की। लिस्ट जारी नहीं करने पर सिसोदिया ने उम्मीद जताई कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी स्कूलों की सूची जारी करेंगे। सिसोदिया ने तंच कसा कि दोनों राज्यों के स्कूलों की तुलना से भागना यह बताता है कि पंजाब सरकार ने जनता की उम्मीदों पर पानी फेरा है।
जबकि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में केजरीवाल सरकार की ओर से किए गए बदलावों के कारण दिल्ली केशिक्षा मॉडल की चर्चा विश्व में की जा रही है। उन्होंने प्रश्न पूछते हुए कहा कि क्या पंजाब सरकार के पास ऐसे 250 स्कूल भी नहीं है जहां दिल्ली के स्कूलों की तरह पिछले पांच सालों में वल्र्ड क्लास संसाधन तैयार किए गए हों। सिसोदिया ने कहा कि यदि पंजाब के मुख्यमंत्री स्कूलों की सूची जारी नहीं कर पाते तो सार्वजानिक रूप से ये मानेंगे कि पिछले पांच सालों में पंजाब के शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए कुछ नहीं किया गया।
उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को दिल्ली के 250 सरकारी स्कूलों की लिस्ट जारी कर पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह को दिल्ली आकर यहां के स्कूलों को देखने का निमंत्रण दिया था। साथ ही पंजाब के 250 स्कूलों की लिस्ट भी जारी करने के लिए कहा था ताकि दोनों राज्यों के स्कूलों की हर तरीकेसे तुलना की जा सके।
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विस्तार
शिक्षा व्यवस्था को लेकर दिल्ली और पंजाब सरकार के बीच जारी सिसायत में जुबानी जंग तेज हो गई है। दिल्ली सरकार केउपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से रविवार को चुनौती स्वीकार किए जाने के बाद अब तक पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने पंजाब के सबसे बेहतर स्कूलों की लिस्ट जारी नहीं की है। इसके बाद मनीष सिसोदिया ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह से गुजाशि की है वह शाम तक पंजाब के सबसे बेहतर 250 सरकारी स्कूलों की सूची जारी करें।
दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा है कि पंजाब की जनता को यह जानने का हक है कि कांग्रेस की सरकार ने बीते पांच सालों में राज्य की शिक्षा केलिए क्या काम किया है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने पंजाब के शिक्षा मंत्री की चुनौती को स्वीकार करते हुए रविवार को दिल्ली के250 सरकारी स्कूलों की लिस्ट जारी कर दी थी।
सिसोदिया ने कहा कि 24 घंटे बीत जाने के बाद भी पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने पंजाब के स्कूलों की लिस्ट जारी नहीं की। लिस्ट जारी नहीं करने पर सिसोदिया ने उम्मीद जताई कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी स्कूलों की सूची जारी करेंगे। सिसोदिया ने तंच कसा कि दोनों राज्यों के स्कूलों की तुलना से भागना यह बताता है कि पंजाब सरकार ने जनता की उम्मीदों पर पानी फेरा है।
जबकि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में केजरीवाल सरकार की ओर से किए गए बदलावों के कारण दिल्ली केशिक्षा मॉडल की चर्चा विश्व में की जा रही है। उन्होंने प्रश्न पूछते हुए कहा कि क्या पंजाब सरकार के पास ऐसे 250 स्कूल भी नहीं है जहां दिल्ली के स्कूलों की तरह पिछले पांच सालों में वल्र्ड क्लास संसाधन तैयार किए गए हों। सिसोदिया ने कहा कि यदि पंजाब के मुख्यमंत्री स्कूलों की सूची जारी नहीं कर पाते तो सार्वजानिक रूप से ये मानेंगे कि पिछले पांच सालों में पंजाब के शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए कुछ नहीं किया गया।
उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को दिल्ली के 250 सरकारी स्कूलों की लिस्ट जारी कर पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह को दिल्ली आकर यहां के स्कूलों को देखने का निमंत्रण दिया था। साथ ही पंजाब के 250 स्कूलों की लिस्ट भी जारी करने के लिए कहा था ताकि दोनों राज्यों के स्कूलों की हर तरीकेसे तुलना की जा सके।
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